यह फूल 1100 रुपए क्विंटल….डिमांड दिल्ली और यूपी से
खासखबर बिलासपुर- बढ़ सकती है पलाश के फूलों की कीमत। यह धारणा इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि हर्बल कलर यूनिटों की मांग निकलने लगी है। जबकि फूलों की उपलब्धता कमजोर है। इसलिए संग्रहण क्षेत्रों को संग्रहण में तेजी लाने की जानकारी भेजी जा रही है।
रासायनिक नहीं, प्राकृतिक। रंग- गुलाल के बाजार में हर्बल कलर को जैसी प्राथमिकता मिल रही है, उसमें पलाश के फूलों की मांग हर बरस बढ़त ले रही है। यह स्थिति इस साल भी बनी हुई है। ऐसे में हर्बल कलर बनाने वाली ईकाइयों की मांग, प्रदेश के वनोपज बाजार में पहुंचने लगी है। इसलिए उपलब्धता के शुरुआती दौर में भाव काफी बढ़े हुए हैं।
छत्तीसगढ़ पहुंचे यह दो
दिल्ली और उत्तरप्रदेश। इन दोनों प्रांतों में हर्बल कलर बनाने की अनेक ईकाइयां हैं। बीते बरस उत्पादन को मिले बेहतर प्रतिसाद के बाद अब फिर से इन दोनों ने छत्तीसगढ़ से पलाश के फूलों की खरीदी चालू कर दी है लेकिन मांगी जा रही मात्रा के अनुपात में आपूर्ति लगभग 30 से 40 फीसदी ही है। लिहाजा वनोपज कारोबारी संग्रहण क्षेत्रों से आपूर्ति बढ़ाने का आग्रह कर रहे हैं।
यहां का पलाश श्रेष्ठ
मुंगेली और डोंगरगांव। इन दोनों क्षेत्रों से निकलने वाले पलाश के फूलों को हमेशा से खरीदी में प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि गुणवत्ता के सभी मानक को पूरा करते हैं यहां के फूल। होली की मांग की तैयारियों में लगीं हर्बल कलर यूनिटें, इस बार भी इन्ही क्षेत्रों के पलाश के फूल की मांग कर रहीं हैं लेकिन उपलब्धता बेहद कमजोर बताई जा रही है।
संकेत तेजी के
1100 से 1200 रुपए क्विंटल पर ठहरी हुई है, पलाश के फूलों की कीमत। जिस गति और जिस मात्रा में पुष्पन का होना देखा जा रहा है, उसे देखते हुए कारोबारी अंदेशा जता रहे हैं कि मांग के अनुपात में संग्रहण कमजोर हो सकता है। इस स्थिति में चल रही कीमत में तेजी की आशंका है। इसके बावजूद संग्रहण क्षेत्रों से संग्रहण और आपूर्ति की मात्रा बढ़ाने का आग्रह किया जा रहा है।
वर्जन
कमजोर है संग्रहण
मांग के अनुरूप पलाश के फूलों का संग्रहण कमजोर है। इसलिए भाव में मजबूती का रुख बना हुआ है। संग्राहकों से आपूर्ति बढ़ाने के लिए कहा जा रहा है।
-सुभाष अग्रवाल, एस पी इंडस्ट्रीज, रायपुर
वर्जन
असामान्य मौसम के कारण पुष्पन कम
पलाश में फरवरी के अंत तक फूल आते हैं और जून तक इसके बीज तैयार हो जाते हैं। होली के पूर्व फूलों को चुनकर इससे प्राकृतिक रंग बनाया जाता है। इस वर्ष फूलों को खिलने लायक गर्मी नहीं मिल पा रही है। पश्चिमी विक्षोभ की वजह से मौसम में अभी ठंडक है और अब जाकर गर्मी शुरू हुई है। फूलों को खिलने के लिए हल्की गर्मी चाहिए। जलवायु में आ रहे बदलाव ने पेड़- पौधों के प्राकृतिक चक्र में गंभीर बदलाव लाना शुरू कर दिया है, जिसका सीधा प्रभाव पलाश के पुष्पन पर दिखाई पड़ रहा है।
-अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर