हवाई हमले,आगजनी और विस्फोट जैसी आपात स्थितियों से निपटने का रिहर्सल

डॉग स्क्वाड, एसडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की संयुक्त मॉक ड्रिल
जन-जागरूकता और समन्वय पर बल देने वाली मॉक ड्रिल
पुलिस ने आरपीएफ-जीआरपी के साथ रेलवे स्टेशन पर संदिग्धों की जांच का अभ्यास किया*
बिलासपुर। शहर के दो प्रमुख स्थानों – 36 मॉल और बिलासपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर आपदा प्रबंधन, आतंकी हमलों और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की तैयारी को परखने हेतु मॉक ड्रिल आयोजित किया गया। यह मॉक ड्रिल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह और कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश में संपन्न हुई।कलेक्टर और एसएसपी ने मौके पर मौजूद होकर अधिकारियो और कर्मचारियों से अभ्यास कराया उसके बाद सख्त निर्देश दिए कि हर कदम हर पल तैयार रहना चाहिए ताकि कभी भी किसी भी आपदा पर लड़ा जा सके और लोगो का बचाव कैसे करना है किस तरह से करना है इसका ध्यान रखना चाहिए।इस अवसर पर कलेक्टर और एसएसपी ने कई तरह के तरीके सिखाए और आत्मरक्षा के साथ ही आमजनों की मदद करने के लिए प्रशिक्षण दिए।
आग लगने की स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन:
मॉल में आग लगने की काल्पनिक स्थिति उत्पन्न की गई। इसके तहत फायर अलार्म बजने के तुरंत बाद फायर ब्रिगेड एवं सुरक्षा कर्मियों द्वारा मॉल के अंदर मौजूद लोगों को तेजी से, सुरक्षित एवं अनुशासित ढंग से बाहर निकाला गया। साथ ही घायलों को आपातकालीन प्राथमिक उपचार की प्रक्रिया भी प्रदर्शित की गई।
हवाई हमले जैसी परिस्थिति में रिएक्शन ड्रिल:
हवाई हमले की आशंका के परिदृश्य में सुरक्षाबलों ने मॉल को सुरक्षित ज़ोन में बदलने, लोगों को संरक्षित स्थानों की ओर ले जाने, और अफरातफरी रोकने की रणनीति को व्यवहारिक रूप से प्रदर्शित किया।
विस्फोटक वस्तु की खोज हेतु डॉग स्क्वाड की तैनाती:
मॉल के विभिन्न स्थानों पर संदिग्ध वस्तुएं रखी गईं, जिन्हें डॉग स्क्वाड की मदद से खोजा गया। इसके बाद बम डिस्पोज़ल टीम ने सुरक्षात्मक तरीकों से निष्क्रियता की प्रक्रिया दिखाई।
जन-जागरूकता एवं भीड़ नियंत्रण का अभ्यास:
आमजन को भीड़ में कैसे नियंत्रित किया जाए, किस प्रकार निर्देशित किया जाए, और अफवाहों से कैसे बचाया जाए – इन सभी पहलुओं पर प्रशिक्षणात्मक कार्यवाही की गई। आम नागरिकों को मॉक ड्रिल में शामिल कर आपात स्थिति में उनकी भूमिका भी स्पष्ट की गई।
बिलासपुर रेलवे स्टेशन में मॉक ड्रिल के प्रमुख बिंदु
संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान एवं पूछताछ प्रक्रिया:
स्टेशन परिसर में संदिग्ध व्यवहार कर रहे व्यक्तियों को चिन्हित किया गया और आरपीएफ व जीआरपी द्वारा पूछताछ, तलाशी की कार्यवाही को दर्शाया गया।
विस्फोटक खोज अभियान:
डॉग स्क्वाड की सहायता से रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म, वेटिंग एरिया, पार्सल रूम और ट्रेनों के डिब्बों में विस्फोटक सामग्री खोजने का अभ्यास किया गया। संदेहास्पद वस्तुओं को सुरक्षित तरीके से हैंडल करने की प्रक्रिया भी दिखाई गई।
भीड़भाड़ वाली जगहों पर आपदा नियंत्रण
स्टेशन जैसी संवेदनशील और भीड़भाड़ वाली जगह पर मॉक ड्रिल के माध्यम से यह अभ्यास किया गया कि किसी आपात स्थिति में कैसे तेजी से लोगों को बाहर निकाला जाए, संचार एवं मार्गदर्शन कैसे सुनिश्चित किया जाए।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह और कलेक्टर संजय अग्रवाल दोनों ही स्थलों पर स्वयं उपस्थित रहे। उन्होंने मॉक ड्रिल की संपूर्ण प्रक्रिया का निरीक्षण किया, उपस्थित अधिकारियों-कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और समन्वय की सराहना की।
ड्रिल पूर्ण होने के पश्चात उन्होंने जनता के सहयोग के प्रति आभार प्रकट किया और कहा कि इस प्रकार के सुरक्षा अभ्यास न केवल एजेंसियों की तत्परता बढ़ाते हैं, बल्कि आम नागरिकों में भी आत्मविश्वास और जागरूकता पैदा करते हैं।