गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत किसानों को उन्नत तकनीकों का प्रशिक्षण

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, छत्तीसगढ़:
“विकसित भारत @2047” के तहत संचालित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के विभिन्न ग्रामों में कृषक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य किसानों को उन्नत, टिकाऊ और समन्वित कृषि तकनीकों से अवगत कराना है।

कृषि वैज्ञानिक रथ के माध्यम से यह टीम ग्राम झगराखंड, धनौली (गौरेला विकासखंड), दमदम (पेंड्रा विकासखंड) तथा डोगरी व मसूरीखार (मरवाही विकासखंड) जैसे क्षेत्रों में पहुंची, जहां किसानों को जैविक खेती, फसल चक्र परिवर्तन, प्राकृतिक बीज चयन, संतुलित उर्वरक उपयोग, जल संरक्षण, पशुपालन, मत्स्य पालन, उद्यानिकी एवं समन्वित कृषि प्रणाली जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए मार्गदर्शन:
डॉ. देवेंद्रजीत शर्मा (पादप प्रजनन वैज्ञानिक) ने किसानों को बीज की गुणवत्ता एवं भूमि की अनुकूलता के अनुसार प्रजाति चयन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने करगा समस्या से निपटने हेतु श्यामला एवं नागकेसर रंगीन धान प्रजातियों के उपयोग की सलाह दी।
डॉ. प्रमेंद्र कुमार केसरी (वरिष्ठ मृदा वैज्ञानिक) ने समन्वित उर्वरक प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने जैव उर्वरकों के गुणधर्म, लाभ एवं प्रयोग की विधियों को सरल भाषा में समझाया।
डॉ. दिनेश पांडे (सस्य वैज्ञानिक) ने उच्चहन भूमि में धान के विकल्प स्वरूप दलहन, तिलहन व सब्जी फसलों को अपनाने की तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने अंतर्वर्ती फसलों की उपयोगिता बताते हुए किसानों को इससे मिलने वाले आर्थिक एवं पारिस्थितिकीय लाभों के प्रति प्रेरित किया।
यह अभियान किसानों में कृषि नवाचारों के प्रति रुचि बढ़ाने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध हो रहा है।