स्वास्थ्य, पशु और खेती तीनों के लिए खतरनाक है गाजर घास – डॉ. तिवारी
-कृषि महाविद्यालय में मनाया गया गाजर घास उन्मूलन जागरूकता सप्ताह सस्य विज्ञान विभाग की पहल
बिलासपुर – यह विदेशी घास मानव एवं अन्य जीवो के स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि पर्यावरण को भी आघात पहुंचा रहा है। इसके स्पर्श मात्र से ही खुजली, एलर्जी और चर्म रोग जैसी गंभीर बीमारियां पैदा हो रही है। एक शाकीय पौधा है जो किसी भी वातावरण में तेजी से उगकर मानव एवं प्रकृति के सभी जीवो के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है। इसके उन्मूलन हेतु गंभीर प्रयास करने होंगे।
उक्त उदगार डॉ. आर.के.एस. तिवारी, अधिष्ठाता, बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर ने गाजर घास उन्मूलन एवं जागरूकता कार्यक्रम की मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किया। आपने आगे बताया कि इस खरपतवार में ऐस्क्युटरपिन लेक्टोन नामक विषाक्त पदार्थ पाया जाता है, जो फसलों की अंकुरण क्षमता और विकास पर विपरीत असर डालता है। इसके परागकण, पर- परागित फसलों के मादा जनन अंगों में एकत्रित हो जाते हैं जिससे उनकी संवेदनशीलता खत्म हो जाती है,और बीज नहीं बन पाते है। दलहनी फसलों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणुओं की क्रियाशीलता को भी कम करता है।
इस अवसर पर डॉ. टी.डी. पांडेय, प्राध्यापक एवं विभाग प्रमुख (सस्य विज्ञान) ने अपने उद्बोधन में बताया कि यह घास सन 1955 में अमेरिका से भारी मात्रा में गेहूं के आयात से भारत को सौगात के रूप में मिली है। इसे कांग्रेस घास, सफेद टोपी, चटक चांदनी आदि नामों से भी पहचाना जाता है। नमी मिलने पर वर्ष भर यह फल-फूल सकती है l लेकिन वर्षा ऋतु में इसका अधिक अंकुरण होने पर यह तेजी से बढ़ता है। यह तीन चार महीने में अपना जीवन चक्र पूरा कर लेती है। 1 वर्ष में इसकी तीन चार पीढ़ियां पूरी हो जाती है।
डॉ. आर.के. शुक्ला, प्राध्यापक (सस्य विज्ञान) ने इसके जैविक नियंत्रण हेतु मैक्सिकन कीट जाईगोग्रामा बाईकोलोराटा को वृहद स्तर पर छोड़ने की अनुशंसा की। डॉ.शुक्ला ने बताया कि इसके एक पौधे से 25,000 तक बीज उत्पन्न हो जाते हैं। हर तरह से घातक गाजर घास खाद्यान्न फसल, उद्यान और सब्जियों में भी अपना स्थान बना रहा है। जैव विविधता एवं पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है।
डॉ. दिनेश कुमार पांडेय, वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान) एवं आयोजन सचिव ने बताया कि इसे नष्ट करने के लिए हमें फूल आने से पहले ही जड़ से उखाड़ कर खत्म कर देना चाहिए। उखाड़ने से पहले हाथों में दस्ताने अवश्य पहने। नियंत्रण का दूसरा तरीका रासायनिक खरपतवार नाशक ग्लूफोसिनेट अमोनियम 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में, 2,4 – डी 2 मिलीलीटर 1 लीटर पानी में या 20 प्रतिशत साधारण नमक का घोल के छिड़काव करने से नष्ट हो जाता है।
इसके पश्चात समस्त प्राध्यापक, वैज्ञानिक गण, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राओं ने प्रक्षेत्र में उग रहे गाजर घास को उखाड़ कर नष्ट किया एवं उसके समूल उन्मूलन की शपथ ली।
आज के आयोजन में कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र बिलासपुर के समस्त प्राध्यापक, वैज्ञानिक, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।