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हर प्रदेश की संस्कृति झलक आई सांस्कृतिक महोत्सव में…..मधुरम ने मोहा दर्शकों का मन

खासखबर बिलासपुर / सांस्कृतिक महोत्सव के अंतिम दिवस मधुरम निकेतन ने मंच में भारत के कई राज्यों के संस्कृति की छटा बिखेर दी। विदित हो कि उन्नत शिक्षा अध्ययन संस्थान बिलासपुर में विगत वर्षो की तरह इस वर्ष भी वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसके चौथे दिवस कार्यक्रम संयोजक डॉ.ए.के.पोद्दार एवं सह प्रभारी डॉ. अजीता मिश्रा तथा निकेतन प्रभारी श्रीमती अंजना अग्रवाल, सौरभ सक्सेना, श्रीमती राजकुमारी महेन्द्र, डॉ. विद्याभूषण शर्मा, डॉ. गीता जायसवाल, श्रीमती सोनल जैन के निर्देशन में मधुरम निकेतन की प्रस्तुती हुई।।

कार्यक्रम की शुरूआत एलिश खाण्डे एवं साथी द्वारा प्रस्तुत अधरमं मधुरम वदनं मधुरम के गायन से हुआ। तत्पश्चात चंदन केशरवानी एवं साथी द्वारा प्रस्तुत महिला लोकगीत आज मिथिला नगरिया निहाल सखियाँ, दर्शकों को खूब भाया। वहीं युवराज बर्मन के सेवा गीत झूपत-झूपत आबे.. में पूरा हाल झूम उठा। तो हरनारायण एवं साथी द्वारा प्रस्तुत नाटक “दीपदान” के जीवंत अभिनय ने जबरदस्त तालियाँ बटोरी।

वही रेणुका, सुधा एवं साथी द्वारा प्रस्तुत सम्बलपुरिहा नृत्य से मंच में उड़िसा की संस्कृति को दर्शक दीर्घा ने खूब सराहा। इसी प्रकार समसामयिक नाटक वन है तो जीवन है को सभा ने बहुत पसंद किया। इसी तरह आरती व प्रहलाद द्वारा प्रस्तुत पण्डवानी गायन ने कार्यक्रम में रस घोल दिया। इसी तरह भांगड़ा, भड़ौनी गीत में मधुरम के सदस्यों की मेहनत दिखाई दिया तो डार्विन के सिद्धांत पर आधारित हास्य व्यंग्य नाटक ने लोगों को खूब हँसाया।

संजू की कविता (बेटी) ने दर्शकों को भावुक कर दिया। कार्यक्रम का समापन निकेतन गीत सबसे ऊँची विजय पताका से हुआ। आज के सभी कार्यक्रम ने अंत तक दर्शकों को बांधे रखा। सांस्कृति महोत्सव के इन चारों दिवस में देश के सभी राज्यों के संस्कृति की जीवंत झांकी देखने को मिली। सांस्कृति महोत्सव में रंग भरने में हारमोनियम वादक हरपाल सिंह ठाकुर तबला वादक कृष्णानंद चौबे एवं दिले राम खरे की अग्रणी भूमिका रही।।


आज के कार्यक्रम में नंदलाल शास्त्री, रेणुका पटेल, साकेत पाणिग्रही, निशा अंचल, वर्षा, ज्ञानलता, रश्मि पाण्डेय, प्रतिभा भगत, मुन्नी,जानकी, बैरागी, बंगला, सविता, शुभा, आरती, स्मृति, दुर्गा, मारिशा, कौशिल्या यादव, संजय, प्रतिभा तिवारी, तेजेश्वर, संजू, उद्धप, डी.एन. जायसवाल, राजेश मिरी, प्रहलाद, देवकुमार, कालीचरण, अरविंद, विनय, उद्धप, अर्चना, उमेश यादव, चिरंजीव, नम्रता, आरती राय, युवराज, रूपेन्द्र, वीर सिंह आंडिल, पीताम्बर, एवं लक्ष्मी बिजौर ने प्रस्तुती दिया। कार्यक्रम का संचालन हरनाराण चन्द्रा द्वारा किया गया वहीं प्रकाश व साउण्ड सिस्टम आचार्य दुष्यंत चतुर्वेदी ने सम्हाला। संस्थान के सेवानिवृत्त आचार्य श्रीमती सुदेशना वर्मा एवं श्रीमती गायत्री तिवारी प्राचार्य सेजेस सरकण्डा द्वय इस पूरे कार्यक्रम में निर्णायक की भूमिका का निर्वहन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंत में निर्णायक द्वय द्वारा चारों दिवस के कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कला की बारिकियों पर अपने विचार रखें।


कार्यक्रम में प्रो.मनोज सिंह, डॉ श्रीमती महालक्ष्मी सिंह, डॉ. बी.व्ही रमणाराव, डॉ. छाया शर्मा, डॉ.अजीता मिश्रा, श्रीमती रीमा शर्मा, डॉ. संजय आयदे, श्रीमती प्रीति तिवारी, डॉ.ए.के.पोद्दार, डॉ.रजनी यादव, डॉ.डी.के.जैन, श्रीमती नीला चौधरी, करीम खान, अभिषेक शर्मा, डॉ.सलीम जावेद, पवन कुमार पाण्डेय, श्रीमती वंदना रोहिल्ला, श्रीमती रश्मि पाण्डेय, सुश्री आशा बनाफर, श्री दुष्यंत चतुर्वेदी, श्रीमती निधि शर्मा, श्रीमती संतोषी फर्वी, श्री ए.के.भास्कर, श्री कमल कुमार देवांगन, राघवेन्द्र अधिकारी, मुरारी लाल यादव, अभिनव आदि शिक्षकवृंद एवं कार्यालयीन स्टाफ विशेष रूप से मौजूद थे।
इस पूरे कार्यक्रम की जानकारी महाविद्यालय के आचार्य करीम खान ने दी।

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