पूर्व मेयर को कारण बताओ नोटिस जारी
कांग्रेस भवन में बैठक में हुए विवाद पर मिला नोटिस
जिले के प्रभारी सुबोध हरितवाल से हुई थी तीखी बहस,तू तू मैं मैं में बन गया था माहौल
कांग्रेसी वीडियो बनाने और मजे लेने में रहे व्यस्त
बिलासपुर । कांग्रेस भवन के अंदर कांग्रेस पीसीसी अध्यक्ष के सामने हुई गाली-गलौज और बवाल का मामला इन दिनों प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। बुधवार को हुए इस घटना में पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री सुबोध हरितवाल के बीच तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी। इस विवाद के बाद जिला शहर कांग्रेस कमेटी ने राजेश पाण्डेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उनसे स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
दरअसल यह विवाद कांग्रेस भवन में एक बैठक के दौरान हुआ, जिसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के समक्ष प्रदेश महामंत्री और शहर प्रभारी सुबोध हरितवाल की मौजूदगी में पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय के साथ तीखी बहस छिड़ गई। बहस इतनी बढ़ गई कि बात गाली-गलौज तक पहुंच गई। बैठक के बाद दोनों नेताओं के बीच टकराव और बढ़ गया, जिसके बाद दोनों ने एक दूसरे पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया। बातो ही बातो में दोनों नेताओं ने अपना आपा खो दिया और
एक दूसरे को गाली
गलौच तक दे दिए।जिसके कारण कांग्रेस
भवन का माहौल और ज्यादा गरम हो गया।
देखते ही देखते कांग्रेस भवन में मौजूद कांग्रेसियों के अलावा अन्य कांग्रेस नेताओं और बाहरी लोगों की भीड़ जमा होने लग गई।
बता दे इस विवाद का वीडियो भी सामने आया,जो भयंकर वायरल हुआ। मजे की बात तो यह रही कि वीडियो और कोई नहीं बल्कि खुद कांग्रेसी ही बना रहे थे।और इसका मजा लेने के लिए सभी वायरल करने लगे ताकि नेताओं की किरकिरी होने लगे। बैठक और विवाद का वीडियो किसी व्यक्ति ने बैठक के दौरान रिकॉर्ड कर लिया था। यह वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर आया, कांग्रेस के भीतर की आंतरिक कलह और अनुशासनहीनता सार्वजनिक रूप से उजागर हो गई। वीडियो में दोनों नेताओं के बीच हुए अपशब्दों का आदान-प्रदान स्पष्ट रूप से देखा और सुना जा सकता है, जो संगठन की छवि के लिए हानिकारक साबित हुआ।
इस खुलेआम विवाद के बाद जिला शहर कांग्रेस कमेटी ने पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि इस अनुशासनहीन आचरण पर वह क्या सफाई देना चाहते हैं। पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उनसे तुरंत जवाब मांगा है।
रोटियां सेंकने में लगे कई कांग्रेसी
नगरीय निकाय चुनाव के पहले कांग्रेसी आपस में बैठक करके गुटबाजी मिटाने और एकजुट होने की बजाए सार्वजनिक तौर से लड़ाई झगड़े करने लगे है। जिससे साफ पता चलता है कि अभी भी कांग्रेसी एकजुट नहीं है और अपनी अपनी रोटियां सेकी जा रही है। और इसी कारण वीडियो वायरल करके लोगों को बताकर खुद कांग्रेस को बदनाम करने में कई कांग्रेसी किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
टिकिट के लिए एडी चोटी का जोर लगाने वाले ज्यादातर कांग्रेसी बोले,यह घटना गलत
एक स्वर में कांग्रेसियों ने बोला कि यह घटना एकदम गलत हुआ है क्योंकि राजेश पांडेय शहर के वरिष्ठ नेता ही नहीं बल्कि पूर्व मेयर भी रहे है और वे सबके लिए सम्माननीय है।जिनके साथ इस तरह की बदतमीजी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।यही कारण रहा कि मौके पर एकजुट होकर जिले के प्रभारी का विरोध किया गया।
