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पार्षदों की रजिस्ट्री समाप्त करने के मूड में है जनता….

नगर निगम के चुनाव में पहली बार से लेकर 25 सालों से कब्जा करने वाले नेता भी है मैदान में

पार्षद बनकर राजनीति चमकाने और दबदबा कायम रखने चुनाव मैदान में है प्रत्याशी

बिलासपुर। ग्राउंड जीरो से उन वार्डो में जहां पार्षद बनने ऐसे प्रत्याशी खड़े हुए हैं जो कई वर्षों से इस पद पर जमे हुए है । चाहे भाजपा हो या चाहे कांग्रेस पार्टी से हो या फिर चाहे वह निर्दलीय से क्यों न खड़े हुआ हो। या फिर दल बदल कर किसी और पार्टी में चले गए हो। जनता का साफ कहना है कि एक ही व्यक्ति को कितनी बार जिताएंगे कोई रजिस्ट्री थोड़ी है उनकी, भले प्रत्याशी में कोई बुराई न हो पर नए को मौका कैसे मिलेगा। हो सकता है नया पार्षद उससे भी बेहतर हो
जनता की ये सोच इस बार वर्षों से पार्षद बनते आ रहे कई नेताओं को संकट में डाल सकती है।रजिस्ट्री वाले पार्षदों की सूची में दोनों राष्ट्रीय पार्टी के नेताओं के साथ निर्दलीय लड़ रहे नेताओं का भी नाम शामिल है । जिन्हें वार्डवासियों को समझाने काफी मशक्कत करनी पड़ रही।देखना होगा कितने पार्षदों की रजिस्ट्री जनता करती है इस बार समाप्त

कई वर्षों से पार्षद लड़कर जवानी बुढ़ापे तक आ चुके है नेता

नगर निगम में ऐसे कई पार्षद पद के प्रत्याशी है जो जवानी में चुनाव लड़े थे और अब बुढ़ापा आने के बाद भी चुनाव लड़ने का लालच खत्म नहीं कर रहे है।ऐसे कई पार्षद है जो चुनाव लड़कर अपने वर्चस्व कायम रखना चाहते है ऐसे कई और प्रत्याशी है जो अपना नाम रुतबा और दबदबा कायम रखने के लिए चुनाव लड़ रहे है। कई प्रत्याशी सिर्फ नगर निगम में ठेकेदारी और राजनीति चमकाने के लिए चुनाव के मैदान में है।

पहली बार से लेकर 30 साल तक के कब्जे वाले पार्षद और उनके परिवार का परिवारवाद

कांग्रेस और भाजपा के अलावा नगर निगम का चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय प्रत्याशी भी ऐसे लोग है जो पहली बार चुनाव लड़ रहे है कई लोग तो लड़ लड़कर थक चुके है लेकिन फिर भी इसलिए लड़ रहे है कि वो कही विलुप्त न हो जाए। इसमें ऐसे कई लोग है जिनकी किस्मत में वार्ड आरक्षण का मामला सेट नहीं हो सका तो अपनी पत्नी और अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य को बलि का बकरा बना कर नगर निगम का चुनाव लड़ा कर मैदान में खड़े कर दिए है। ताकि किसी न किसी बहाने उनकी राजनीति चमकती रहे।

जनता बोली कितनी बार और क्यों बार बार उन्हीं को देंगे वोट….क्या किसी नए को नहीं मिलेगा मौका या फिर आजीवन पुराने का ही रहेगा कब्जा
नगर निगम के चुनाव को लेकर जब हमने लोगों से बात की तो पता चला कि कई लोग पार्षद बदलने के चक्कर में है तो कई लोग नए को मौका देना चाहते है तो कई मतदाता बोल रहे है कि आखिर सबको आजमाना चाहिए ताकि पता तो चले कि वाकई में कौन सच्चा है और कौन झूठा।
क्योंकि चुनाव लड़ने के दौरान वायदा तो सभी करते है लेकिन निभाने का काम सिर्फ गिने चुने लोग ही करते है।इसके अलावा चुनाव जीतने के लिए जिस तरीके से पैर पड़ना और गले मिलना प्रणाम करने का सिलसिला जारी है वह भी इन दिनों जनता सब कुछ देख रही है । और जनता यह भी देख रही है कि चुनावी आशीर्वाद लेने का तरीका सिर्फ मौका में राजनीति करने वालो को खूब आता है।

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