महिला BEO के पति चला रहे सरकारी दफ्तर…..पढ़िए आखिर कौन है वह पतिदेव….जिनके इशारे पर होता है पूरा काम…..दिन भर रहते है ऑफिस में….
किस बीईओ कार्यालय में अटैच है एक शिक्षक…जो पिछले दस सालों से स्कूल छोड़, करता है शिक्षकों के लिए दलाली। विकास खण्ड और जिला शिक्षा अधिकारी का है संरक्षण।
बिलासपुर / जिले में बिल्हा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिल्हा इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है।
सबसे पहले पाठकों को बता दें कि BEO कार्यालय जो कि पुराने हाई कोर्ट के पीछे स्थित है…यहां पर आजकल एक नया नजारा देखने और सुनने को मिल रहा है….यहां अपने काम से आने वाले शिक्षक बतलाते हैं कि महिला BEO के पति आजकल सरकारी ऑफिस चला रहे है…स्कूलों में पदस्थ टीचर्स यानि शिक्षक,शिक्षिकाओं को सर्विस बुक,मेडिकल बिल,संतान पालन अवकाश स्वीकृति,ज्वाईनिंग,एरियस आदि के काम होते हैं आने पर यहाँ पदस्थ बीईओ के पतिदेव नजर आते हैं।
विभागीय सूत्रों की मानें तो बिना चढ़ोत्तरी मतलब दान दक्षिणा याने चढ़ावा दिए उपरोक्त कोई काम नहीं होता।
यहाँ अटैच कुछ स्कूली शिक्षक दलाली का काम पिछले दस सालों से कर रहे हैं। उन्हें तनख्वाह बच्चों को पढ़ाने के नाम पर स्कूल से मिलती है और वह लोग बिल्हा बीईओ कार्यालय से दलाली का काम जेडी,डीईओ और बीईओ कार्यालय में करते हैं।
किसको नोटिस जारी करना है और किसको कहा सेट करना है इसके अलावा सेटिंग करने का काम जोरो से किया जा रहा है…विभागीय मामलों में यह खेल अभी से नहीं बल्कि काफी दिनों से किया जा रहा है….हम आपको यह तस्वीर दिखा रहे है…यह ऑफिस की तस्वीर देखकर आप खुद हैरान रह जायेँगे की आखिर एक पेट्रोल पम्प व्यवसायी और महिला BEO के पति का आखिर यहाँ क्या काम है..
..चलो मान लो किसी एक दिन का काम रहा होगा तो सरकारी कर्मचारियों के सामने बैठ गए लेकिन यहाँ पर ऐसा बिलकुल नहीं है क्योंकि यह हर दिन का नाटक है….जो अपनी BEO मैडम के कमरे में बैठे रहते है…जिनकी इस हरकतों से परेशान कई शिक्षकों व कर्मचारियों नें नाराजगी जाहिर की,लेकिन महिला BEO को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और न उसके हसबैंड को…बस अब वह अपनी आदतों में सुमार कर लिया है और पेट्रोल पम्प से ज्यादा टाइम BEO ऑफिस में देते है…शायद यह तस्वीर झूठ नहीं बोलेगी….सूत्र तो यह भी बता रहे है की BEO ऑफिस को ज्यादातर यही चलाता है और अपने हिसाब से चलाता है….जिसके कारण शिक्षकों में आक्रोश बना हुआ है…
न्यायधानी के नाम से मशहूर जिले का दुर्भाग्य है कि जिले में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है डीईओ और बीईओ की सांठगांठ से शिक्षकों को स्कूलों से अन्यत्र कलेक्टर के आदेश का हवाला देते हुए अटैच किया गया है और किया जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है पर जिम्मदारों को शासन स्तर पर जारी नियम कायदों से कोई सरोकार नहीं उन्हें तो बस चढ़ावे से मतलब है।
अंत में बस इतना ही कि चाहे जिले के कलेक्टर कितनी बार भी बैठक कर निर्देश दें आदेश दें लेकिन जिम्मदार अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन सही ढंग से नहीं करेंगे।