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कलेक्टर का आदेश…फिर भी मनमानी…एक और सरकारी स्कूल की कहानी!

बिलासपुर:- विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा अंतर्गत संचालित शहरी तो शहरी ग्रामीण अंचलों में सरकारी स्कूलों की लचर व्यवस्था का भंडाफोड़ होने से सुर्खियों के पहले पायदान पर है।

कलेक्टर बिलासपुर द्वारा दिए गए निर्देश से एसडीएम की टीम लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर रही है जिससे बिल्हा विकास खण्ड अंतर्गत संचालित सरकारी स्कूलों में पदस्थ दर्जनों शिक्षक स्कूल से नदारद मिले… कई स्कूल तो समय से पहले बंद मिले… संस्था प्रमुख…शिक्षक… अवलोकन करने वाले संकुल समन्वयक…संकुल प्राचार्य…ABEO…BEO… की उदासीनता सामने आई है। भेद खुलने से हड़कंप मच गया। भला हो कलेक्टर बिलासपुर का जिनके निर्देश पर सरकारी स्कूलों में चल रही भर्राशाही उजागर हुई है।
अब बिल्हा विकास खंड अंतर्गत शासकीय माध्यमिक शाला भीलमी का हाल जान लीजिए यहाँ प्रधान पाठक को मिलाकर चार शिक्षक पदस्थ हैं पालकों की मानें तो ये सभी समय से पहले स्कूल से घर के लिए प्रस्थान कर जाते हैं।

यहाँ के तनख्वाह खोर शिक्षक CL, CL खेलते हैं मतलब कोई निरीक्षण में आया तो आधे दिन की छुट्टी नहीं तो उपस्थित।

ऐसे में जहाँ शिक्षा का अधिकार कानून दम तोड़ रहा है वहीं जिम्मेदार अपनी दायित्यों का निर्वहन धृतराष्ट्र बन कर कर रहे हैं।
पालकों नें बताया कि शिक्षक आधी छुट्टी के बाद स्कूल से चले जाते हैं।
स्कूल में कोई एक या दो शिक्षक टाइम पास करते हैं। कभी कभी तो समय से पहले छुट्टी दे दी जाती है।
पालक कहते हैं कि यहाँ पदस्थ एक शिक्षिका तो स्कूल आने के दो घंटे के बाद खाना खा कर घर जाती हैं उन्हें ना तो हेड मास्टर कुछ कहते हैं ना कोई अन्य शिक्षक ऐसे रसूखदार शिक्षिका कुछ पूछने से कतराते हैं तो संकुल समन्वयक, संकुल प्राचार्य,ABEO और BEO की बात ही जुदा है।
पालक कहते हैं कि यहाँ के शिक्षक ज्यादातर बीमारी का बहाना बनाकर चल देते हैं।

पालक कहते हैं कि शिक्षा विभाग के अधिकारी जांच में आकर शिक्षकों की उपस्थिति रजिस्टर की जाँच करें तो सारा भेद खुल जायेगा।

सोचने वाली बात यह है कि स्कूल से शिक्षक उपस्थिति रजिस्टर पर साइन कर समय से पहले अपने घर चले जाते हैं तब विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय अंतर्गत स्कूल का अवलोकन करने और निरीक्षण करने वाले जिम्मेदार, स्कूल की गलत रिपोर्टिंग क्यों कर रहे हैं?

कहीं यह बिल्हा बीईओ के खिलाफ कोई षड्यंत्र तो नहीं रचा जा रहा है!

फिलहाल शासन की तमाम योजनाओं का लाभ तो यहाँ अध्ययनरत बच्चों को मिल रहा है लेकिन शिक्षा…से वंचित इन बच्चों का भविष्य रूपी शिक्षा के अधिकार कानून यहाँ दम तोड़ते नजर आता है। जिम्मेदारों को चाहिए कि कम से कम कुम्भकर्णीय नींद से जागें…और यहाँ अध्ययनरत बच्चों से उनके विषयवार पाठ्यक्रम से सवाल पूछें… शिक्षकों के आने जाने के विषय में सवाल पूछें, शिक्षकों की डेली डायरी का अवलोकन करें।

अंत में बस इतना ही की सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा गरीब बच्चों के उज्जवल भविष्य की नींव है लेकिन जब नींव ही मजबूत नहीं होगी तो उज्ज्वल भविष्य की बात करना बेमानी होगा।

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