अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के पंचमदीक्षांत समारोह में राज्यपाल एवं CM हुए शामिल…..विभिन्न संकायों में प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 64 विषयों में विद्यार्थियों को 92 स्वर्ण पदक, 28 दानदाताओं द्वारा प्रदत्त स्मृति स्वर्ण पदक भी शामिल…. PHD के 48 शोधार्थियों को भी मिला उपाधि
बिलासपुर/ विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी ने आये हुये सभी अतिथियों का विश्वविद्यालय परिसर में स्वागत किया,इस मौके पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान प्रथम महिला रानी डेका काकोटी भी मौजूद रहीं। राज्यपाल डेका और मुख्यमंत्री साय ने विश्वविद्यालय के मार्ग का नाम ज्ञानपथ, अटल मुक्ताकाशी मंच और अटल सरोवर का लोकार्पण भी किया। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधे लगाये। इस अवसर पर केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री तोखन साहू, उप मुख्यमंत्री अरूण साव, विधायक धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, सुशांत शुक्ला, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति ए.डी. एन वाजपेयी सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी सहित विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत आज राज्यपाल रेमन डेका ने अपनी माताजी चंपावती डेका, न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा ने अपनी माता नलिनी मिश्रा व मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपनी माता जसमनी देवी के नाम पर पौधारोपण किया। केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने अपनी माताजी शांति देवी और उपमुख्यमंत्री श अरूण साव ने अपनी माताजी प्रमिला साव के नाम पर विश्विद्यालय के चरक उद्यान परिसर में रुद्राक्ष का पौधा रोपा।
उसके पश्चात दीक्षांत शोभायात्रा निकाली गई दीक्षांत शोभा यात्रा होने के पश्चात, राष्ट्रगान और कुलगीत का गायन हुआ, मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण किया गया।, आए हुए सम्माननीय राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री,उपमुख्यमंत्री एवं सभी विधायकों का कुलपति द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया।,विश्वविद्यालय की सुप्रसिद्ध पत्रिका।कन्हार न्यूज लेटर एवं अटल दृष्टि पुस्तक का भी विमोचन मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल द्वारा किया गया, कुलसचिव द्वारा दीक्षांत समारोह के शुभारंभ की घोषणा की गई तत्पश्चात् आचार्य डॉ. अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया…इस समारोह में सत्र 2022-23 के विभिन्न संकायों में प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले कुल 64 विषयों में विद्यार्थियों को कुल 92 स्वर्ण पदक प्रदान किये गये, जिनमें 28 दानदाताओं द्वारा प्रदत्त स्मृति स्वर्ण पदक भी शामिल है। पी.-एच.डी के 48 शोधार्थियों को उपाधि प्रदान की गई, सभी संकाय में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की कुल संख्या 35291 ,प्रदेश में यह प्रथम ऐसा विश्वविद्यालय है जिसमें 02 से 10 मेरिट में आने वाले विद्यार्थियों को प्राविण्य सूची प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए,
अत्यन्त हर्ष का विषय है कि अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर निरन्तर तीसरे वर्ष भी अपना दीक्षान्त समारोह का आयोजन कर रहा है।
इस समारोह को भव्यता और दिव्यता प्रदान करने के लिये मैं स्वागत करता हूँ महामहिम राज्यपाल श्री रमेन डेका, कुलाधिपति अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर, प्रदेश के अत्यंत संवेदनशील तथा सुशासन के राजदूत मुख्यमंत्री श्रद्धेय श्री विष्णु देव साय जी। अपने न्याय की लोकप्रियता के लिए प्रसिद्ध न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा जी, बिलासपुर लोकसभा के युवा सांसद और भारत सरकार के राज्यमंत्री श्री तोखन साहू जी। हमारे विश्वविद्यालय परिक्षेत्र की विभिन्न विधानसभाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले सम्माननीय विधायकगण अमर अग्रवाल, धरम लाल कौशिक, धरमजीत सिंह, सुशांत शुक्ला, अटल श्रीवास्तव, दिलीप लहरिया ।
प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतिगण भी हमारे निमंत्रण पर आज यहाँ उपस्थित हुए हैं, इनका भी स्वागत है, अभिनंदन है। विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्यगण, विद्यापरिषद के सदस्यगण, विभन्न महाविद्यालय के प्राचार्य-आचार्य भी इस समारोह के साक्षी बने हुए हैं, उनका भी स्वागत है।
आज इस दीक्षांत समारोह में चार मानद उपाधियाँ प्रदान की जाएंगी जिसमें कि विश्वविद्यालय के लिए सौभाग्य का विषय है कि इसरो के चेयरमेन डॉ. एस. सोमनाथ, पदेन सचिव, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ने विश्वविद्यालय की डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्राप्त करने की सहमती दी है, जिससे विश्वविद्यालय गौरवान्वित हो रहा है। अत्यंत प्रसन्नता एवं गर्व है कि विश्वविद्यालय न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा जी को पी. एच.डी. की मानद उपाधि से विभूषित कर रहा है, के साथ ही भारत की जैवविविधता की विशेषज्ञ डॉ. धृति बनर्जी, निदेशक जूलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से विभूषित कर रहा है।
इस विश्वविद्यालय के लिए यह भी गौरव का विषय है कि जो अनुसंधान का कार्य पिछड़ा हुआ था, उसमें विश्वविद्यालय काफी प्रगति की है। और इस दीक्षांत में 48 शोधार्थियों को पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान कर रहा है।
