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शराब और दो दो हजार में रेल पुलिस बिक कर कराती थी गांजा की सप्लाई

ट्रेनों में गांजा तस्करी कर डेढ़ करोड़ की बनाई संपत्ति को पुलिस ने किया जब्त

जीआरपी के आरक्षकों के खिलाफ मुंबई के सफेमा कोर्ट में अभियोग पत्र पेश

बिलासपुर। शराब और दो दो हजार में रेल पुलिस बिक कर गांजा की तस्करी करने वालो को संरक्षण देने का काम करती थी।जेल में सजा काट रहे आरोपियों की करोड़ों की संपत्ति को पुलिस ने सीज कर दिया है।पुलिस ने
सुरक्षा ड्यूटी के दौरान ट्रेनों में गांजा तस्करी करने वाले आरोपी आरक्षकों की डेढ़ करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति को जब्त किया है। इतनी संपत्ति सिर्फ शराब पीकर और दो दो हजार लेकर बनाया गया था।

एसपी रजनेश सिंह ने बताया कि आरोपी चारों आरक्षकों द्वारा ट्रेन में पेट्रोलिंग ड्युटी में महासमुंद, रायपुर, दुर्ग, गोंदिया,चांपा,सक्ति, रायगढ आदि जगहों में जाते समय अपने साथ प्राईवेट व्यक्तियों गुड्डू उर्फ योगेश सोंधिया, छोटू उर्फ श्यामधर चौधरी को साथ में लेकर जाते थे। ट्रेन में चेकिंग के दौरान गांजा बरामद होने पर छोटू और गुड्डू के माध्यम से पूर्व से गांजा खरीदी के लिए बुलाए गए व्यक्तियों को ट्रेन में ही गांजा की सप्लाई कर दी जाती थी। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ अपराध सिद्ध होने पर कोर्ट में अभियोग पत्र पेश किया गया है।
23 अक्टूबर को जीआरपी थाना बिलासपुर में आरोपी योगेश सोंधिया, रोहित द्विवेदी के कब्जे से 20 किलोग्राम मादक पदार्थ गांजा जब्त कर एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया। जांच में तथ्यों के आधार पर पाया गया कि जीआरपी थाना में पदस्थ आरक्षक लक्ष्मण गाईन,मन्नु प्रजापति, संतोष राठौर व सौरभ नागवंशी गांजा तस्करी के अवैध कारोबार में शामिल हैं। इनके द्वारा ट्रेन में गांजा पकड़कर, गांजा को बिक्री करने के लिए अपने सहयोगी योगेश उर्फ गुड्डु, श्यामधर उर्फ छोटु को उपलबद्ध कराते थे। एसपी रजनेश सिंह के नेतृत्व में नशे के अवैध तस्करों की जड़ तक पहुंच कर की जा रही है। फायनेनिशयल इन्वेस्टिगेशन व ”इण्ड-टू-इण्ड कार्यवाई के तहत आरोपी आरक्षकों के द्वारा गांजे की तस्करी में शामिल रहकर अवैध रूप से अर्जित राशि को स्वयं के व बेनामी बैंक खातों में नगद व ऑनलाईन प्राप्त करते थे। आरोपियो ने अवैध रूप से अर्जित राशि से करोडो की चल-अचल संपत्ति व लक्जरी वाहन खरीदी गई थी।जिसे चिन्हांकित कर एनडीपीएस एक्ट में निहित प्रावधानों के तहत सीज करने की कार्यवाई की गई है। प्रकरण सफेमा कोर्ट मुम्बई प्रतिवेदन प्रेषित किया जा रहा है। इस मामले में फाइनेंशियल इन्वेस्टीगेशन व इण्ड-टु-इण्ड विवेचना में शामिल टीम की एसपी ने सराहना की है एवं उचित पुरस्कार की घोषणा की गई है।

