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मिशन अस्पताल भूमि विवाद,प्रशासन को मिली राहत

लीज समाप्ति पर प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण को दी मंजूरी..

बिलासपुर। बिलासपुर संभाग के ऐतिहासिक मिशन अस्पताल की करोड़ों रुपए की संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में एक बार फिर जिला प्रशासन को राहत मिली है। सरकारी जमीन पर कब्जा जमाए रखने वाले डॉ. रमन जोगी की अपील को कमिश्नर महादेव कावरे ने खारिज करते हुए जिला प्रशासन के फैसले को सही ठहराया है। यह फैसला आते ही अब प्रशासन को मिशन अस्पताल की जमीन पर कब्जा लेने का रास्ता साफ हो गया है।
अब जिला प्रशासन जमीन पर कब्जा करने और बने हुए बिल्डिंग को जमीदोज करने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
जिसकी तैयारिया प्रशासन ने शुरू कर दी है।

लीज खत्म, जिला प्रशासन ने किया कब्जा लेने का ऐलान

मिशन अस्पताल को वर्ष 1885 में लीज पर दी गई सरकारी जमीन पर कार्य शुरू हुआ था। हालांकि, लीज की अवधि 2014 में समाप्त हो गई और उसके बाद से ही अस्पताल प्रबंधन ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया। नजूल न्यायालय ने नवीनीकरण के आवेदन को इस साल खारिज कर दिया था। इसके बाद, जिला प्रशासन ने मिशन अस्पताल प्रबंधन को सरकारी जमीन को खाली करने के लिए नोटिस जारी कर दिया था। अस्पताल प्रबंधन ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे राजस्व प्रकरण बताकर संबंधित कोर्ट में मामले को ले जाने का आदेश दिया।

कमिश्नर कोर्ट में अपील खारिज, जिला प्रशासन का पक्ष मजबूत

अस्पताल प्रबंधन की ओर से डॉ. रमन जोगी ने कलेक्टर के बेदखली आदेश को चुनौती देते हुए कमिश्नर कार्यालय में अपील की थी। इस पर पूर्व कमिश्नर नीलम नामदेव एक्का ने अस्पताल प्रबंधन के पक्ष में स्टे दे दिया था, लेकिन बाद में उन्हें इस मामले से हटा दिया गया। नए कमिश्नर महादेव कावरे की अदालत में मामले की अंतिम सुनवाई में 30 अक्टूबर को जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाया गया।
व्यावसायिक उपयोग पर प्रशासन सख्त
मिशन अस्पताल की भूमि का प्रयोग मरीजों की सेवा के बजाय व्यावसायिक उपयोग में किए जाने का भी आरोप लगा है। अस्पताल परिसर में कई संपत्तियों को किराए पर दे दिया गया है। मिशन अस्पताल को अस्थायी रूप से बंद कर न्यू वंदना अस्पताल नामक संस्था का संचालन किया जा रहा है। इस पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए इसे सरकारी जमीन का दुरुपयोग माना है।

अस्पताल प्रबंधन की चेतावनी, प्रशासन नहीं झुका

इस बीच, डॉ. रमन जोगी ने पत्र लिखकर अस्पताल की सभी सुविधाओं को जिला प्रशासन को सौंपने की बात कही थी और चेतावनी दी थी कि भविष्य में किसी घटना या दुर्घटना के लिए प्रशासन ही जिम्मेदार होगा। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद अब प्रशासन ने अस्पताल की जमीन पर कब्जा लेने की तैयारी शुरू कर दी है।

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