कुलपति आचार्य बाजपेयी ने अपने भाषण मे कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पे स्थापित ये विश्वविद्यालय यद्यपि अपनी आयु के अनुसार काफी छोटा है फिर भी इसकी महत्वकांक्षाएं काफी व्यापक हैं। अटल
बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय ने जब से कोनी स्थित अपने स्वच्छ एवं सुरम्य परिसर में 2022 में प्रवेश किया है तब से अकादमिक, प्रशासनिक, अधोसंरचनात्मक, परीक्षा, वित्तीय, छात्र, अध्यापक, अधिकारी एवं कर्मचारी कल्याण, समाज के साथ संबंध और सरोकार, प्रकाशन, स्वावलम्बन, इत्यादि क्षेत्रों में आशातीत उपलब्धियां प्राप्त की है। विश्वविद्यालय अपने भावी उन्नयन के लिए अत्यंत सजग है और उसके लिए भी नित नूतन योजनाओं का निर्माण कर रहा है।मैं पुनः इस समारोह में पधारे हुए समस्त अतिथियों, विद्यार्थियों एवं मीडिया से जुडे हुए बंधुओं का स्वागत करता हूँ, तथा इस समारोह को सफल बनाने में संलग्न अपने विश्वविद्यालय के समस्त सहकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा का प्रस्तावित भाषण
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर छत्तीसगढ़ के पांचवें दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनना मेरे लिए बेहद खुशी की बात है। राज्य के माननीय राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री रमेन डेक्का, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला रानी डेका काकोटी, छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, माननीय उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, श्री तोखन साहू, केंद्रीय राज्य मंत्री, राज्य विधान सभा के आदरणीय निर्वाचित प्रतिनिधि, श्री अमर अग्रवाल, श्री सुशांत शुक्ला, श्री धर्मजीत सिंह, श्री धरमलाल कौशिक, श्री अटल श्रीवास्तव, श्री दिलीप लहरिया, विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेयी, रजिस्ट्रार श्री शैलेंद्र दुबे, विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद एवं शैक्षणिक परिषद के सदस्य, प्राचार्य, संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी, मीडियाकर्मी एवं प्रिय छात्र-छात्राएं। इस समारोह के आरंभ में मैं माननीय कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेयी के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जिन्होंने मुझे दीक्षांत समारोह में भाषण देने तथा विश्वविद्यालय की सफलता की गाथाओं को देखने के लिए आमंत्रित किया।
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर के 5वें दीक्षांत समारोह के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी को संबोधित करना मेरे लिए बहुत सम्मान और सौभाग्य की बात है। आज का दिन आपके जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, एक ऐसा दिन जो आपकी कड़ी मेहनत, दृढ़ता और एक नए अध्याय की शुरुआत का जश्न मनाता है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि विश्वविद्यालय के कुलपति के कुशल मार्गदर्शन में पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय ने तेजी से विकास किया है। इसे भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा शैक्षणिक और प्रशासनिक विकास केंद्र के रूप में मान्यता दी गई है, जो विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए जाने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता को दर्शाता है। यह अनुसंधान की दृढ़ता ही है जिसने इसे भारतीय विज्ञान कांग्रेस द्वारा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर चैप्टर का दर्जा दिलाया है। नवीन प्रथाओं का पोषण करना विश्वविद्यालय द्वारा किए जाने वाले मौन कार्य हैं जो शिक्षा और प्रशासन के संदर्भ में विश्वविद्यालय के विकास में स्पष्ट हैं। विश्वविद्यालय ने छात्रों को खेल, सामाजिक सेवाओं और एनएसएस जैसे सभी मोर्चों पर समान अवसर प्रदान किए हैं और परिवेशी शिक्षण वातावरण प्रदान किया है।सबसे पहले, मैं डॉक्टर ऑफ साइंस, डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी, अन्य डॉक्टरेट डिग्री, पोस्ट ग्रेजुएट और अंडर ग्रेजुएट डिग्री के साथ-साथ स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सभी मानद उपाधियों को हार्दिक बधाई देता हूँ। आपकी लगन और प्रतिबद्धता ने आपको इस उपलब्धि के दिन तक पहुँचाया है, और यह हम सभी के लिए आपकी सफलता पर गर्व करने का क्षण है। आपने न केवल अपने परिवारों और शिक्षकों को गौरवान्वित किया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक शानदार उदाहरण पेश किया है। जैसे-जैसे आप एक नई यात्रा की दहलीज पर खड़े हैं, मैं आपके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ। जिस दुनिया में आप कदम रख रहे हैं, वह अवसरों और चुनौतियों से भरी है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इन सभी को उसी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ाएँगे, जिसने आपको आज यहाँ तक पहुँचाया है। याद रखें, आपने जो शिक्षा प्राप्त की है, वह केवल एक डिग्री नहीं है, बल्कि एक ऐसा साधन है जो आपको अपना भाग्य बनाने और समाज में सार्थक योगदान देने में मदद करेगा। हालाँकि, कानून के क्षेत्र में शिक्षा नीतियों के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी आती हैं। प्राथमिक चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि प्रस्तावित परिवर्तन केवल सैद्धांतिक न हों बल्कि कानूनी शिक्षा और अभ्यास में व्यावहारिक, वास्तविक