कांग्रेसियों पर सवाल हो रहे खड़े
प्रदेश कांग्रेस में इस प्रकार की घटना न केवल संगठन की एकता और अनुशासन पर सवाल खड़े करती है, बल्कि इसे आगामी चुनावों के लिहाज से भी पार्टी के लिए नुकसानदेह माना जा रहा है। यह घटना पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के अंदरूनी विवाद सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं, लेकिन इस घटना ने पार्टी के भीतर नेतृत्व और अनुशासन संबंधी सवालों को और बढ़ा दिया है।
कई बार हो चुकी है कांग्रेस भवन में घटना
कांग्रेस भवन में यह विवाद पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इसके पहले भी जूतम पैजार और गाली गलौच तक हो चुका है। इसके बार कांग्रेसियों में सुधार नहीं आया और एक बार फिर से कांग्रेसी आपस में भीड़ गए। देखा जाए तो कांग्रेसी खुद ही अपनी इज्जत की खिलवाड़ करने लगे है।
आखिर कैसे हुई गलती और क्यों हुई
नगरीय निकाय चुनाव के पहले हुए इस बैठक और उसके बाद विवाद के बाद माहौल इतना ज्यादा गरमा जाएगा यह कोई नहीं सोचा था। बात तू तू मैं मैं तक पहुंच गई थी जो अपने आप में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें कोई कह रहा है कि राजेश पाण्डेय बड़े नेता है और कोई कहता है कि वो जिले के प्रभारी नेता है। लेकिन ऐसी गलती कैसे और क्यों हुई।
जिले के प्रभारी को मांगना होगा माफी
नाम नहीं छापने के शर्त पर दिग्गज नेताओं ने बताया कि इसमें जिले के प्रभारी सुबोध हरितवाल को पूर्व मेयर राजेश पाण्डेय से माफी मांगना चाहिए,क्योंकि उन्होंने अपशब्दो का उपयोग किया है। और किसी बड़े कांग्रेसी नेताओं से इस तरह का बातचीत किसी को शोभा नहीं देता है।
अगर विधायक और दिग्गज नेता बीच बचाव नहीं करते तो क्या होता
कांग्रेस भवन में बैठक विवाद और उसके बाद बाद जो हंगामा हुआ जिसमें दो कांग्रेस के नेता आपस में भीड़ गए थे,और तमाशा बना दिए थे अगर इस दौरान कोटा विधायक अटल,अर्जुन तिवारी,राकेश शर्मा और अन्य नेता अगर बीच बचाव नहीं करते तो शायद मामला बहुत ज्यादा आगे बढ़ जाता। मामला हाथापाई तक पहुंच सकता था।
कांग्रेस भवन में हंगामे की शुरुआत जिले के प्रभारी सुबोध हरितवाल के द्वारा की गई थी। प्रभारी का मुख्य कर्तव्य होता है कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनना और उन्हें उचित समाधान प्रदान करना, लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा था। उन्होंने पार्टी के भीतर पूंजीवाद और असमानता की ओर भी इशारा किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस के भीतर भी कुछ वैचारिक मतभेद हैं।, “जैसे बीजेपी में पूंजीवाद हावी है, वैसे ही हमारी पार्टी में भी ऐसा हो सकता है।”
राजेश पाण्डेय
पूर्व महापौर बिलासपुर
कांग्रेस भवन में हुए विवाद और पीसीसी अध्यक्ष और जिले के प्रभारी के साथ हुए विवाद पर पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है।
विजय पाण्डेय
अध्यक्ष शहर कांग्रेस कमेटी
यह घटना कांग्रेस की साख को चोट पहुंचाने वाली थी, खासकर तब जब यह पीसीसी चीफ की उपस्थिति में हुई। “यह पार्टी के अनुशासन और संगठनात्मक ढांचे के लिए एक गंभीर झटका है,” उन्होंने कहा। राय के अनुसार, इसी कारण से पूर्व मेयर को नोटिस जारी किया गया है, ताकि पार्टी की गरिमा को बनाए रखा जा सके और ऐसे भविष्य के विवादों से बचा जा सके।
अभय नारायण राय
कांग्रेस प्रवक्ता