आरोपियों ने यहां बनाई हैं संपत्ति

एसपी ने बताया लक्ष्मण गाईन व कृष्णा गाईन मौजा सिरगिट्टी तहसील बिल्हा नप सिरगिट्टी वार्ड क्रमांक 7 में 1600 वर्गफुट भुखण्ड जिस पर मकान निर्मित है। जिसकी अनुमानित बाजार मुल्य करीब 50 लाख रुपए है। संतोष राठौर मौजा फरसवानी तहसील करतला जिला कोरबा 5232 वर्गफीट भुखण्ड ,अनुमानित बाजार मूल्य करीब 10 लाख रुपए है। मन्नू प्रजापति मौजा नगपूरा बोदरी विख बिल्हा तहसील बोदरी जिला बिलासपुर 1250 वर्गफुट अनुमानित बाजार मूल्य करीब 15 लाख रुपए है। कुसुम प्रजापति पति मन्नू प्रजापति, मन्नू प्रजापति मौजा सिरगिट्टी बिलासपुर तहसील एवं जिला बिलासपुर वार्ड क्रमांक में 1428 वर्गफुट भुखण्ड जिस पर मकान निर्मित है। अनुमानित बाजार मुल्य करीब 40 लाख रुपए है। मन्नू प्रजापति मौजा सिरगिट्टी वार्ड क्रमांक 7 में 1000 वर्गफुट भुखण्ड अनुमानित बाजार मुल्य करीब 10 लाख रुपए है। मन्नू प्रजापति मौजा नगपूरा बोदरी विख बिल्हा तहसील बोदरी में 1250 वर्गफुट , अनुमानित बाजार मुल्य करीब 15 लाख रुपए है। कुसुम प्रजापति पति मन्नू प्रजापति एवं मन्नू प्रजापति मौजा सिरगिट्टी वार्ड क्रमांक 7 में 1428 वर्गफुट भुखण्ड जिस पर मकान निर्मित अनुमानित बाजार मूल्य करीब 40 लाख रुपए है। मन्नू प्रजापति मौजा सिरगिट्टी वार्ड क्रमांक 7 में 1000 वर्गफुट भुखण्ड अनुमानित बाजार मूल्य करीब 10 लाख रुपए है।

पुलिस ने ये भी जब्त किया है

मोसा हार्ले डेविडसन बाइक आरोपी लक्षमण गाईन ने अपने साले के नाम पर क्रय किया है, किस्त आरोपी द्वारा स्वयं जमा किया जा रहा था। कीमत लगभग 2 लाख 80 हजार रुपए है। टाटा सफारी- 7 एस आरोपी लक्षमणw गाईन द्वारा अपने साले के नाम पर क्रय किया है, किस्त आरोपी द्वारा स्वयं जमा किया जा रहा था। जिसकी कीमत लगभग 20 लाख रुपए है। हुण्डई वेन्यू काररा आरोपी संतोष राठौड़ स्वयं के उपयोग हेतु क्रय किया गया है। कीमत 5 लाख रुपए है।

एसपी ने इस मामले में काम करने वाली टीम की सराहना करके पुरस्कार देने की भी घोषणा की

एसपी रजनेश सिंह ने इस मामले में काम करने वाले टीम की सराहना की है और पुरस्कार देने की भी घोषणा की है।एसपी ने बताया कि यह काम इतना आसान नहीं था।बल्कि पुख्ता जानकारी और एक एक करके खोज कर काम किया गया है।तब कही जाकर इतना सबूत मिल सका है।

शराब और मात्र दो दो हजार में रेलवे की पुलिस बिक कर तस्करी में करते थे मदद

रेल और स्थानीय पुलिस के सूत्र बता रहे है कि इस तस्करी के मामले में मास्टर माइंड रेल की पुलिस के अधिकारी और आरक्षकों को शराब और दो दो हजार देकर तस्करी करते थे।सूत्र बता रहे है कि जेल में बंद आरोपी ज्यादा पैसा नहीं देते थे। लेकिन बैठे बैठे पैसा मिलने के कारण आरक्षकों के बीच लालच बढ़ता गया और उसके बाद एक दिन पकड़ा गए।

जेल में बंद होने के बाद ट्रेन में में गांजा तस्करी करने का आया खयाल
मुख्य आरोपी मास्टर माइंड था और 2020 में जब वह जेल में बंद हुआ तो वही से चेन बनाना शुरू किया और अपने साथ काम करने के लिए आरोपियों को जोड़ा और उसके बाद वह समझ गया कि कैसे और किस तरह से काम करना है तब वह चेन बनाकर जीआरपी को शामिल करके काम करने लगा।

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