दुनिया में सुधार में तब्दील हों। अधिक समग्र और एकीकृत पाठ्यक्रम में संक्रमण के लिए संस्थागत जड़ता पर काबू पाने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सभी हितधारक- शिक्षक, छात्र,व्यवसायी-नई दृष्टि के साथ हैं। इसके अलावा, नीति अनुसंधान और नवाचार के महत्व पर जोर देती है। जबकि यह एक सकारात्मक विकास है, इसके लिए अत्याधुनिक कानूनी अनुसंधान का समर्थन करने और वैश्विक प्रगति के साथ तालमेल रखने के लिए संसाधनों और बुनियादी ढांचे में पर्याप्त निवेश की भी आवश्यकता है। विभिन्न क्षेत्रों और संस्थानों में इन संसाधनों तक समान पहुँच सुनिश्चित करना एक और चुनौती है जिसका हमें समाधान करना चाहिए। इन चुनौतियों के बावजूद, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उच्च शिक्षा के साथ-साथ कानूनी क्षेत्र में विकास और उन्नति के लिए कई अवसर भी खोलती है। आप जैसे छात्रों के लिए, यह नीति अधिक गतिशील और व्यापक शैक्षिक ढांचे से जुड़ने का मौका देती है। ढांचे के भीतर प्रौद्योगिकी, अंतःविषय सीखने और व्यावहारिक प्रशिक्षण का एकीकरण आपको तेजी से विकसित हो रहे कानूनी माहौल में कामयाब होने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने का वादा करता है। इसके अलावा, यह शिक्षा में नैतिकता और मूल्यों के महत्व पर जोर देता है। भावी पेशेवरों के रूप में, आपके पास एक ऐसी प्रणाली में योगदान करने का अवसर होगा जो न्याय, निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखती है – ऐसे मूल्य जो समग्र सामाजिक ढांचे में कानून के शासन और सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।न्यायाधीशों और कानूनी पेशेवरों के रूप में, हम नई शुरू की गई नीति के लक्ष्यों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायपालिका न केवल कानून को बनाए रखे बल्कि बदलते शैक्षिक और व्यावसायिक परिदृश्य के अनुकूल भी हो। इसका मतलब है कि कानूनी प्रणाली के भीतर पारदर्शिता, जवाबदेही और पहुँच को बढ़ावा देने वाले सुधारों को अपनाना। इसके अलावा, न्यायपालिका की भूमिका शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देने में है ताकि व्यावहारिक प्रशिक्षण और शोध के अवसरों के लिए मार्ग तैयार किए जा सकें। साथ मिलकर काम करके, हम कानूनी सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाट सकते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि कानूनी पेशेवरों की अगली पीढ़ी एक जटिल और विकसित कानूनी परिदृश्य की माँगों को पूरा करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। मुझे आगे बढ़ने के लिए कुछ विचार और सुझाव साझा करने की अनुमति दें। सबसे पहले, सीखना कभी बंद न करें। ज्ञान की खोज एक आजीवन प्रयास होना चाहिए। इस तेजी से बदलती दुनिया में, अपडेट रहना और अपने क्षितिज का लगातार विस्तार करना महत्वपूर्ण है। नई तकनीकों को अपनाएँ, विभिन्न दृष्टिकोणों के लिए खुले रहें और विकसित परिदृश्य के अनुकूल बनें। दूसरा, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और सहानुभूति के मूल्यों को बनाए रखें। आपके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में, ये मूल्य जटिल परिस्थितियों में आपका मार्गदर्शन करेंगे और आपको दूसरों का सम्मान और विश्वास अर्जित करने में मदद करेंगे। सफलता का मापदंड सिर्फ़ यह नहीं है कि आप क्या हासिल करते हैं, बल्कि यह भी है कि आप इसे कैसे हासिल करते हैं। आइए उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर विचार करने के लिए कुछ समय निकालें। हालाँकि हमने महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी कई चुनौतियाँ हैं जिनका समाधान किया जाना चाहिए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में, एक चिंता का विषय बनी हुई है। वैश्विक प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए अनुसंधान और नवाचार में अधिक निवेश की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, पाठ्यक्रम को उद्योग की आवश्यकताओं के साथ और अधिक संरेखित करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्नातक नौकरी के लिए तैयार हैं। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के स्नातकों के रूप में, आप इस परिवर्तनकारी दृष्टि के पथप्रदर्शक हैं। मैं आपसे उच्च शिक्षा की भावना को अपनाने और परिवर्तन के वाहक बनने का आग्रह करता हूँ। नवाचार को आगे बढ़ाने, सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने और राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए अपनी शिक्षा का उपयोग करें। अंत में, मैं आप सभी को अपनी बधाई दोहराना चाहूँगा। आपने इस मील के पत्थर तक पहुँचने के लिए अथक परिश्रम किया है, और आप सभी प्रशंसा के हकदार हैं। जैसे ही आप दुनिया में कदम रखेंगे, इस प्रतिष्ठित संस्थान में अपने समय के दौरान सीखे गए मूल्यों और सबक को अपने साथ लेकर चलें। अपनी आकांक्षाओं में साहसी बनें, अपने कार्यों में दयालु बनें, और उत्कृष्टता की खोज में दृढ़ रहें। आपकी आगे की यात्रा सफलता, खुशी और संतुष्टि से भरी हो। याद रखें, यह तो बस शुरुआत है। भविष्य में अनंत संभावनाएँ हैं, और मुझे कोई संदेह नहीं है कि आप उनका भरपूर लाभ उठाएँगे।
