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गुलमोहर और पेल्टाफॉर्म वृक्ष पर सेमीलूपर कैटरपिलर का अटैक

– चिंता में वानिकी वैज्ञानिक

बिलासपुर – प्रदेश में इन दिनों एक कीट ने वानिकी वृक्षों पर आक्रमण कर वानिकी एवं कीट वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर (छ.ग.) के वानिकी वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने बताया कि कीटों के गण- लेपिडोपटेरा, कुल – इरीबायडी का पेरीकायमा क्रूजेरी नाम के माथ/ शलभ लारवा जिसे पोनसियाना लूपरमाथ या सेमिलूपर कैटरपिलर कहते हैं इन दिनों वानिकी शोभाकारी वृक्षों विशेषकर गुलमोहर, पेल्टाफार्म एवं अमलताश पर हमला कर उनकी पत्तियों को चट कर पूरी तरह पत्ते विहीन कर रहा है। सितंबर महीने में इसका प्रकोप बिलासपुर एवं कोरबा जिले में क्षेत्र विशेष स्थानों तक सीमित था। किंतु सितंबर महीने के मध्य से वर्षा न होने एवं उमस होने के कारण इसका व्यापक प्रकोप बिलासपुर, रायपुर, कोरबा एवं राज्य के अन्य जिलों में भी दिखाई पड़ रहा है। यह वानिकी शोभाकारी वृक्षों की पत्तियों को खाकर उन्हें नष्ट कर रहे हैं।


जानिए सेमीलूपर को

सेमिलूपर कैटरपिलर की व्यस्त मादा अपने अंडे इन वृक्षों के पत्तों में देती है। अंडे पीले से नीला हरापन लिए होते हैं। जिसमें से 2-3 दिन में लारवा या कैटरपिलर निकल जाते हैं।


पांच चरणों में वृद्धि करता है कैटरपिलर

कैटरपिलर 5 चरणों में वृद्धि करता है। प्रारंभ में नवजात छोटा दल बनाकर पत्तियों को खाते हैं, फिर उसके पश्चात अकेले पत्तियों को खाते है। कैटरपिलर 7 सेंटीमीटर की लंबाई तक बढ़ते हैं। इनकी गर्दन पतली तथा सिर बड़ा हरा, लाल या पीलापन लिए होता है। कैटरपिलर का शरीर हरे रंग का होता है, जिसमें सफेद डब्बेदार रेखा पाई जाती है। कैटरपिलर पत्तियों को भोजन के रूप में ग्रहण कर अपने चारों ओर रेशमी धागे का निर्माण कर प्यूपा अवस्था में चला जाता है। यह अवस्था लगभग 10 दिनों का होता है जिससे वयस्क निकलते हैं।


भूरे रंग के होते हैं वयस्क

वयस्क भूरे रंग के होते हैं, जिसमें काली धारीदार लाइन पाई जाती है एवं इनके पंखों की लंबाई लगभग 4 सेंटीमीटर होती है। इस माथ का कैटरपिलर शरीर को आधा लूप के आकार में मोड़ कर गति करता है। जिस कारण इसे सेमिलूपर कहते हैं। वृक्षों में आक्रमण कर यह तेजी से वृक्षों की पत्तियों को चट कर जाती है, जिससे वृक्ष में सिर्फ शाखाएं रह जाती है। पत्तियों के ना होने से प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया बाधित होने के कारण पौधे कमजोर होकर कीट -व्याधि के संपर्क में आकर मरने लगते है।


प्रभावी उपचार

वानिकी वृक्षों में इस कैटरपिलर पर नियंत्रण के लिए प्रणालीगत कीटनाशक जो एक कीट न्यूरोटॉक्सिन के रूप में कार्य करता है और रसायनों के एक वर्ग के अंतर्गत आता है का छिड़काव करना चाहिए। जो कीड़े के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर कार्य करता है। जिसमें क्लोरपायरीफॉस एवं साइपरमैथरीन की अनुशंसा की जाती है। इसके अतिरिक्त नीम की पत्तियों का पानी में मिश्रण बनाकर एवं नीम के तेल का छिड़काव भी इसके जैविक नियंत्रण में प्रभावी पाया गया है। कीट ग्रस्त वृक्ष के नीचे कूड़ा- करकट के नियमित सफाई से भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है। बिलासपुर में नेहरू चौक से लेकर उसलापुर ओवर ब्रिज तक सड़क के किनारे लगे वृक्षों में एवं शहर के अन्य भागों में इस कीट के आक्रमण को देखा जा सकता है।


तेजी से नष्ट करता है वृक्षों को

सेमीलूपर कैटरपिलर की मादा एक बार में 450 अंडे देती है, जिसमें से दो-तीन दिन में लार्वा या कैटरपिलर निकल आते हैं। यह कैटरपिलर शरीर को आधा लूप के आकार में मोड़ कर गति करता है। जिस कारण इसे सेमीलूपर कहते हैं। वृक्षों में आक्रमण कर यह तेजी से वृक्ष की पत्तियों को चट कर जाती है।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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