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वनपाल नगद मजदूरी भुगतान को लेकर सुर्खियों में….मामला 3 माह से लंबित मजदूरी भुगतान का….नाराज 53 महिला मजदूरों नें बिलासपुर वन मंडल का किया घेराव….पढ़िए खबर

*वन विभग्ग बना सुर्खियों का अड्डा,विभागीय कर्मचारी कर रहे बदनाम*

*लंबित भुगतान को लेकर मजदूर हो रहे परेशान*

*नाराज महिलाओ ने वन विभाग का किया घेराव*

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर/
इन दिनों वन विभाग और गड़बड़ी,भ्र्ष्टाचार
का अड्डा बनता जा रहा है। किसी मामले के उजागर होने पर विभाग और अधिकारियों कर्मचारियों में खदबदाहट देखी जा सकती है।वैसे तो सरकार सभी विभागों में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों को एक निश्चित तिथि पर वेतन भुगतान कर देती है लेकिन इन्हीं विभागों के द्वारा कराए गए कार्यों का मजदूरी भुगतान महीनों और  सालों लंबित होता है।
इस बार बिलासपुर वन मंडल अंतर्गत वन परिक्षेत्र बिलासपुर के वनपाल नमित तिवारी नगद मजदूरी भुगतान को लेकर सुर्खियों में हैं और मामला 3 माह से लंबित मजदूरी भुगतान का भी है।


इंतजार की हद 3 माह से लंबित मजदूरी भुगतान मामले से नाराज 53 महिला मजदूरों नें बिलासपुर वन मंडल का घेराव कर दिया और अपनी पीड़ा बतलाते हुए कहा कि जनवरी 2024 में हमसें 19 दिन तक काम लिया गया। मजदूरी भुगतान अब तक लंबित है…..चिलचिलाती धूप में दोपहर के समय लिमहा और कोरबी नामक गाँव से आई महिला मजदूरों की संख्या लगभग 50 थी। महिला मजदूर वन मंडल कार्यालय पहुँच कर वनपाल नमित तिवारी को पूछने लगी।

मामला लंबित मजदूरी भुगतान का था।जहां महिला मजदूरों के साथ आए वन समिति खोन्दरा के अध्यक्ष नर्मदा दास महंत नें वनपाल का नाम बतलाते हुए बताया कि नामित तिवारी नें कहा था कि गुरुघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर में पेड़ पौधों की निदाई गुड़ाई करनी है तुम मजदूर लेकर आओ मैं वन विभाग से मजदूरी भुगतान कर दूंगा।


खोंदरा  सर्किल में पदस्थ वनपाल नामित तिवारी द्वारा 54 मजदूरों से गुरुघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर में वन विभाग का काम है कहकर कार्य करा लिया और 3 महीने बीत जाने के बाद भी उनके मजदूरी का भुगतान नहीं दिया गया है।

आपको बता दें यह पूरा मामला है जनवरी 22 जनवरी 2024 का है जहां खोंद्रा वन क्षेत्र के अंतर्गत जीजीयू में कुल 54 महिलाओं मजदूरों द्वारा वन पाल नमित तिवारी द्वारा कार्य कराया गया था उन लोगों का अब तक मजदूरी भुगतान नहीं दिया गया है।
मजदूरों की लगातार मांग और वन समिति खोन्दरा के अध्यक्ष द्वारा दिनाँक मार्च 2024 को वन मंडल कार्यालय का घेराव करने के बाद नामित तिवारी द्वारा मजदूरों को उनके गाँव जाकर मजदूरी भुगतान के रूप में नगद रकम दिया गया था। विभागीय सूत्रों की मानें तो नगद भुगतान का कोई प्रावधान नहीं है।

साहब ने आननफानन में अपने जेब से मज़दूरों को मजदूरी भुगतान किया एक गांव के मजदूरों को 2000 वहीं दूसरे गांव के मजदूरों को 800 रूपए दिए।
क्यों लिया गया बैंक अकाउंट नंबर

सवाल तो उठता है कि जब मजदूरों का बैंक खाता नंबर, IFSC कोड आधार कार्ड की छायाप्रति ली गई तो किस आधार पर नगद भुगतान किया गया।

मामला खोंद्रा सर्किल का होने के कारण वन समिति का अध्यक्ष नर्मदा दास महंत भी साथ आए हुए थे। आपको बता दे पूर्व में नामित तिवारी द्वारा नर्मदा दास महंत को कहा गया था कि मजदूर लोग को साथ लेकर आए वन विभाग का काम है, काम पूरा होने के बाद मैं मजदूरी भुगतान करवा दूंगा।

आपको बता दे यह कार्य जीजीयू में 22/01/ 2024 से 14/02/ 2024 तक हुआ था कुल 19 दिन तक काम चला था जिसमें मजदूर लोग कुल 19 दिन तक काम किए।

काम पूरा होने के बाद भी भुगतान नहीं होने पर मजदूरों नें बार बार भुगतान की मांग की तब जाकर वनपाल नामित तिवारी द्वारा मजदूरों को कैश का भुगतान किया गया।

बहरहाल लंबित मजदूरी भुगतान का मामला कई गंभीर सवाल खड़े कर रहा है वनपाल नमित तिवारी सवालों के घेरे में है श्रम विभाग सहित वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इस मामले की सूक्ष्मता से जांच करनी चाहिए ताकि गरीब मजदूरों के खून पसीने की गाढ़ी कमाई भ्र्ष्टाचार  की भेंट ना चढ़ जाए!

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