माननीय राज्यपाल महोदय कहा कि माननीय न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा, न्यायाधीश, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली, जो आज के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि हैं और जिन्होंने दीक्षांत भाषण दिया, विशिष्ट अतिथि श्रीमती रानी डेका काकोटी, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला, छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, माननीय उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, माननीय श्री तोखन साहू, आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री, विशिष्ट अतिथि जो छत्तीसगढ़ विधान सभा के निर्वाचित सदस्य हैं श्री अमर अग्रवाल, श्री सुशांत शुक्ला, श्री धर्मजीत सिंह, श्री धरमलाल कौशिक, श्री अटल श्रीवास्तव, श्री दिलीप लहरिया, विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेयी, रजिस्ट्रार श्री शैलेंद्र दुबे, विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद और शैक्षणिक परिषद के सदस्य, प्राचार्य, संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी, मीडियाकर्मी और प्रिय छात्र। सबसे पहले, मैं डॉक्टर ऑफ साइंस, डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी, अन्य डॉक्टरेट डिग्री, पोस्ट ग्रेजुएट और अंडरग्रेजुएट डिग्री के साथ-साथ स्वर्ण पदक की मानद उपाधियों के सभी प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं। जैसा कि हम इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर को चिह्नित करने के लिए एकत्र हुए हैं, यह हमारे राज्य के शैक्षिक परिदृश्य को नया रूप देने वाले परिवर्तनकारी परिवर्तनों पर विचार करने का भी एक उपयुक्त क्षण है। मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय की स्थापना 2012 में एक राज्य विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी ताकि छात्रों की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
मुझे बताया गया है कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के केन्द्रीय विश्वविद्यालय में तब्दील हो जाने के बाद महाविद्यालयों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वर्ष 2012 में इस विश्वविद्यालय की स्थापना एक राज्य विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी। नव स्थापित विश्वविद्यालय ने सम्बद्ध महाविद्यालयों की परीक्षाओं के संचालन की चुनौती को सफलतापूर्वक पूरा किया है तथा राज्य में परीक्षा संचालन एवं परिणाम घोषणा में अग्रणी बना हुआ है। विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालय संघ का सक्रिय सदस्य है। AIU ने शैक्षणिक एवं प्रशासनिक मानव संसाधन में प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालय को शैक्षणिक एवं प्रशासनिक विकास केन्द्र के रूप में मान्यता दी है। विश्वविद्यालय को इसकी शोध आधारित गतिविधियों के कारण भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ द्वारा छत्तीसगढ़ के लिए बिलासपुर चैप्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हाल ही में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा विश्वविद्यालय को अध्ययन केन्द्र के रूप में मान्यता दी गई है। विश्वविद्यालय में शुरू की गई नवीन प्रथाओं में शामिल हैं – सर्वश्रेष्ठ छात्र/शिक्षक/कर्मचारी/अधिकारी पुरस्कार, विश्वविद्यालय ने RUSA के तहत एक ऊर्ध्वाधर अंतरिक्ष वास्तुकला का उपयोग करके विकलांग विद्यार्थियों के लिए एक अच्छी तरह से डिज़ाइन और सुविधाजनक बुनियादी ढाँचा विकसित किया है। भवन विस्तार अभी भी प्रगति पर है, विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता दिवस पर स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को सम्मानित करने की पहल की है, स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ राज्य के 75 शहीदों की स्मृति में एक स्मारक बनाया है, कन्हार, अटल दृष्टि का नियमित प्रकाशन, भारत के प्रमुख संस्थानों के साथ 50 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर, संकाय के लिए स्टार्ट-अप अनुसंधान अनुदान उनके बीच अनुसंधान अभिविन्यास को बढ़ावा देने के लिए। इसने 4 शोधपीठों की स्थापना की है जो स्थानीय राज्य की संस्कृति और सामाजिक आवश्यकता के लिए प्रासंगिक हैं। विश्वविद्यालय द्वारा की गई ऐसी ही एक पहल शनिचरी, बिलासपुर में गांधी स्मारक के रखरखाव की जिम्मेदारी है। इसने युवा दिमागों द्वारा पोषित अभिनव विचारों के लिए स्टार्ट अप इकोसिस्टम को आश्रय देने के लिए ABVV बिलासपुर इनक्यूबेशन फाउंडेशन की स्थापना की है। विश्वविद्यालय को शिक्षा मंत्रालय द्वारा 20 करोड़ रुपये के PM-USHA अनुदान के लिए मान्यता प्राप्त है। विश्वविद्यालय छात्रों के परिवेशगत समग्र विकास के लिए NSS गतिविधियों को बढ़ावा देता है। प्रिय विश्वविद्यालय केवल शिक्षा के संस्थान नहीं हैं; वे ऐसे संस्थान हैं जिनमें हमारी दुनिया के भावी नेता, विचारक और नवप्रवर्तक गढ़े जाते हैं। ज्ञान की खोज में वे केवल सूचना का हस्तांतरण नहीं कर रहे हैं – वे दिमाग बदल रहे हैं और दिल खोल रहे हैं। उच्च शिक्षा केवल कौशल हासिल करने के बारे में नहीं है; यह दृष्टिकोण का विस्तार करने और हमारी दुनिया की जटिलताओं को समझने के बारे में है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि विश्वविद्यालय तेजी से बदल रहे विश्व में नवाचार और प्रगति के उत्प्रेरक हैं, तकनीकी प्रगति और सामाजिक बदलाव अभूतपूर्व गति से हो रहे हैं, विश्वविद्यालय नए विचारों और खोजों के लिए प्रजनन भूमि के रूप में कार्य करते हैं। ग्राउंड ब्रेकिंग रिसर्च से लेकर वैश्विक चुनौतियों के लिए अग्रणी समाधान तक, इन संस्थानों की दीवारों के भीतर किए गए कार्य अक्सर अगली बड़ी छलांग के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं। स्नातक के रूप में, अब आप नवाचार की इस विरासत का हिस्सा हैं। आपकी