मां मनी प्लांट बना मौत का कारखाना ; फर्नेस ब्लास्ट में दो बिहारियों की मौत… प्रशासन, प्रबंधन और सिस्टम सब चुप क्यों हैं भाई?…

रायगढ़। जिले के पूंजीपथरा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित मां मनी आयरन एंड इस्पात प्लांट में बुधवार रात हुए फर्नेस ब्लास्ट ने चार मज़दूरों की ज़िंदगी को राख में बदल दिया। बिहार के रमानंद साहनी (32) और अनुज कुमार (35) की मौत इलाज के दौरान हो गई, जबकि दो अन्य मजदूर जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं।
फर्नेस ब्लास्ट या सुनियोजित हत्या? : बुधवार रात प्लांट के अंदर अचानक फर्नेस ओवरहीट हो गया और जोरदार विस्फोट हुआ। उस समय मजदूर पास में काम कर रहे थे और फर्नेस से उछला गर्म लावा सीधे उनके शरीर पर गिरा। चारों मज़दूर गंभीर रूप से झुलस गए।
क्या यह महज़ दुर्घटना थी? या यह लापरवाही की इंतहा और सुरक्षा मानकों की खुली हत्या थी?…
प्रशासनिक चुप्पी – लाशों पर बिछा ‘संवेदनहीनता’ का कफन ! घटना के बाद :
- जांच के नाम पर खानापूर्ति शुरू
- ना कोई FIR की पुष्टि, ना किसी अफसर की जवाबदेही तय
- DM और SDO मौन, श्रम विभाग लापता, फैक्ट्री निरीक्षक नदारद!
क्या यह वही प्रशासन है जो उद्योगपतियों की चाय पर सुबह-सुबह पहुंच जाता है? जब मज़दूर मरे, तो सबकी ज़ुबान पर ताले क्यों लग जाते हैं?
मां मनी प्लांट – मौत की फैक्ट्री का नया नाम : बताया जा रहा है कि फर्नेस में सेफ्टी वॉल्व और प्रेशर कंट्रोल सिस्टम महीनों से खराब था। मगर उत्पादन नहीं रोका गया क्योंकि लाभ ज्यादा जरूरी था, मज़दूर की जान नहीं! क्रेन ऑपरेटर के रूप में काम कर रहे रमानंद दो साल से वहां तैनात था, लेकिन कोई सुरक्षा गियर तक उपलब्ध नहीं था।
जेल क्यों नहीं गया प्लांट मालिक? जब मज़दूर बिना सुरक्षा उपायों के आग में झोंके जा रहे थे, तब फैक्ट्री मालिक कहां था?
- क्या छत्तीसगढ़ सरकार में इतनी हिम्मत है कि ऐसे उद्योगपतियों को जेल भेजे?
- क्या श्रम विभाग और फैक्ट्री निरीक्षक की मिलीभगत से चल रहा है यह मौत का कारोबार?
संवेदनहीनता की पराकाष्ठा – बिहार के मजदूरों की लाशें रवाना, न्याय अभी भी गुमशुदा : मृतकों के शवों को उनके गृह ज़िलों में भेज दिया गया है, मगर अब तक न किसी गिरफ्तारी की खबर और न ही फैक्ट्री पर कोई कार्यवाही।
क्या रायगढ़ प्रशासन मजदूरों की मौत का साझेदार है? : इस घटना ने साफ कर दिया है कि रायगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र मज़दूरों के लिए कब्रगाह बन चुके हैं। यहां प्रबंधन की मनमानी, प्रशासन की चुप्पी और शासन की नीयत सब एक साथ मजदूरों के खून में रंगे हुए हैं।
अब सवाल पूछना जरूरी है :
- क्या मां मनी प्लांट को सील किया जाएगा?
- क्या प्लांट मालिक पर हत्या का मुकदमा चलेगा?
- क्या DM, ADM और फैक्ट्री निरीक्षक को जवाबदेह ठहराया जाएगा?
- क्या मजदूरों को इंसाफ मिलेगा, या ये हादसा भी फाइलों में दफन कर दिया जाएगा?
यह सिर्फ एक समाचार नहीं – यह मज़दूरों के खून से लिखा गया आरोप-पत्र है उस सिस्टम पर, जो पूंजीपतियों की गोद में बैठा है और मेहनतकशों की लाशों पर चुप्पी साधे हुए है।