किताब घोटाले के भ्रष्टाचार के आरोपों पर लगी मुहर….छत्तीसगढ़ को शर्मिन्दा करने वाला किताब घोटाला….साय सरकार का दुशासन हुआ बेनकाब….सरकार की जांच कमेटी ही निकली घोटालेबाज….
सात अलग-अलग जिलों से प्राप्त किताबों को कबाड़ कर बेचा गया
जाँच समिति में शामिल सदस्य को ही निलंबित करना साय सरकार के काम को दर्शाता है
किताब घोटाले के खिलाफ सड़क, सदन से लेकर न्यायालय तक की लड़ाई लड़ी जायेगी
किस-किस के चेहरे पर लाली है? किस-किस ने खाई दलाली है? जवाब तो देना होगा – विकास उपाध्याय
रायपुर (छत्तीसगढ़)। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने विज्ञप्ति जारी कर किताब घोटाले अंतर्गत कबाड़ में मिले लाखों किताब से सरकार की उस कार्यवाही पर सवाल उठाया है जिसमें पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा को निलंबित किया गया है, विकास उपाध्याय ने कबाड़ में मिले किताब घोटाले मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित कमेटी पर पहले ही संशय व्यक्त किया था और इस कमेटी में दागी अधिकारियों को शामिल करने पर सवाल उठाए थे अब वह सवाल सही साबित हुए हैं कमेटी के तीन सदस्य भ्रष्टाचार में लिप्त हैं जिसमें से एक सदस्य पाठ्यपुस्तक निगम के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश पर आज सरकार ने कार्यवाही करके विकास उपाध्याय के द्वारा लगाए गए आरोपों पर मोहर लगा दी है। विकास उपाध्याय ने आगे कहा कि इस पूरे मामले में जांच कमेटी ही संदिग्ध है और सरकार जांच के नाम पर लीपा पोती कर अपने चेहरे की कालिक साफ करने में जुटी हुई है जबकि पूरा मामला साफ है कि सिलियारी पेपर मिल में बरामद हुई किताबें पूरे भ्रष्टाचार की कहानी बयां करती है इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी और संकुल प्रभारियों की मिलीभगत साफ है जिन्होंने किताबों का वितरण किया नहीं और किताबें रद्दी में बेच दी गई, यह प्रदेश का सबसे बड़ा किताब घोटाला है। यह पूरा भ्रष्टाचार अतिरिक्त और ज्यादा मात्रा में किताबें छपवाकर सरकार को चूना लगाने और कमीशन खोरी से संबंधित है,, अब इस मामले को कांग्रेस द्वारा उजागर करने पर जागी सरकार पूरे मामले को रफा-दफा करने में लग गई है, इसीलिए पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक पर कार्यवाही हुई है जबकि यह पूरा भ्रष्टाचार कड़ी दर कड़ी जुड़ा हुआ है।
विकास उपाध्याय ने बताया कि सात अलग-अलग जिलों से प्राप्त किताबों को कबाड़ कर बेचा गया,, सबसे पहले तो इन्हीं सातों जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए। अगर रायपुर जैसे बड़े शहर में यह हाल है, तो ग्रामीण इलाकों और आदिवासी क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी, इसका सीधा अंदाजा लगाया जा सकता है। कांग्रेस पार्टी साय सरकार की इस लापरवाही और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल उठाती है और इस पर तुरंत कार्रवाई की मांग करती है। उपाध्याय ने कहा कि साय सरकार को समझ में नहीं आ रहा है इस पूरे भ्रष्टाचार पर क्या कार्यवाही करना है और किस पर करना है, क्योंकि पहले जिस प्रकार इस घटनाक्रम के लिए शासन द्वारा पाँच सदस्यीय टीम बनाया जाता है उसमें महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा को भी रखा जाता है और अब वहीं उनके ऊपर कार्यवाही करते हुये उन्हें निलंबित किया जाता है। उपाध्याय ने कहा कि इस भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़क, सदन से लेकर न्यायालय तक की लड़ाई लड़ी जायेगी और जब तक असली दोषी को सजा नहीं मिल जाती तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।