शिक्षा ने आपको आलोचनात्मक रूप से सोचने, यथास्थिति पर सवाल उठाने और प्रगति में सार्थक योगदान देने के लिए उपकरण प्रदान किए हैं। विश्वविद्यालय हमारे सामूहिक ज्ञान और संस्कृति के संरक्षक हैं- वे ऐसे स्थान हैं जहाँ इतिहास को संरक्षित किया जाता है, जहाँ साहित्य का विश्लेषण किया जाता है और जहाँ कलाओं का जश्न मनाया जाता है। अपने अध्ययन के माध्यम से, आपने विचारों के विविध क्षेत्रों से जुड़े हैं, मानवता की अपनी समझ को समृद्ध किया है और दुनिया की सांस्कृतिक ताने-बाने के लिए गहरी प्रशंसा विकसित की है। यह बौद्धिक और सांस्कृतिक समृद्धि केवल एक अकादमिक अभ्यास नहीं है; यह एक ऐसी नींव है जिस पर एक अधिक सूचित और सहानुभूतिपूर्ण समाज का निर्माण होता है। नेतृत्व और नैतिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय आवश्यक हैं- ईमानदारी, दृढ़ता और सामाजिक जिम्मेदारी के मूल्य अकादमिक अनुभव के लिए केंद्रीय हैं। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में आपके समय ने न केवल आपको अपने चुने हुए विषयों को सिखाया है, बल्कि अपने ज्ञान का उपयोग अधिक से अधिक अच्छे के लिए करने के महत्व पर भी जोर दिया है। अपने संबंधित क्षेत्रों में नेताओं के रूप में, यह जरूरी है कि आप इन मूल्यों को आगे बढ़ाएं और उन्हें उन तरीकों से लागू करें जो हमारे समुदायों और हमारी दुनिया को लाभान्वित करते हैं।अंत में, विश्वविद्यालय समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न पृष्ठभूमि और दृष्टिकोणों से व्यक्तियों को एक साथ लाते हैं, जिससे संवाद और समझ के लिए एक समृद्ध वातावरण बनता है। विचार और अनुभव की यह विविधता आज हमारे सामने आने वाली बहुआयामी चुनौतियों का समाधान करने के लिए महत्वपूर्ण है। स्नातकों के रूप में, आप अब इस समावेशिता के राजदूत हैं, और समझ और सहयोग को बढ़ावा देने में आपका योगदान एक अधिक न्यायसंगत और एकजुट समाज को आकार देने में सहायक होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के रूप में भारत सरकार शिक्षा के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका उद्देश्य हमारे युवाओं को तेजी से गतिशील दुनिया में पनपने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करना है। छत्तीसगढ़ के लिए, यह नीति प्रगतिशील सुधारों की एक लहर लाती है जो हमारे अपने अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय सहित हमारे शैक्षणिक संस्थानों पर गहरा प्रभाव डालने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की आधारशिला उपलब्धियों में से एक प्रारंभिक बचपन की शिक्षा पर इसका जोर है। यह पहल छत्तीसगढ़ के लिए वरदान है, जहाँ हमें पारंपरिक रूप से गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। प्रारंभिक बचपन की देखभाल को प्राथमिक शिक्षा के साथ एकीकृत करके, नीति का उद्देश्य हमारे सबसे कम उम्र के शिक्षार्थियों को एक मजबूत आधार प्रदान करना है, जो उन्हें शैक्षणिक और व्यक्तिगत सफलता की ओर अग्रसर करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के तहत, पुनर्गठित पाठ्यक्रम समग्र, लचीला और बहु-विषयक है। यह नया ढांचा छात्रों को विभिन्न विषयों और अनुशासनों का पता लगाने, आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता और व्यावहारिक कौशल को बढ़ावा देने की अनुमति देता है। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय और पूरे छत्तीसगढ़ में हमारे छात्रों के लिए, इसका मतलब एक अधिक आकर्षक और प्रासंगिक शैक्षिक अनुभव है जो उनकी करियर आकांक्षाओं और रुचियों के साथ संरेखित होता है। मुख्य उद्देश्य शिक्षा में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी क्षमता को पहचानना है। छत्तीसगढ़ में, जहाँ कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधन कभी-कभी एक चुनौती हो सकते हैं, नीति का प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर जोर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच में अंतराल को पाटने का वादा करता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन संसाधन और वर्चुअल लर्निंग वातावरण की स्थापना हमारे छात्रों को बेहतर सीखने के लिए मूल्यवान उपकरण और अवसर प्रदान करेगी। यह एक ऐसा राज्य है जहाँ सांस्कृतिक विविधता एक परिभाषित विशेषता है, यह दृष्टिकोण हमें अपनी समृद्ध विरासत का जश्न मनाने और शैक्षिक अनुभव में एकीकृत करने की अनुमति देता है। यह छात्रों के बीच पहचान और गौरव की भावना को बढ़ावा देता है जबकि हमारी अनूठी सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण को बढ़ावा देता है। जैसा कि हम अपने स्नातकों की सफलता का जश्न मनाते हैं, हमें छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा द्वारा पिछले कुछ वर्षों में की गई पर्याप्त प्रगति को स्वीकार करना चाहिए। हमारे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने और शैक्षणिक कार्यक्रमों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों ने इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की है और हमारे युवाओं के बौद्धिक और व्यावसायिक विकास में योगदान दिया है।