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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत किसानों को दी गई उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, छत्तीसगढ़ – बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर के वैज्ञानिकों द्वारा ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत दिनांक 04.06.2025 को तीनों ब्लॉकों – गौरेला, पेंड्रा एवं मरवाही – के विभिन्न ग्रामों में कृषकों को उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी प्रदान की गई।

गौरेला ब्लॉक – ग्राम पातरकोनी एवं तरईगांव

यहाँ पर वैज्ञानिकों ने किसानों को धान की उन्नत किस्मों तथा खरपतवार नियंत्रण की वैज्ञानिक विधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर स्थानीय किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों के लाभों से अवगत कराया गया और कृषक समस्याओं का समाधान सुझाया गया।

पेंड्रा ब्लॉक – ग्राम कुड़कई

पेंड्रा क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन की जानकारी दी गई। साथ ही, खरीफ मौसम की अन्य प्रमुख फसलों जैसे मक्का, मोटे अनाज (लघु धान्य), दलहन एवं तिलहन फसलों के उन्नत उत्पादन तकनीकों पर चर्चा की गई। एकीकृत खरपतवार नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक सुझाव भी प्रस्तुत किए गए।

मरवाही ब्लॉक – ग्राम सेलहकोटा

यहां कृषकों को धान में समुचित पोषक तत्व प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण एवं सुगंधित किस्मों के चयन की तकनीकी जानकारी दी गई। साथ ही दलहन-तिलहन उत्पादन की संभावनाओं पर बल दिया गया। वैज्ञानिकों ने जलवायु-उपयुक्त फलदार पौधों के चयन पर भी विस्तार से जानकारी दी और किसानों की जमीनी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया।

विशेषज्ञों की सहभागिता

डॉ. गीत शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान) ने धान की उन्नत किस्मों एवं फसल प्रबंधन से संबंधित तकनीकी जानकारी दी।

डॉ. संजय वर्मा, प्राध्यापक (उद्यानिकी) ने फलदार पौधों की खेती के लाभ समझाए और किसानों को मिश्रित खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

डॉ. रोशन परिहार, सहायक प्राध्यापक (अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन) ने धान की सुगंधित व नवीन किस्मों, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित किस्मों की जानकारी दी। उन्होंने रबी एवं खरीफ दोनों मौसमों की विविध फसलों को अपनाकर खेती को लाभकारी और व्यावसायिक बनाने की दिशा में मार्गदर्शन दिया।

विकसित कृषि संकल्प अभियान के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आधुनिक कृषि तकनीक, और जलवायु अनुकूल फसल चयन की जानकारी दी जा रही है। यह पहल न केवल किसानों की उपज और आय में वृद्धि करेगी बल्कि उन्हें स्थायी कृषि प्रणाली की ओर अग्रसर भी करेगी।

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