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कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर में मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस

प्लास्टिक प्रदूषण उन्मूलन पर केंद्रित “एक राष्ट्र, एक मिशन” अभियान के साथ जागरूकता का संदेश

बिलासपुर। कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर में 5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन उत्साहपूर्वक एवं व्यापक जनभागीदारी के साथ किया गया। इस वर्ष का आयोजन “एक राष्ट्र, एक मिशन : प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करें” थीम पर आधारित था, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के प्रति समाज को जागरूक करना एवं पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं अधिष्ठाता डॉ. एन.के. चौरे ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि “प्रकृति के बिना मानव का अस्तित्व संभव नहीं है। हमारी नदियाँ, जंगल, पहाड़, भूमि, जलवायु — ये सब हमारे जीवन के आधार हैं।” उन्होंने चेताया कि आज अंधाधुंध विकास, पेड़ों की कटाई और प्लास्टिक प्रदूषण के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है।

डॉ. चौरे ने कहा कि प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग आज की सबसे बड़ी वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं में से एक बन चुका है। प्लास्टिक न केवल मिट्टी एवं जल स्रोतों को प्रदूषित करता है, बल्कि समुद्री और स्थलीय जीवों के जीवन के लिए खतरा भी उत्पन्न करता है। प्लास्टिक की थैलियाँ और कचरा जानवरों द्वारा निगल लिया जाता है जिससे उनकी मृत्यु तक हो जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि प्लास्टिक जलाने पर निकलने वाली जहरीली गैसें वातावरण को प्रदूषित करती हैं और मनुष्यों में सांस, फेफड़े व हृदय रोगों का कारण बनती हैं। शहरी क्षेत्रों में यह नालियों की रुकावट और जलजमाव का कारण बनकर स्वास्थ्य संकट भी उत्पन्न करता है।

उन्होंने छात्रों और उपस्थितजनों से प्लास्टिक के विकल्पों को अपनाने, पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने और इसके उपयोग में कटौती करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हमें न केवल प्रकृति से लेना है, बल्कि उसे लौटाना भी है।”

वैज्ञानिक एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी अजीत विलियम्स ने बताया कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर कोरिया गणराज्य द्वारा वैश्विक समारोह की मेजबानी की जा रही है, जो विजन 2030 के सतत विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, डॉ. एस. एल. स्वामी, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, लोरमी-मुंगेली ने कहा कि पर्यावरणीय असंतुलन और जलवायु परिवर्तन जैसे लक्षण संकेत दे रहे हैं कि प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन विनाश का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। उन्होंने छात्रों को पर्यावरण संरक्षण का वाहक बनने की प्रेरणा दी।

प्रमुख कार्यक्रम गतिविधियाँ:

पौध भेंट द्वारा शुभारंभ: कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों को नीम, करंज, गुलमोहर, आवला, अमलतास, सीताफल, आम जैसे पौधे भेंट कर किया गया।

प्लास्टिक विरोधी शपथ: अधिष्ठाता डॉ. चौरे ने उपस्थितजनों को प्लास्टिक के उपयोग से बचने एवं जागरूकता फैलाने की शपथ दिलाई।

विद्यार्थियों का वक्तव्य: शुभ शुक्ला, श्रेयांश श्रीवास्तव एवं चंचल गावड़े ने पर्यावरण संरक्षण के विषय में प्रेरक विचार साझा किए।

रैली एवं जन-जागरूकता: छात्र-छात्राओं ने शहर में रैली निकालकर “प्लास्टिक मुक्त जीवन शैली” का संदेश दिया।

“एक पेड़ माँ के नाम” अभियान 2.0: महाविद्यालय परिसर में सामूहिक पौधरोपण कर इस अभियान की शुरुआत की गई।

कार्यक्रम संचालन: कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार प्रदर्शन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने किया।

यह कार्यक्रम केवल एक आयोजन न होकर प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व की पुनः प्रतिज्ञा था। यह संदेश स्पष्ट था कि प्लास्टिक मुक्त, स्वच्छ और हरा-भरा भविष्य केवल तभी संभव है जब हर नागरिक इसकी जिम्मेदारी को समझे और व्यवहार में लाए।

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