शिक्षा कार्यक्रमों को वास्तविक दुनिया की आवश्यकताओं के साथ जोड़ने के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। उद्योग के साथ साझेदारी छात्रों को व्यावहारिक अनुभव, इंटर्नशिप और नौकरी की नियुक्ति प्रदान कर सकती है, जिससे शिक्षा से रोजगार में उनका संक्रमण आसान और अधिक प्रभावी हो सकता है। प्यारे दोस्तों! हमें पूरे राज्य में शैक्षिक बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्नत सुविधाओं, डिजिटल संसाधनों और नवीन शिक्षण उपकरणों में निवेश करने से ऐसा माहौल बनेगा जो सीखने और रचनात्मकता को बढ़ावा देगा। पाठ्यक्रम को न केवल गतिशील और उभरते रुझानों और प्रौद्योगिकियों के प्रति उत्तरदायी होने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा की समृद्ध विरासत को भी शामिल करना चाहिए। शैक्षणिक कार्यक्रमों में सॉफ्ट स्किल्स, आलोचनात्मक सोच और वास्तविक दुनिया की समस्या-समाधान को शामिल करने से हमारे स्नातक भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर ढंग से तैयार होंगे। हमें अपने शिक्षकों को उनके विषयों में सबसे आगे रखने के लिए मजबूत संकाय विकास कार्यक्रम स्थापित करने की आवश्यकता है। निष्कर्ष रूप में, छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा का भविष्य संभावनाओं से भरा है। इन चुनौतियों का समाधान करके और आवश्यक सुधारों को लागू करके, हम एक ऐसी उच्च शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं जो न केवल हमारे छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा करे बल्कि हमारे राज्य और राष्ट्र के समग्र विकास में भी योगदान दे। एक बार फिर, मैं डिग्री और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, विष्णु देव साय का संभाषण
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत समारोह के अध्यक्ष माननीय राज्यपाल (छ.ग.) एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रमेन डेका, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला रानी डेका काकोटी, मुख्य अतिथि, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली, उपमुख्यमंत्री अरूण साव, विशिष्ट अतिथि तोखन साहू, सांसद, बिलासपुर संसदीय क्षेत्र, आवास एवं शहरी मामले राज्यमंत्री, भारत सरकार, छत्तीसगढ़ विधानसभा के सम्माननीय सदस्यगण- अमर अग्रवाल, सुशांत शुक्ला, धर्मजीत सिंह, धरमलाल कौशिक, अटल श्रीवास्तव, दिलीप लहरिया, विश्वविद्यालय के कुलपति, आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी, कुलसचिव शैलेन्द्र दुबे, एवं विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद् एवं विद्यापरिषद् के सदस्यगण, प्राचार्यगण, अध्यापक वृन्द, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, मीडिया के बन्धुगण अन्य सम्माननीय अतिथिगण एवं प्रिय छात्र-छात्राओं।
सर्वप्रथम मैं दीक्षांत समारोह में (डी.एस.सी. तथा पी.एच.डी.) मानद उपाधि एवं अन्य उपाधि प्राप्त
करने वाले तथा स्वर्ण पदक से अलंकृत होने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को बधाई देता हूँ एवं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। ये विश्वविद्यालय भारत वर्ष के यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से सम्बद्ध है, जो
कि हम सभी के प्रेरणास्त्रोत है। इस विश्वविद्यालय से 41 शासकीय एवं 81 अशासकीय महाविद्यालय सम्बद्ध हैं जहाँ विभिन्न स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा शोध पाठ्यक्रम संचालित हैं, जिनमें गत सत्र में 1,21,321 विद्यार्थी सम्मिलित हुये, फलस्वरूप इस क्षेत्र अंतर्गत स्थित जिलों के शिक्षा के प्रसार और विकास में, इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों तथा विद्यार्थियों का योगदान प्रशंसनीय है।
मेरे लिए यह हर्ष का विषय है कि इस दीक्षांत समारोह के माध्यम से मुझे प्रतिभाशाली युवाओं के बीच में आने, उनसे अपने विचार साझा करने, उनकी उम्मीदें साझा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।
मेरे युवा साथियों! यह एक सुयोग है कि इस वर्ष देश विकसित भारत@2047 के संकल्प हेतु क्रियाशील है और मैं आश्वस्त हूँ कि इस दीक्षांत समारोह के बाद, इस संस्थान के प्रतिभाशाली युवा अपनी रूचि के क्षेत्रों में अपना और अपने विश्वविद्यालय का नाम रौशन करते हुए, इस संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देगे।
यह विश्वविद्यालय अपने नवाचारो से, राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों हेतु एक उदाहरण बनता जा रहा है। अपने सीमित संसाधनो के बावजूद विश्वविद्यालय सही समय पर परीक्षा परिणाम घोषित करने में निरंतर अग्रणी रहा है, जिसके लिए मैं कुलपति एवं समस्त विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूँ।
मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि PM-USHA के अंतर्गत विश्वविद्यालय को 20 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है जो प्रशंसनीय है तथा इससे विश्वविद्यालय की अधोसंरचना का विस्तार उच्च शिक्षा के स्तर को अत्यधिक लाभान्वित करेगा पैसी इस प्रदेश की अपेक्षा है।
विश्वविद्यालय को अब भारतीय परंपरा की प्रतिष्ठित तक्षशिला, नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों को अपना आदर्श मानते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रमों में प्रोत्साहन देना है।
भारत हमेशा से ज्ञान के क्षेत्र में विश्वगुरू रहा है। हमे पुनः विश्वविद्यालयों को उस प्रतिष्ठा तक पहुँचाने मे प्रयासरत होना है। हमें वही प्रतिष्ठा फिर से अर्जित करने हेतु हमारे शिक्षण संस्थानों को विश्व स्तरीय बनाना होगा।
आपके विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य भगवद्गीता से लिया गया है “योगः कर्मसु कौशलम” अपने आप में योग है। कौशल आपको आपकी अपनी क्षमताओं से परिचित कराता है जो शिक्षा आपने अर्जित की है उसे अपने लिए और अपने समाज, राष्ट्र के हित में, उपयोग में लाएं, यही कौशल है।
