Blog

100% हिंदुत्व का हिंदूराष्ट्र हमारा ध्येय – सुनील

युगाब्द 5127 ज्येष्ठ शुक्ल वृद्ध द्वादशी के पुण्य अवसर ग्वारीघाट स्थित अग्रवाल धर्मशाला में आग्रहव्रत अभियान के प्रणेता सुनील गंगाराम गर्ग ने दो दिवसीय प्राथमिक प्रशिक्षण में विराट वैद्य, धीरेंद्र सिंहा, संजीव सिंह, अभिषेक गौतम, रामकिंकर सहित अचानकमार के जंगल से जागरूक गणमान्यजन उपस्थित हुए। देश के जाने माने हिंदुत्व वादी चिंतक, विचारक व शोधकर्ता श्री सुनील गंगाराम गर्ग ने तथ्यपरक विवरण देते हुए बताया कि हमें भारतीय होने पर गर्व की अनुभूति क्यों होती हैं।

लोकतांत्रिक व्यवस्था, नारी का सम्मान, सह अस्तित्व, दूसरी उपासना पध्दति का सम्मान, तर्क आधारित विवेकपूर्ण निर्णय लेने की स्वतंत्रता, सुधारवादी, प्रगतिशील समाज, समानता का अधिकार, बोलने की स्वतंत्रता, धर्मग्रंथों व ईश्वर पर चर्चा करने का अधिकार आदि अनेको सद्गुण केवल हिंदुत्व में ही पाए जाते है।
उन्होंने हिंदू शब्द के उद्गम पर व्यापक जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृत में नदी को सिंधु कहते है। भारत में बारहमासी नदियों का जाल होने से पारस के व्यापारियो ने इसे सिन्धुओं का स्थान अर्थात सिंधुस्थान समंझा। भाषा मुख-सुख खोजती हैं। जैसे सप्ताह का हप्ता हुआ। वैसे ही सिंधुस्थान से हिंदुस्तान हुआ।

अतः हिंदुस्तान में निवासरत समस्त नागरिक हिंदू कहलाये जाते हैं। धर्म का अर्थ किसी भी पूजा पध्दति अथवा कर्मकांड से नहीं होता हैं। अपितु कर्तव्यों का पालन करते हुए प्यासे को पानी पिलाना, माता-पिता की सेवा करना, गिरते को सहारा देना नैतिक धर्म हैं। देश की रक्षा करना सैनिक का धर्म हैं। पुत्र-पुत्री, भाई-बहन, माता-पिता के रूप में एक ही व्यक्ति के अलग अलग धर्म होते हैं। समाज का सामुहिक विवेक ही धर्म कहलाता हैं।
श्री सुनील गंगाराम गर्ग ने बताया कि भारत के प्रत्येक भारतवासी हिंदू हैं। लेकिन जिनकी करणीय व अकरणीय की कसौटी भारत माता के प्रति होती हैं तथा उनके आस्था का केंद्रबिंदु देश मे रहता हैं। केवल उनमे ही हिंदुत्व का भाव होता हैं। हिंदुत्व की प्रत्येक विधि व्यवस्था वर्तमान वैज्ञानिक कसौटियों पर खरी उतरती हैं। हमारे पूर्वज इतने ज्ञानी थे कि उस समय बिना किसी आधुनिक साधनों के ग्रहों की सटीक काल गणना की थी। दिनों के नाम, महीनों के नाम, ऋतुओं के पीछे भी सटीक कारण हैं। 1 जनवरी के बजाय वर्ष प्रतिपदा पर नववर्ष का शुभारंम्भ भी विज्ञान सम्मत हैं। उन्होंने आगे बताया कि भाषा में लघुप्राण, दीर्घप्राण,अनुप्राश का क्रमशः कंठ, तालु, जीभ, दांत से स्पर्श कर देवनागरी लिपि का निर्माण किये हैं। हमारे पूर्वजों के समय की वास्तुकला, मंदिर, भवन निर्माण को देखकर आज के आधुनिक वास्तुकार भी दाँतो तले अंगुली दबा लेते हैं। किचन में मसालों का प्रयोग, नीचे आलती पालती में बैठ कर हाथों से भोजन करना भी शरीर को आवश्यकतानुसार प्रोटीन, न्यूट्रिनों की उपलब्धता करवाना है।
अस्पर्शयता के कारणों पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया गया कि वैदिक काल मे पेशे या व्यवसाय के आधार पर आबादी ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य तीन वर्गो में विभाजित की जाती थी। जिसमें समय समय पर एक वर्ण से दूसरे वर्ण में जाने की स्वतंत्रता होती थी। यदि किसी कार्यवश उपरोक्त तीनों ही वर्णों से पृथक होकर सेवा कार्य करता था तो उसे सँख्या के आधार पर क्षुद्र वर्ग कहां जाता था। जो कालांतर में शुद्र कहां जाने लगा। वर्ण व्यवस्था पेशेगत होने के कारण उनकी ज्ञाति बनी। भाषा मुखसुख खोजती हैं। इसे जाति फिर कास्ट के रूप में समझा जाने लगा। पहली बार 712 मे मोहम्मद बिन कासिम ने अंतिम हिंदू राजा दाहिर के पराजित होने से भारत मे इस्लाम का प्रादुर्भाव हुआ। इस्लाम शासकों ने अपने राज्य की मजबूती तथा धर्म के विस्तार हेतु हिंदुओ को मजबूर किया गया। कुछ धनाढ्य वर्ग राज्य के कृपापात्र बनने, कुछ सैनिक विश्वासपात्र बनने के लालच में विधर्मी बने। कुछ वीर बहादुरों ने ना ही धर्म परिवर्तित करना स्वीकार किया और ना ही उनकी चाकरी। ऐसे बहादुरों को समाज से पृथक करने हेतु बादशाहों ने उन्हें मैला ढोने हेतु बाध्य किया। कालांतर में ये बहादुर बस्तियों के बाहर मैला ढोने व सुअर पालन कर अपनी आजीविका चलाने को मजबूर होने के कारण छुआछूत के शिकार हुए। आग्रह व्रत अभियान का एकमात्र उद्देश्य हिंदुओ को उनके वैभवशाली इतिहास से परिचित करवाते हुए, देश मे हिंदू हिंदू में भेदभाव समाप्त कर जाति विहन समरस समाज का निर्माण करना है।
इस विशेष सत्र में उपस्थित लोगों ने हिंदुत्व को वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर वैदिक गणित के एकाधिकेंन पूरवेंन सूत्रों सहित अभियान की बारीकियो को समझ कर मानवता के विकास के लिए 100 प्रतिशत हिंदुत्व वाले हिंदू राष्ट्र बनाने हेतु देशभर में जनजागरण अभियान चलाने का प्रण लिया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *