हे भगवान : शिक्षा के मंदिर में बैठे गुरुजी कर रहे मंदिर को शर्मसार…..सरकारी किताबों का सेट,स्कूल में पढ़ने आए बच्चों से बनवा रहे….देखिए तस्वीरें

खासखबर बिलासपुर। ये तस्वीर विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा अंतर्गत संचालित शासकीय प्राथमिक शाला धुरीपारा संकुल केंद्र पौंसरा से निकल कर सामने आ रही है जो हैरान कर देने वाली है जहाँ प्रधान पाठक योगेश कुमार जोशी और एक शिक्षक उमेद सिंह कश्यप, संकुल समन्वयक साधे लाल पटेल द्वारा भेजे गए सरकारी किताबों का सेट,स्कूल में पढ़ने आए बच्चों से बनवा रहे हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बच्चे स्कूल पढ़ने आते हैं ना कि मजदूरी करने,शिक्षा का मंदिर बच्चों के सुनहरे भविष्य का प्रवेश द्वार है इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार नें गरीब बच्चों को शिक्षा देने शिक्षित करने तमाम महत्वपूर्ण योजनाएँ बना कर दे दी। मुफ़्त की शिक्षा,मध्यान भोजन, गणवेश,कॉपी,किताबें, छात्रवृत्ति,तनख्वाह खोर रेगुलर शिक्षक,स्कूल भवन,बिजली, पानी,स्वास्थ्य, स्कूल में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसलिए करोड़ों रुपए तनख्वाह के रूप में देकर प्रत्येक स्कूल के लिए एक हेड मास्टर और शिक्षको की व्यवस्था की है।


और तो और इनकी मोनिटरिंग के लिए संकुल समन्वयक, संकुल प्राचार्य,एबीओ, बीईओ, डीईओ,संयुक्त संचालक की नियुक्ति शासन द्वारा की गई है बावजूद इसके सरकारी स्कूल से बच्चों की ऐसी तस्वीरों का सामने आना जिम्मेदारों पर सवाल खड़े करता है।


स्कूल जाने पर पता चला डेली डायरी ही नहीं बनाया गया है शिक्षक नें बातों ही बातों में बतलाया कि डेली डायरी नहीं बनाया हूँ।

शिक्षक बतलाते हैं कि विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा की प्रभारी बीईओ श्रीमती सुनीता ध्रुव नें भी दौरा किया था तब भी शिक्षक को डेली डायरी संधारित किए जाने की बात कही गई थी।

दूसरी ओर संकुल समन्वयक साधे लाल अपने अवलोकन पंजी में लिखते हैं कि शिक्षकों द्वारा डेली डायरी संधारित किया जा रहा है मतलब साफ है कि ना तो संकुल समन्वयक साधे लाल पटेल नें शिक्षकों की डेली डायरी का अवलोकन ही नहीं किया है।
बावजूद इसके आज तक डेली डायरी संधारित नहीं किया जाना घोर उदासीनता को प्रदर्शित करता है।

बुद्धिजीवियों का कहना है कि ना तो विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी का अपने मातहत शिक्षकों, प्रधान पाठकों और संकुल समन्वयकों पर नियंत्रण हैं ना व्यवस्था पर नियंत्रण लाने कोई ठोस कदम उठाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बेमानी है।

बहरहाल जब प्रदेश के मुखिया के पास स्कूल शिक्षा विभाग हो,जिले से उप मुख्यमंत्री हो और संभाग से केंद्रीय राज्य मंत्री आते हो तब उच्च अधिकारियों को ऐसे कर्तव्य के प्रति उदासीन और लापरवाह कर्मचारियों को हटा कर योग्य कर्मचारियों को जिम्मेदारी देनी चाहिए ताकि शिक्षा विभाग और शासन की क्षवि धूमिल ना हो।