आदिवासी युवक की जेल में हुई मौत,शरीर में 35 चोंट के निशान, पीएम में गला दबाने से मौत की पुष्टि, हाईकोर्ट ने मांगा हिरासत में मौत
आदिवासी युवक की जेल में मौत हो गईं। उसके शरीर में 35 चोटों के निशान पाए गए। पोस्टमार्टम में भी गला दबाकर मौत की पुष्टि हुई। हाईकोर्ट ने इसे हिरासत में मौत का मामला मानते हुए राज्य सरकार से दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
बिलासपुर। महासमुंद जिला जेल में 29 वर्षीय आदिवासी युवक की मौत हो गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी गला दबाकर हत्या की पुष्टि हुई। इसके साथ ही बेरहमी से मारपीट की भी पुष्टि हुई। उसके शरीर में 35 चोंट के निशान मिले। इसको लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इसे प्रथम दृष्टया ही हिरासत में मौत का मामला मान अदालत ने राज्य सरकार सरकार से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।
महासमुंद जिले के ग्राम पिपरौद निवासी 29 वर्षीय युवक नीरज भोई को 12 अगस्त 2024 को धारा 103 और 3(5) बीएनएस के तहत गिरफ्तार कर महासमुंद जिला जेल भेजा गया था। जेल में आमद के समय हुए मेडिकल परीक्षण में उसे अवसादग्रस्त और शराब का पुराना आदि बताया गया था। जेल के डॉक्टर संजय दवे के रिपोर्ट के अनुसार वह नशे का आदी था और जेल में नशा नहीं मिलने पर उसका व्यवहार असामान्य हो गया था जिसके चलते उसे अस्पताल में दवा दी गई पर इसका लाभ नहीं हुआ।
जेल दाखिल करने के 3 दिन बाद ही 15 अगस्त को सुबह नीरज की हालत बिगड़ गई और उसे जेल से जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे परीक्षण के उपरांत मृत घोषित कर दिया। जेल प्रबंधन ने इसे नशा छोड़ने के लक्षणों से हुई मौत का मामला बताया था। पर परिजनों ने जेल में मारपीट का हत्या करने का आरोप लगाया जिस पर न्यायिक जांच करवाई गई। इसमें पीएम भी करवाया गया।
शरीर में कई गंभीर चोंट,गला दबाने से मौत की पुष्टि:–
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अवलोकन से स्पष्ट हुआ कि नीरज के शरीर पर 35 गंभीर चोटों के निशान थे जिनमें से आठ अंदरूनी चोट थी। जो जानलेवा किस्म की घातक चोटें थी। जेल में दाखिल करवाने के समय और पुलिस ने जब गिरफ्तार किया था उस समय मुलाहिजा करवा कर जब उसे जेल भेजा गया तब उस समय उसके शरीर में कोई चोट के निशान नहीं थे। इसके अलावा पीएम रिपोर्ट में भी गलत दबाने से मौत की पुष्टि हुई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर जनहित याचिका लगाइ गई। हिरासत में मौत का मामला मानते हुए वह सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई जून के अंतिम सप्ताह में नियत की गई है।