भिलाई के देवेंद्र यादव के बाहरी होने के कारण अन्य प्रत्याशियों को मिल रहा लाभ…..
देवेंद्र के बाहरी होने का बीजेपी प्रत्याशी को मिल रहा लाभ….
युवाओ के भरोसे चुनाव लड़ रहे है लोकसभा प्रत्याशी
नाराज कांग्रेसी कर रहे कांग्रेस पार्टी से किनारा
लगातार हो रहा विरोध,कई लोग अंदरूनी तो कई लोग बाहर से कर रहे विरोध
गुटबाजी करने वाले नेताओ की वजह से कांग्रेसियो में बनी नाराजगी
बिलासपुर / बिलासपुर लोक सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से लोकसभा प्रत्याशी देवेंद्र यादव को लेकर आम जनता में कई तरह की बात की जा रही है…इसमें किसी का कहना है की बाहरी है…तो कोई कह रहा है की जब अन्य दावेदार थे तो बाहरी को टिकिट क्यों दिया गया…इस तरह से कई तरह के सवाल लोगो के मन में आ रहे है….खैर हमने जब राजनीति के धुरंधरों से पूछा की आखिर ऐसा क्यों बोल रहे है तो बोला गया की “भैय्या” वैसे तो बिलासपुर में प्रत्याशी बहुत थे…कई दावेदार और दमदार लोगों नें तो इस वजह से खुलकर विरोध भी किया, लेकिन बाहरी प्रत्याशी को क्यों और किसलिए टिकट दिया गया यह समझ से परे है यानि एक रहस्य है…यही कारण है की कांग्रेसियो में अंदर ही अंदर नाराजगी बनी हुई है…यहाँ तक पार्टी से जुड़े कई लोग पार्टी के लिए काम भी नहीं कर रहे है…सूत्र बता रहे है की भले ही सब साथ मे दिख रहे है…लेकिन अंदर ही अंदर भीतर घातीय नाराजगी बनी हुई है…इधर बीजेपी के नेताओ का कहना है की वाकई में यह बिलासपुर का दुर्भाग्य है की यहाँ पर कांग्रेस से कोई भी काबिल नेता नहीं था जो लोकसभा का टिकिट का हकदार था….खैर ये तो हो गया की जिसकी किस्मत में टिकिट लिखा था वही पाया..लेकिन यहां पर बाहरी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है….देखा जाए तो देवेंद्र यादव अपने आपको एकदम दमदार प्रत्याशी मान कर चल रहे है…और जीतने का दावा तक कर रहे है….लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए की बिलासपुर का गड्ढा,बेलतरा का गड्ढा,बिल्हा का गड्ढा,यहाँ तक मुंगेली और लोरमी का गड्ढा भी भरना अभी बाकी है…उसके बाद खुद का VOTE पाना है….आपको बता दे की क्या पूर्व प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव से ज्यादा वोट मिलेगा या फिर मुंगेली के कब्जे को तोड़ने में कामयाब होंगे या फिर मुंगेली जिले से लगातार उतरने वाले बीजेपी के प्रत्याशियों को एक बार फिर से सीट हासिल करने में सफलता मिलेगी…..हालांकि इस बार बीजेपी उम्मीदवार की भी इज्जत दांव पर लगी हुई है….और मोदी की गारंटी की वजह से जीत का दावा कर रहे है….देखा जाए तो यह चुनाव काफी दिलचस्प है…जिसमे लोगो की रूचि ज्यादा है।
अंत में बस इतना ही कि उम्मीदवार चुनाव की नाव में बैठ तो जाता है लेकिन उसको बैतरणी पार कराने वाली जनता उसकी जीत हार की खेवनहार होती है और वह किसे अपना सांसद चुनती है यह तो भविष्य की गर्भ में है।