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इसलिए तो सरकारी शिक्षा बदनाम हो रही है। यकीन नहीं होता तो इन तस्वीरों को गौर से देखिए साहब!….

बिलासपुर / बिलासपुर ज्ञान के मंदिर में मिलने वाली शिक्षा चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी शिक्षा शिक्षा होती है जिसे प्राप्त करने माता पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं और बच्चे बड़ी उम्मीद से स्कूल जाते हैं। लेकिन शायद जिले और विकास खंड के जिम्मेदार शिक्षा अधिकारियों को सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा और व्यवस्था उपलब्ध कराने में कोई दिलचस्पी नहीं है इसलिए तो सरकारी शिक्षा बदनाम हो रही है। यकीन नहीं होता तो इन तस्वीरों को गौर से देखिए साहब!

ये तसवीरें हैं विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा अंतर्गत संचालित सरकारी प्राथमिक शाला रामनगर लिंगियाडीह बिलासपुर की जो प्रधान पाठक सहित समस्त स्टाफ की उदासीनता को उजागर करने वाली हैं। शासन के नियमानुसार स्टाफ को सुबह 7 बजे स्कूल आना है लेकिन स्टाफ प्रमुख सहित सारे टीचर्स नदारत हैं सभी कक्षाओं में ताला बंद है अध्ययन करने वाले छात्र छात्राएं कक्ष खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं। समय 7 बजकर 16 मिनट हो रहा है। जो सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता नजर आता है।


समस्त पालकों की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी और विकास खंड शिक्षा अधिकारियों से सवाल पूछता है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कि
संकुल समन्वयक कहाँ हैं क्यों मोनिटरिंग नहीं करते?
सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कहाँ हैं क्यों निरीक्षण नहीं करते?


अंत में बस इतना ही कि सरकार को सोचना होगा यदि सरकारी स्कूलों की यही व्यवस्था होगी तो कमजोर आर्थिक वर्ग से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर भविष्य का अवसर कैसे मिलेगा?

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