प्रिय युवा साथियों! राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 विख्यात विशेषज्ञों द्वारा लंबे और व्यापक विचार विमर्श
के बाद बनाई गई है। यह शिक्षा नीति भावी परिदृश्य को ध्यान में रख कर बनाई गई है। इसमें उच्च शिक्षा संस्थानों को उनकी क्षमता के अनुसार स्वायत्तता दी गई है। विद्यार्थियों को रुचि के विषय चुनने के पर्याप्त विकल्प है। हाल में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक साथ दो उपाधि प्राप्त करने के लिए भी स्वीकृति दे दी है जिसे इस विश्वविद्यालय के द्वारा भी लागू किया जा चुका है। इसका लाभ भी छात्रों को लेना चाहिए।
विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का टापू बनकर न रहे, समाज से सरोकार रहे, समाज एवं राष्ट्र में
विश्वविद्यालय का योगदान हो, ऐसी शिक्षण पद्धति हो, रचनाएं हो तथा शोध हो। आधुनिक युग में युवा पीढ़ी शिक्षित तो हो रही है परन्तु संस्कारों से विलग हो रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश अपनी विशेष संस्कृति हेतु जानी जाती है, अतः छात्रों को संस्कार मूलक शिक्षा देने की व्यवस्था होनी चाहिए। विश्वविद्यालय से ऐसी अपेक्षा है।आप सभी मेधावी छात्रों का भावी जीवन स्वस्थ और सफल हो। आप अपने अभिभावकों और गुरुजनों की अपेक्षाओं को पूरा करें। अपने संस्थान का नाम रोशन करे, यहां से अर्जित शिक्षा का लाभ राष्ट्र और समाज को प्रदान करें। मेरी यही शुभकामना है।
के कुलाधिपति श्री रमेन डेका, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी, मुख्य अतिथि, न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा, न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली, माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, श्री विष्णुदेव साय जी, माननीय उपमुख्यमंत्री श्री अरूण साव, छत्तीसगढ़ विधानसभा के सम्माननीय सदस्यगण श्री अमर अग्रवाल, श्री सुशांत शुक्ला, श्री धर्मजीत सिंह, श्री धरमलाल कौशिक, श्री अटल श्रीवास्तव, श्री दिलीप लहरिया, विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी, कुलसचिव श्री शैलेन्द्र दुबे, एवं विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद् एवं विद्यापरिषद् के माननीय सदस्यगण, प्राचार्यगण, अध्यापक वृन्द, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, मीडिया के
बन्धुगण अन्य सम्माननीय अतिथिगण एवं प्रिय छात्र-छात्राओं ।
सर्वप्रथम मैं दीक्षांत समारोह में (डी.एस.सी. तथा पी.एच.डी.) की मानद उपाधिएवं अन्य उपाधि प्राप्त करने वाले, स्वर्ण पदक से अलंकृत होने वाले मेधावी छात्रा-छात्राओं को बधाई देता हूँ एवं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
श्री तोखन साहू जी केंद्रीय मंत्री
प्रिय विद्यार्थियों!
सबसे पहले, मैं आप सभी को 5वें दीक्षांत समारोह के इस महत्वपूर्ण अवसर पर हार्दिक बधाई देता हूँ। यह दिन न केवल आपकी कठिन परिश्रम और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि आपकी शिक्षा यात्रा का एक अहम मील का पत्थर भी है। मैं विशेष रूप से उन सभी स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को बधाई देता हूँ जिन्होंने आज अपनी डिग्री प्राप्त की है। यह आपकी मेहनत, आपकी दृढ़ता और आपके अद्वितीय समर्पण का प्रमाण है।
विश्वविद्यालय सतत् अपनी गतिविधियों से, जनसामान्य से, उच्च शिक्षा को जोड़ता आ रहा है। विश्वविद्यालय के नवल प्रयासों में विश्वविद्यालय द्वारा गांधी
चबूतरे परिसर का रख-रखाव छत्तीसगढ़ के 75 स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों का स्मारक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, द्वारा संस्कृत केन्द्र का विश्वविद्यालय में स्थापित होना राज्य स्तर पर NEP को लागू करने मे अग्रणी भूमिका निभाना, PM-USHA के तहत 20 करोड़ का अनुदान प्राप्त करना, जैसी अनगिनत उपलब्धियाँ विश्वविद्यालय को गौरान्वित कर रही है, विश्वविद्यालय के
प्रकाशन कन्हार, अटल दृष्टि भी प्रशंसनीय हैं।
आज, इस अवसर पर, मैं उन सभी संस्थानों और महाविद्यालयों को भी बधाई
देना चाहता हूँ जो अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर से संबद्ध हैं। आपके निरंतर प्रयासों और समर्पण ने हमारे विद्यार्थियों को एक उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान की है और उन्हें जीवन के आगामी चरणों के लिए तैयार किया है। आप सभी का अथक प्रयास और शिक्षा के प्रति आपका जुनून ही हमारे विद्यार्थियों की सफलता की नींव है। इसी के साथ, मैं विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों, कर्मचारियों, और प्रशासनिक अधिकारियों को भी उनके निरंतर समर्पण और प्रयासों के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। आपके बिना यह संभव नहीं हो पाता।
आज आप एक नए चरण की ओर बढ़ रहे हैं। यह भविष्य की ओर बढ़ने का समय है, जहां आपके सामने अनगिनत अवसर और चुनौतियाँ होंगी। मैं आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ और आशा करता हूँ कि आप अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग न केवल अपने व्यक्तिगत विकास के लिए करेंगे, बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य और बिलासपुर के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे। जिस संस्थान में आपने शिक्षा प्राप्त की है, उस पर गर्व करें और उसका मान-सम्मान बनाए रखें।
