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ग़रीबी ले के जो हुए पैदा तो कैसा हक़ है जीने का….तुम्हे बे वक़्त ही मरना पड़ेगा यही जीने की क़ीमत है,जनाब

बिलासपुर। नगर पालिक निगम द्वारा अतिक्रमण के नाम पर की जा रही कार्रवाई भले ही सुगम यातायात व्यवस्था के सुधार के नाम पर की जा रही है,पर मानवीय संवेदनाओं को नजर अंदाज कर की जा रही कार्रवाई मानवता को शर्मसार कर रही है,प्रशासन द्वारा जिस तरीके से अतिक्रमण के नाम पर इंसानियत पर बुलडोजर चलाया गया वह अति निंदनीय एंव दुखद है,”दुर्बल को न सताइये,जाकी मोटी हाय,मरी खाल की सांस से,लोह भसम हो जाय,”उक्त इलाके में वर्षों से लोग पीढ़ी दर पीढ़ी रहते आ रहे हैं उक्त भूमि में जन्मे खेले कूदे और आज बड़े हो गए उन्हें पता ही नहीं चला कि वे सरकार की भूमि में वर्षों से काबिज हैं उनका अपना कहीं कोई आशियाना नहीं, जबकि उक्त क्षेत्र में सरकार द्वारा ही है सड़क पानी बिजली स्कूल अस्पताल मुहैया इनके लिए करती रही है यदि अतिक्रमण था तो सरकारी योजनाओं का विस्तार क्यों ??
अतिक्रमण होते ही उसे पर कड़ाई से अंकुश क्यों लगाया नहीं जा सकता सालों साल रहने के बाद अचानक शासन प्रशासन को अतिक्रमण दिखाई देना समझ से परे है, स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा वोट बैंक की लालसा में बसाया जाता है शासन- प्रशासन जब इन्हें बेदखली करता है तब यही जनप्रतिनिधि पता ना पावे सीताराम हो जाते है,यदि शहर का विस्तार हो रहा है विस्थापना की जरूरत है तो सर्वप्रथम विस्थापित किए जा रहे परिजनों को सुरक्षित एवं व्यवस्थित मकान की व्यवस्था की जाए स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ पीड़ित पक्षों के बीच सामंजस्य बनाकर यह नहीं की जर्जर अवस्थित बने आवासों पर जबरिया ठूस दिया जाए,!!

महेश दुबे टाटा महाराज
पूर्व सचिव प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण

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