Blog

छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी का कहर

44 डिग्री सेंटीग्रेड पार, 11 जिलों में येलो अलर्ट, वनों के संरक्षण पर जोर

बिलासपुर – गर्मी का मौसम हर वर्ष आता है, लेकिन वर्ष 2025 में छत्तीसगढ़ में तापमान में असामान्य वृद्धि देखी जा रही है। कई जिलों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुँच चुका है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 11 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है। इस बढ़ती गर्मी ने हमें न केवल आपातकालीन उपायों की याद दिलाई है, बल्कि यह भी सिखाया है कि वनों का संरक्षण किस प्रकार जलवायु को संतुलित कर सकता है।


तापमान की स्थिति और प्रभावित जिले

दुर्ग: 44.2°C
बिलासपुर: 43.7°C
रायपुर: 43.2°C
रायगढ़: 42.8°C
बलौदाबाजार: 42.5°C
कोरबा: 42.0°C


येलो अलर्ट जारी जिलों में: दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, बलौदाबाजार, बेमेतरा, सक्ती, कबीरधाम, मुंगेली, कोरबा, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, और सरगुजा-बिलाईगढ़ शामिल हैं।


लू का प्रभाव और स्वास्थ्य संकट

लू यानी “हीटवेव” के कारण शरीर का तापमान नियंत्रित नहीं रह पाता है, जिससे हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, और मृत्यु तक की आशंका बन जाती है।
सबसे अधिक खतरा:

बुजुर्गों (30%)
बच्चों (25%)
श्रमिकों व किसानों (20%)
गर्भवती महिलाओं (15%)


सरकारी कदम और जनहित प्रयास

  • स्कूलों की ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ 25 अप्रैल से घोषित।
  • स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।
  • नागरिकों को पानी, नींबू पानी, छाछ आदि का सेवन बढ़ाने की सलाह।
  • दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे तक घर से बाहर निकलने से बचने की चेतावनी।
  • वनों का महत्व: तापमान नियंत्रण में भूमिका

वन केवल कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित नहीं करते, बल्कि ये स्थानीय जलवायु को भी संतुलित करते हैं।

छाया और नमी प्रदान कर वायुमंडलीय तापमान को कम करते हैं।

भू-जल स्तर को बनाए रखते हैं, जिससे क्षेत्रीय तापमान नियंत्रित रहता है।

बड़े जंगलों के आसपास हीटवेव का प्रभाव अपेक्षाकृत कम पाया जाता है।

पेड़ प्राकृतिक वायुरोधी अवरोध बनाते हैं, जो गर्म हवाओं की तीव्रता को घटाते हैं।

छत्तीसगढ़ — जो “हरित प्रदेश” के रूप में भी जाना जाता है — यदि अपने वनों का संरक्षण और पुनः संवर्धन करता है, तो भविष्य में इस प्रकार की भीषण गर्मी और लू की घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।


उपरोक्त स्थिति में वानिकी वैज्ञानिक अजीत विलियम्स का कहना है कि “वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन और स्थानीय पर्यावरणीय असंतुलन का मुख्य कारण वनों की अंधाधुंध कटाई है। वन, प्राकृतिक वातानुकूलक की तरह काम करते हैं। छत्तीसगढ़ जैसे हरित राज्य में, यदि हम हर गाँव, हर खेत के पास छोटे-छोटे वनों और सामुदायिक बागानों का विकास करें, तो न केवल तापमान नियंत्रित रहेगा बल्कि लू जैसी आपदाओं से भी काफी हद तक बचा जा सकेगा। आवश्यकता है सामूहिक चेतना और दीर्घकालिक योजना की। वन आधारित जीवनशैली को बढ़ावा देना ही भविष्य का सुरक्षित रास्ता है।”


लू से बचाव के उपाय

  • हल्के रंग के सूती वस्त्र पहनें।
    सिर को टोपी, गमछा या छाते से ढककर निकलें।
  • घर के बाहर कम से कम समय बिताएं।
  • अधिक पानी पिएं और शरीर को ठंडा रखें।
  • बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें।

छत्तीसगढ़ में वर्तमान तापमान वृद्धि और लू की स्थिति, जलवायु परिवर्तन की स्पष्ट चेतावनी है। अल्पकालीन उपायों के साथ-साथ दीर्घकालीन समाधान के रूप में वनों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। नागरिकों को जहां सतर्क रहना चाहिए, वहीं सरकार और समाज को मिलकर वन क्षेत्र को बढ़ाने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने पर गंभीरता से कार्य करना चाहिए। यही हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *