‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत पेंड्रा ब्लॉक के किसानों को मिली उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, छत्तीसगढ़ | 07 जून 2025 – बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर के वैज्ञानिकों ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत पेंड्रा ब्लॉक के ग्राम जमड़ी खुर्द और सोनबचरवार में किसानों को उन्नत और आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी देकर उन्हें खेती की नई दिशा दिखाई।

इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य किसानों को पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़कर जलवायु अनुकूल, वैज्ञानिक और लाभकारी कृषि विधियों से जोड़ना था, जिससे उनकी फसल उत्पादकता, आय और जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार हो सके।

प्रमुख बिंदु और जानकारी
धान की उन्नत किस्में और खरपतवार नियंत्रण तकनीक
किसानों को धान की नवीनतम उन्नत किस्मों, उनके वैज्ञानिक प्रबंधन, और एकीकृत खरपतवार नियंत्रण उपायों की विस्तार से जानकारी दी गई, जिससे कम लागत में अधिक उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।
खरीफ की अन्य फसलें – मक्का, मिलेट्स, दलहन, तिलहन
मक्का, मोटे अनाज (लघु धान्य), दलहन व तिलहन की उन्नत खेती तकनीकों को साझा किया गया। विशेष रूप से लघु धान्य फसलें जैसे कोदो, कुटकी, रागी आदि को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल और पोषण समृद्ध विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया।

फलदार पौधों का चयन एवं मिश्रित खेती
किसानों को आम, अमरूद, नींबू, सीताफल जैसे फलदार पौधों के चयन और बहुफसली व मिश्रित खेती के मॉडल अपनाने की सलाह दी गई ताकि वे जोखिम में विविधता लाकर अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।
कृषि वानिकी – स्थायी और लाभकारी समाधान
कृषि वानिकी को टिकाऊ खेती का आधार मानते हुए किसानों को सागौन, शीशम, बांस, करंज, नीम, खम्हार, सिरस, तेंदू, चिरौंजी, महुआ आदि बहुउद्देश्यीय वृक्षों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता और नमी का संरक्षण होता है, बल्कि अतिरिक्त आय के स्रोत भी सृजित होते हैं।
विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
वानिकी वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने कहा “बदलते जलवायु परिदृश्य और गिरते जलस्तर की चुनौतियों के बीच कृषि वानिकी एक दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करती है। स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल बहुउद्देश्यीय वृक्ष प्रजातियाँ भूमि को टिकाऊ बनाते हुए किसानों की आय में निरंतरता और विविधता लाती हैं। साथ ही, बागवानी फसलें जैसे आम, नींबू, अमरूद, अनार एवं सीताफल जलवायु के प्रति अधिक सहिष्णु और आर्थिक रूप से लाभदायक हैं।”
डॉ. अवनीत कुमार (अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन) ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित सुगंधित और उच्च उत्पादक किस्मों की जानकारी साझा की। उन्होंने रबी और खरीफ मौसम की फसलों में वैज्ञानिक चयन और विविधता अपनाने पर बल दिया।
उपसंचालक कृषि श्री सत्यजीत कंवर का उद्बोधन
“विकसित कृषि संकल्प अभियान एक ऐसी पहल है जो हमारे किसानों को बदलते समय की माँग के अनुरूप उन्नत, वैज्ञानिक और जलवायु सहिष्णु कृषि पद्धतियों से जोड़ रही है। पेंड्रा-गौरेला-मरवाही जैसे अंचलों में जब हमारे कृषक वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हैं, तब न केवल उनका आर्थिक सशक्तिकरण होता है, बल्कि क्षेत्र की खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन भी सुनिश्चित होता है।
हमें गर्व है कि आज हमारे वैज्ञानिक और विभागीय अधिकारी गाँव-गाँव जाकर कृषि नवाचार को जन-जन तक पहुँचा रहे हैं। मैं सभी किसानों से आग्रह करता हूँ कि वे इस अभियान का लाभ लें और छत्तीसगढ़ को कृषि नवाचार का अग्रणी राज्य बनाने में अपनी भूमिका निभाएँ।”
समन्वय और सहयोग
इस अभियान की सफलता में कृषि विभाग के हेमंत कुमार कश्यप, सरोधन पैकरा एवं दिनेश राठौर का विशेष योगदान रहा, जिनके समन्वय से यह कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हुआ।
अभियान का समग्र उद्देश्य और प्रभाव
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक सोच, टिकाऊ कृषि नवाचार, और जलवायु-संवेदनशील कृषि प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह पहल न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और स्थायी विकास की दिशा में एक सार्थक कदम भी है।