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चैत्र नवरात्रि में संवर रहा है पोंडी का माता मंगला गौरी मन्दिर….नौ अप्रैल से सत्रह अप्रैल तक गूंजेगा माता की जगराता

खासखबर बिलासपुर /रतनपुर- श्री मंगलागौरी धाम मन्दिर एवं शंकराचार्य आश्रम पोड़ी रतनपुर में चैत्र नवरात्रि महोत्सव की तैयारी जोरों पर है,इस नवरात्र सात विप्र जनों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए जाएंगे। नौ दिनों तक होने वाले नवरात्र उत्सव की तैयारियों में मन्दिर प्रबंधन जुटा हुआ है ,
गौरतलब है कि गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य अनन्त श्री विभूषित स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाभाग के कर कमलों से प्रतिष्टित मातारानी के इस मंदिर की महिमा दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रही है, वही सन्तान और सुहाग की वरदान देने वाली माता मंगलागौरी ,मङ्गल ग्रह की अधिष्ठात्री देवी भी है। सावन के मास में कुँवारी कन्याएं और माताएं ,पति की प्राप्ति और अखण्ड सुहाग के लिए व्रत करती है। इसकी माहात्म्य कथा भी है जिसको श्रवण किया जाता है। मन्दिर के गर्भगृह में माता जी नन्दी के ऊपर विराजित है और माता जी के गोद में उनके पुत्र श्री गणेश जी विराजित है जिसको माता जी ने एक हाथ से सँभाल रखा है और दूसरे हाथ अभय(वर)मुद्रा में है ।ऐसी दिव्य और अनुपम मूर्ति विश्व में कही नहीं है।मंगलागौरी मन्दिर के महंत एवम शंकराचार्य आश्रम के आचार्य पंडित रमेश शर्मा ने बताया कि माता मंगलागौरी की अद्भुत महिमा है,
** देश भर में मात्र तीन मन्दिर है,**
जानकारों के अनुसार पूरे भारत देश में मंगलागौरी के तीन मन्दिर स्थापित है पहला मन्दिर गया बिहार में है यहां माता का स्तन गिरा था इसलिए स्तनपाल और पालन हार पीठ कहा जाता है इस मंदिर में व्यक्ति अपने जीते जी अपना श्राद्ध कर्म कर सकता है। कहा जाता है कि गया जी पितरों के श्राद्ध इसलिए पूर्ण हो जाते है क्योंकि इस जगत के पालन हार के रूप मे प्रखंड पर माता जी के स्तन के चिन्ह विराजित है। दूसरा मन्दिर वाराणसी काशी में है ,पंचगंगा घाट काशी के चोटी में श्री मंगला गौरी मंदिर विराजित है इसी चोटी पर भगवान सूर्य ने भोलेनाथ की घोर तपस्या की थी ।और महादेव प्रगट हुए तथा मंगला गौरी के रूप में परिवर्तित हो गए । किवदंती अनुसार महादेव ने सूर्य से कहा कि सावन मास के मंगलवार को जो भी कुंवारी कन्याएं और माताएं मंगलवार के दिन माता मंगला गौरी की पूजन अर्चन ,व्रत आदि करेंगी तो उन्हें अखंड सुहाग की प्राप्ति होगी तथा निसन्तान लोगों को संतान की प्राप्ति होगी ।इस मंदिर में पंच देव है तथा विराजित विष्णु सोने की है भारत का तीसरा मंदिर रतनपुर के निकट पोड़ी ग्राम में स्थापित है इसकी स्थापना गोवर्धन मठ के 145 वे शंकराचार्य अनंत श्री विभूषित स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के कर कमलों से हुआ है इन तीनों को मंगल दोष के लिए सर्वोत्तम मंदिर माना जाता है जहां वर्षभर मंगली कन्या और युवकों का श्रद्धापूर्वक आना जाना लगा रहता है । देश विदेश के 351 श्रद्धालुओं के मनोकामना ज्योति कलश इस नवरात्र प्रज्वलित किए जाएंगे ,
नवरात्र भर भंडारा व भजन कीर्तन
मन्दिर में पूरे नवरात्र के नौ दिन तक आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था रहती है। विप्र जनों के द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ, श्री मद देवी भागवत पुराण, दुर्गा सहस्त्र नाम, ललिता सहस्त्र नाम, कनक धारा ,श्री सूक्त ,रामायण, आदित्य ह्रदय स्त्रोत ,राम रक्षा स्त्रोत, हनुमान चालीसा,विष्णु सहस्त्र नाम सहित भोलेनाथ के पाठ होंगे, मन्दिर में प्रदेश के मंत्री ,विधायक ,भारतीय सेवा अधिकारी सहित सभी के मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित होंगे जिसकी तैयारी में प्रबंधन सहित भक्तजन जुटे हुए है,

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