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एटीआर में बाघों की दहाड़, 6 से बढ़कर संख्या हुई 14

अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में इजाफा से राहत की सांस ले रहा वन विभाग

बिलासपुर । अचानकमार टाइगर रिजर्व से अच्छी खबर आई है। हाल ही में संपन्न हुए सर्वेक्षण में पता चला है कि यहां बाघों की संख्या 6 से बढ़कर अब 14 हो गई है। इस उपलब्धि ने न केवल संरक्षण प्रयासों को बल दिया है, बल्कि इस क्षेत्र की जैव विविधता के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई है।एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर यू. आर. गणेश ने बताया कि सभी बाघों की पहचान की जा चुकी है और उनकी फोटो कैमरों में कैप्चर हुई हैं। इन तस्वीरों के आधार पर बाघों की सटीक नम्बरिंग की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व के आस-पास अन्य जंगलों की मौजूदगी के कारण बाघों का आना-जाना स्वाभाविक प्रक्रिया है।
बाघों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ अन्य वन्य जीवों की संख्या में भी इजाफा देखा गया है। इसका श्रेय रिजर्व प्रबंधन के बेहतर प्रयासों और संरक्षित वातावरण को दिया जा सकता है। वन्य जीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए यह खबर किसी उत्सव से कम नहीं है।

*बाघों की घटती-बढ़ती संख्या*

बाघ: भारतीय वन्य जीवन की शान
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है और इसकी उपस्थिति जैव विविधता का महत्वपूर्ण सूचक है। बाघों की संख्या में कमी का मुख्य कारण उनके प्राकृतिक आवास का खत्म होना और अवैध शिकार रहा है।

*संख्या में इजाफे का कारण*

अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में वृद्धि का श्रेय बेहतर संरक्षण नीति, आधुनिक कैमरा ट्रैप तकनीक और स्थानीय समुदाय की भागीदारी को दिया जा सकता है।

*चुनौतियां और समाधान*

बाघों की संख्या में बढ़ोतरी उत्साहजनक है, लेकिन इसे बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए आवास विस्तार, मानव-वन्य जीव संघर्ष को कम करने और सतत निगरानी की जरूरत है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व के प्रभारी अधिकारी  का कहना है की यह उपलब्धि भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की एक और बड़ी जीत है। बाघों की बढ़ती संख्या पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक है और यह प्रेरणा देती है कि सामूहिक प्रयासों से हम प्रकृति का संतुलन बनाए रख सकते हैं।

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