इस तेजी से बदलते समय में, जब जनसंख्या बढ़ रही है और नई-नई कौशलों की मांग तेजी से बढ़ रही है, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने ज्ञान और कौशल को लगातार अद्यतन करते रहें। यह आवश्यक है कि आप समाज, हमारे राज्य, और विकसित भारत-2047 के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। आपको हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रतिस्पर्धा में कभी भी किसी को नुकसान न पहुंचे। आपके शिक्षकों ने जो नैतिक मूल्य और सिद्धांत आपको सिखाए हैं, उन्हें हमेशा अपने जीवन में संजोकर रखें।
छत्तीसगढ़ राज्य ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) को लागू किया गया है इसके लिये मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्यों को बधाई देता हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि यह नीति हमारी शिक्षा प्रणाली में
महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी, जिससे हमारे विद्यार्थियों को एक वैश्विक दृष्टिकोण मिलेगा और उन्हें अपनी क्षमता का अधिकतम उपयोग करने के लिए नए अवसर प्राप्त होंगे। यह नीति न केवल हमारे छात्रों को दुनिया की मांगों के साथ तालमेल बिठाने में सक्षम बनाएगी, बल्कि यह उन्हें उच्चतम स्तर पर सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित भी करेगी।
अंत में, मैं आपसे यही कहना चाहूंगा कि आप जो भी करें, उसे पूरी ईमानदारी, समर्पण और नैतिकता के साथ करें। आपके भविष्य में आने वाली चुनौतियाँ आपकी ताकत को परखेंगी, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि विश्वविद्यालय के ध्येय वाक्य “करूणा, अनुशासन उत्कृष्टता” का अनुस्मरण आप सभी को इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता रहेगा आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए, मैं एक बार फिर से आपको इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूँ। इसी के साथ, मैं विश्वविद्यालय और उससे जुड़े सभी संस्थानों को उनके निरंतर प्रयासों और विद्यार्थियों की शिक्षा के प्रति उनके समर्पण के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ।
माननीय उपमुख्यमंत्री श्री अरूण साव ने कहा कि
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत समारोह के अध्यक्ष माननीय राज्यपाल (छ.ग.) एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री रमेन डेका, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी, मुख्य अतिथि, न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा, न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली, माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, श्री विष्णुदेव साय जी, विशिष्ट अतिथि श्री तोखन साहू, माननीय सांसद, बिलासपुर संसदीय क्षेत्र, आवास एवं शहरी मामले राज्यमंत्री, भारत सरकार, छत्तीसगढ़ विधानसभा के सम्माननीय सदस्यगण- श्री अमर अग्रवाल, श्री सुशांत शुक्ला, श्री धर्मजीत सिंह, श्री धरमलाल कौशिक, श्री अटल श्रीवास्तव, श्री दिलीप लहरिया, विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी, कुलसचिव श्री शैलेन्द्र दुबे, एवं विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद् एवं विद्यापरिषद् के माननीय सदस्यगण, प्राचार्यगण, अध्यापक वृन्द, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, मीडिया के बन्धुगण अन्य सम्माननीय अतिथिगण एवं प्रिय छात्र-छात्राओं।
सर्वप्रथम मैं दीक्षांत समारोह में (डी.एस.सी. तथा पी.एच.डी.) की मानद उपाधिएवं अन्य उपाधि प्राप्त करने वाले, स्वर्ण पदक से अलंकृत होने वाले मेधावी छात्रा-छात्राओं को बधाई देता हूँ एवं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
आज के इस विशेष अवसर पर, मैं आपको 5वें दीक्षांत समारोह के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। यह दिन आप सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आपकी मेहनत, समर्पण और प्रयासों का प्रतीक है। आज, जब आप अपनी उपाधि प्राप्त कर रहे हैं, यह केवल आपकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि आपके परिवार, शिक्षकों और मित्रों के समर्थन और प्रोत्साहन का भी प्रमाण है।
वर्ष 2012 में स्थापना पश्चात् अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय ने परीक्षाओं का आयोजन एवं परिणामों की घोषण करने में अग्रणी रहा है जो छात्रहित के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मुझे यह जान कर प्रसन्नता हुई कि विश्वविद्यालय ने UGC-12B का स्टेटस प्राप्त करने के उपरांत PM-USHA का 20 करोड़ का अनुदान सफलता पूर्वक प्राप्त किया। यह निधि अधोरसंरचना के विस्तार हेतु नवस्थापित विश्वविद्यालयों हेतु अति महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीमित संसाधनों का उपयोग कर उत्कृष्टता हेतु प्रयत्नशील है। विश्वविद्यालय को संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा अध्ययन केन्द्र की मान्यता प्राप्त हुई है जो राज्य में अनोखी पहल है।
विश्वविद्यालय को भारतीय विज्ञान परिषद का छत्तीसगढ़ चैप्टर घोषित किया गया है यह गौरव की बात है। विश्वविद्यालय का और एक नूतन प्रयास है कि वह छ.ग. AI Centre of Excellence स्थापित करने हेतु लिए प्रयासरत है यह अत्यंत प्रशंसनीय हैं।
आज, जब आप अपने शिक्षा के इस महत्वपूर्ण चरण को पूरा कर रहे हैं, मैं आपको यह याद दिलाना चाहूंगा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है। यह जीवन के प्रति एक दृष्टिकोण है, जो हमें न केवल बेहतर पेशेवर बल्कि बेहतर इंसान बनने में भी मदद करता है। आप जहां भी जाएं, अपनी शिक्षा का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए करें। अपने ज्ञान और कौशल को समाज की भलाई के लिए समर्पित करें।