BJP सरकार की ताजपोशी से पहले CG में DGP और CS को लेकर शुरू हुई रेस
खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर / रायपुर / पांच साल के बाद सत्ता में बीजेपी के लौटते ही, छत्तीसगढ़ के कई अफसरों की बांछें खिल गई हैं. भूपेश सरकार में पांच साल से हाशिए पर रहे अफसरों को अब लगने लगा है कि उनके दिन फिरने वाले हैं. रमन सिंह सरकार में गुड बुक में शामिल रहने वाले अफसरों ने अपने चहेते नेताओं को दुआ सलाम भेजना शुरु कर दिया है. : विष्णु देव साय की सरकार के शपथ लेते ही पुराने
अफसर जो शंटिंग पोस्ट में पड़े थे वो फिर से अपनी मनपसंद जिम्मेदारी लेने के लिए सरकार से मेल मिलाप बढ़ाने लगेंगे. पांच सालों के दौरान कई जिलों से एसपी और कलेक्टर से बीजेपी की सियासी मुठभेड़ भी हुई. अंदरखाने से खबर है कि उन सभी कलेक्टरों और एसपी पर गाज़ गिर सकती है. इतना तय है कि सरकार जो भी कदम उठाएगी वो संभलकर उठाएगी ताकि विवाद की कोई स्थिति खड़ी नहीं हो.चुनाव के दौरान
कई जिलों के कलेक्टर जिनपर आरोप था कि उन्होने कांग्रेस के इशारे पर काम किया या फिर करने की कोशिश की, उनपर गाज गिरना तो तय माना जा रहा है. बीजापुर विधानसभा सीट से हारे भाजपा के दिग्गज नेता महेश गागड़ा ने बीजापुर कलेक्टर राजेंद्र कटारा और एसपी को कांग्रेस के लिए काम करने का आरोप लगाया था. दुर्ग कलेक्टर को लेकर भी बीजेपी लंबे वक्त से शिकायत कर रही है. मंत्री अजय चंद्राकर ने तो चुनाव प्रचार के दौरान बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर कलेक्टर और एसपी को चेतावनी दी थी. चंद्राकर ने कहा था कि ऐसे अफसर संभल जाएं जो सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं, सियासत में सत्ता आती जाती रहती है.
वर्तमान में छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल दिसंबर के महीने में खत्म होने जा रहा है. जुनेजा को कार्यकाल खुद भूपेश बघेल सरकार ने जून के महीने में ही छह महीने के लिए बढ़ा दिया था. लिहाजा डीजीपी की पोस्ट के लिए कई अफसर अभी से अपने चहेते नेताओं को फोन घुमाने लगे हैं. डीजीपी बनने की रेस में कई नाम हैं. कभी बस्तर रेंज के आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी भी चाहते हैं कि उनको सरकार बड़ी जिम्मेदारी से नवाजे. रमन सिंह सरकार में कल्लूरी की खूब चलती थी ये किसी से छुपा नहीं है. कल्लूरी को बारे में कहा जाता है कि वो बीजेपी नेताओं के करीबी और विचारधारा से भी मेल खाते हैं. लिहाजा उनको इधर से उधर किया जा सकता है. वर्तमान में डीडीजी बनने की रेस में अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता का नाम आगे चल रहा है. राजेश मिश्र के बारे में भी कहा जाता है कि वो एक सीएम के करीबी हैं तो उनको भी मौका दिया जा सकता है.
सीएस बनने की रेस में भी कई अफसरों के नाम अभी से सामने आने लगे हैं. सूत्रों की मानें तो तीन ऐसे अफसर हैं जिन्होने सीएस बनने के लिए अपने दुआ सलाम का पैगाम भेजना भी शुरु कर दिया है. तीनों अफसरों को उम्मीद है कि उनकी वरिष्ठता और योग्यता को देखते हुए उनका नाम आगे बढ़ाया जाएगा. सरकार जिन अफसरों को मौका दे सकती है उसमें सबसे पहला नाम वर्तमान सीएस अमिताभ जैन का है. वो बेदाग छवि के अफसर माने जाते हैं. सरकार किसी भी रही हो वो अपना काम इमानदारी से करते रहे हैं. मनोज पिंगुआ भी वरिष्ठ अफसर हैं सरकार उनकी भी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए उनके नाम पर विचार कर सकती है. तीसरा नाम है रेणु पिल्ले का, रेणु पिल्ले की भी गिनती वरिष्ठ और मेहनती अफसरों में होती है. सरकार अपनी तमाम प्राथमिकताओं को देखते हुए इन सभी नामों में से एक नाम को तय कर सकती है.
कुछ ऐसे भी अफसर हैं जिनको भूपेश बघेल सरकार ने बीजेपी का करीबी बताकर शंटिंग पर डाल रखा था उनको मेन लाइन में लाने की तैयारी होगी, जबकी जिन अफसरों पर कांग्रेस के लिए काम करने का आरोप लगा है उनको शंटिंग पोस्ट पर भी डाला जा सकता है. ऐसे अफसरों में दर्जनों नाम शामिल हैं. सूत्रों की मानें तो बीजेपी नेताओं ने तो बाकायदा ऐसे अफसरों की सूची भी तैयार कर रखी है जिनके दामन पर प्रचार के दौरान कांग्रेस के लिए काम करने का आरोप रहा है. कुछ ऐसे भी अफसर उस फेहरिश्त में शामिल हैं जिन्होने भूपेश सरकार के दौरान बीजेपी के आंदोलन को कुचलने का काम किया था.