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तापजन्य तनाव में अब मवेशी भी…मवेशी पालकों के लिए जारी अलर्ट….

बिलासपुर– बेहतर आश्रय स्थल और वेंटिलेशन पर ध्यान दें। जल कुंड और जल प्रबंधन करीब हो ताकि आवाजाही के दौरान, जरूरत पर प्यास बुझाई जा सके।

पारा 45 डिग्री सेल्सियस से आगे बढ़ चुका है। तापमान का यह स्तर मवेशियों की ताप तनाव सहनशीलता की सीमा से बहुत आगे बढ़ चुका है। ऐसे में मवेशी पालकों और डेयरी संचालकों को कुछ बेहद जरूरी सावधानियां बरतने और उपाय को फौरन अमल में लाने का अलर्ट पशु वैज्ञानिकों ने जारी किया है।


बेहतर वेंटीलेशन

मवेशियों को जिस क्षेत्र में रखा गया है, उसमें बेहतर वेंटिलेशन पहली जरूरत है। छायादार आश्रय स्थल के करीब ही होना चाहिए पानी का कुंड। चारागाह की समीपता भी तय करनी होगी ताकि पहुंचने में ज्यादा समय ना लगे़। ध्यान रखना होगा कि नियमित दिनचर्या के दौरान अनजान व्यक्तियों द्वारा स्पर्श कम से कम हो क्योंकि यह ज्यादा होने से मवेशियों के शरीर का तापमान बढ़ जाता है।


बरतें यह सावधानी

उच्च दूध उत्पादन करने वाली गाय सबसे ज्यादा संवेदनशील मानी गई है क्योंकि दूध देने के दौरान शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसलिए सावधानी बेहद जरूरी है। काले बाल वाले मवेशियों में यह खतरा ज्यादा होता है क्योंकि तापजन्य तनाव इनमें अपेक्षाकृत तेजी से बढ़ता है। बचाव के लिए जरूरी उपायों के तहत ठंडे पानी का छिड़काव, पैरों और पंजों पर करना होगा। गीला तौलिया डालें शरीर पर। ज्यादा पशु होने की स्थिति में छोटे समूह बनाएं ताकि वायु प्रवाह समान रूप से पहुंचता रहे। यह उपाय प्रभावी माने गए हैं।


तापजन्य तनाव की पहचान

पशुओं की श्वसन दर में मानक से ज्यादा वृद्धि। पानी का सेवन ज्यादा। भूख में कमी। अत्यधिक मात्रा में लार छोड़ना, यह कुछ ऐसे सामान्य लक्षण हैं, जिनसे तापजन्य तनाव से पीड़ित पशुओं की आसान पहचान की जा सकती है। पीड़ित मवेशियों को फौरी राहत के तहत छायादार, खुला आश्रय गृह में रखने और करीब ही पानी कुंड रखने की सलाह दी गई है। प्रतिकूल स्थितियों में नजदीकी पशु चिकित्सालय और पशु चिकित्सकों से संपर्क के निर्देश दिए गए हैं।


गर्मी के मौसम में करना होगा पशुधन का प्रबंधन

गर्मी के कारण पशुओं के शरीर का तापमान बढ़ता है। परिणामस्वरूप शरीर की क्रियाएं शिथिल, अत्यधिक कमजोरी तथा भूख में कमी आती है। दुधारू पशुओं का दूध कम हो जाता है। गर्भवती पशुओं में गर्भपात का खतरा रहता है, बुखार की समस्या बढ़ जाती है। इस मौसम में पशु के शरीर में समय पर पानी की पूर्ति न होने पर पशु निढाल होता जाता है एवं उसकी मृत्यु भी हो सकती है। वर्तमान समय में पशुपालकों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि उनका पशु हाफ रहा है, कमजोरी या थकान महसूस कर रहा है, मुंह से लार टपक रही है, उसके हृदय की गति बढ़ रही है, वह निढाल हो रहा है। ऐसे कोई भी लक्षण दिखने पर तत्काल पशु चिकित्सक की सलाह ले । यह हीट स्ट्रोक के लक्षण है।

डॉ.आशुतोष दुबे, साइंटिस्ट (लाइवस्टॉक प्रोडक्शन मैनेजमेंट), स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च स्टेशन, रायपुर (छ.ग.)

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