जूनियर अफसर को नहीं बैठाया जा सकता सीनियर के ऊपर, महिला डॉक्टर को सीएमएचओ बनाए रखने के निर्देश
– महिला सीएमएचओ को 5 माह के भीतर ही तबादला कर सिर्फ एमबीबीएस की योग्यता रखने वाले मेडिकल ऑफिसर को सीएमएचओ बना दिया गया। महिला सीएमएचओ ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया था कि प्रदेश की पांचवें नंबर की सबसे सीनियर डॉक्टर और क्लास वन ऑफिसर होने के बावजूद उन्हें हटाकर क्लास 2 ऑफिसर को उनका सीनियर बना दिया गया है। हाईकोर्ट ने शासन के इस आदेश को गलत बताते हुए रद्द कर दिया है।
बिलासपुर। महिला सीएमएचओ को हटाकर उनके ऊपर उनके जूनियर को सीएमएचओ बनाने के आदेश को अंततः हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि जूनियर अफसर को सीनियर के ऊपर बैठाना नियमों के विपरीत है। इसके साथ ही महिला सीएमएचओ को सीनियर बनाए रखने हेतु हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आदेश दिए है।
पूरा मामला जांजगीर चांपा जिले से जुड़ा हुआ है। यहां चीफ मेडिकल ऑफिसर के पद पर डॉक्टर स्वती वंदना सिसोदिया पदस्थ थीं। वे गायनोलॉजिस्ट है। वे पूर्व में कोरबा जिले की सीएमएचओ थीं। उनका ट्रांसफर 26 मार्च 2024 को जांजगीर जिले में सीएमएचओ के पद पर हुआ था। 5 माह बाद ही स्वास्थ्य विभाग ने 16 अगस्त 2024 को एक आदेश जारी करते हुए सीएमएचओ के पद से हटकर जांजगीर जिला अस्पताल में गायनोलॉजिस्ट के पद पर पदस्थ कर दिया। उनकी जगह डॉक्टर मनोज बर्मन को जांजगीर का सीएमएचओ बना दिया गया।
इससे क्षुब्ध होकर डॉ स्वाति वंदना सिसोदिया ने अपने अधिवक्ता हिमांशु पांडे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने शासन के आदेश पर स्टे दे दिया था। अब मामले की अंतिम सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच में हुई।
याचिकाकर्ता स्वाति वंदना सिसोदिया के अधिवक्ता हिमांशु पांडेय ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का तबादला मात्र 5 माह पहले ही हुआ है। याचिकाकर्ता के जूनियर को सीएमएचओ बना कर उन्हें जिला अस्पताल में गायनोलॉजिस्ट के पद पर भेज दिया गया है। जबकि याचिकाकर्ता का बॉस उनके जूनियर सीएमएचओ बनकर हो गया है। इसके अलावा याचिकाकर्ता डॉक्टर स्वाति वंदना सिसोदिया जिला अस्पताल में गायनोलॉजिस्ट बनकर आई हैं तो उनके ऊपर जिला अस्पताल में सिविल सर्जन भी है। जबकि डॉक्टर सिसोदिया जिले में सिविल सर्जन और सीएमएचओ दोनों के ऊपर है। इस तरह से सीनियर अफसर के ऊपर जूनियर अफसरों को कर दिया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जिन डॉ मनोज बर्मन को सीएमएचओ का प्रभार दिया गया है। उन्होंने केवल एमबीबीएस किया है और मेडिकल ऑफिसर के पद पर हैं। मेडिकल ऑफिसर का पद क्लास 2 ऑफिसर का पद होता है। जबकी सीएमएचओ का पद क्लास वन अफसर का पद है। डॉक्टर स्वाति वंदना सिसोदिया एमबीबीएस के साथ ही गायनोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट है। वे क्लास 1 अफसर है और सीनियारिटी में प्रदेश में पांचवें नंबर की सबसे सीनियर डॉक्टर है। इस लिहाज से सीएमएचओ बने रहने में डॉक्टर स्वाति वंदना उपर्युक्त हैं।
जस्टिस राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के पश्चात डॉ स्वाति वंदना सिसोदिया को हटाकर जूनियर को सीएमएचओ बनाने के शासन के आदेश को गलत बताया। अदालत ने 15 दिनों के भीतर सचिव स्वास्थ्य विभाग के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के निर्देश डॉ स्वाति वंदना सिसोदिया को दिए। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के सचिव को 35 दिनों में अभ्यावेदन का नियमानुसार सीनियारिटी को ध्यान में रखकर निराकरण करने के निर्देश दिए। तब तक के लिए सीएमएचओ का प्रभात डॉक्टर स्वाति वंदना सिसोदिया के ही पास रखने का अंतिम आदेश अदालत में जारी किया।