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इसलिए श्रेष्ठ है एजोला फर्न…..15 दिन में तैयार हो जाता है यह हरा चारा

खासखबर बिलासपुर- कम खर्च, कम जगह और कम समय में तैयार हो जाती है एजोला फर्न। उपयोगकर्ता वह पशुधन हैं, जिनको सूखे दिनों में हरा चारा की जरूरत होती है लेकिन हरा चारा की खेती का स्थिर रकबा अब चिंता की वजह बन रहा है।

हरा चारा के लिए एजोला फर्न पशुपालकों और डेयरियों में लोकप्रिय तो हो रहा है लेकिन चारा फसल के रूप में वैसी पहचान नहीं मिल पाई है जैसी होनी चाहिए। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों को सलाह देते हुए कहा है कि आसपास की खाली जगह का उपयोग करके बढ़ती मांग को पूरा करें। इससे उन्हें अतिरिक्त आय का साधन मिलेगा, साथ ही पूरे साल हरा चारा की उपलब्धता तय हो सकेगी।


इसलिए एडवाइजरी

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार आने वाले दिनों में सूखा और हरा चारा की मांग बढ़ने की प्रबल संभावना है। इसे देखते हुए चारा की आपूर्ति प्रति साल 1.69 प्रतिशत की दर से बढ़ाने की जरूरत है। यह बढ़त फिलहाल इसलिए नहीं आ रही है क्योंकि चारा फसल का रकबा महज 8.4 मिलियन हेक्टेयर पर स्थिर है। यह स्थिति बीते दो दशक से बनी हुई है।


एजोला फर्न इसलिए श्रेष्ठ

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने एजोला फर्न को इसलिए श्रेष्ठ चारा माना है क्योंकि इसमें पशुओं के लिए जरूरी अमीनो अम्ल, विटामिन ए और बी के तत्व होते हैं, साथ ही खनिज लवण जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और आयरन भी होते हैं। यह तत्व पशुओं के शारीरिक विकास के लिए मददगार होते हैं, जो दूध की उत्पादन लागत को कम करता है। बताते चलें कि एजोला को गाय-भैंस, भेड़-बकरी, मछली और मुर्गियों के लिए सर्वोत्तम आहार माना गया है।


ऐसे करें खेती

एजोला के कल्चर प्रदेश के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में मिलते हैं। किसान अपने घर, बाड़ी और खलिहान की खाली जगह पर मानक आकार में टंकी बनाकर एजोला की फसल ले सकते हैं। कल्चर के बाद दूसरी जरूरत पानी की होगी क्योंकि पानी में ही तैयार होता है एजोला। पानी का स्तर 10 से 12 सेंटीमीटर रखने पर एजोला में बढ़वार का अच्छा होना पाया गया है। कल्चर डाले जाने के 15 दिन के बाद एजोला की पहली फसल तैयार हो जाती है। बाद के दिनों में चारा की उपलब्धता के लिए यही प्रक्रिया अपनानी होगी।

वर्जन
अजोला संपूर्ण पोषक तत्वों का खजाना

अजोला संपूर्ण पोषक तत्वों का खजाना है, जिससे पशुओं के सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। इसमें प्रोटीन की प्रचुर मात्रा, खनिज पदार्थ एवं अमीनो अम्ल भी पाए जाते हैं। पशुओं को नियमित अजोला खिलाने से दुग्ध उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि होने के साथ उनमें शारीरिक विकास भी होता है तथा पशु स्वस्थ रहते हैं।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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