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तापमान बदल रहा तितलियों का रंग-रूप……पंख में धब्बे कम और आकार छोटा…..

बिलासपुर– बढ़ता तापमान तितलियों के रंग-रूप पर प्रभाव डाल चुका है। नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि हो रही है, वैसे-वैसे तितलियों के पंख में बनने वाले धब्बों की संख्या कम हो रही है। यह नया बदलाव तितलियों को उस छलावरण से दूर कर रहा है, जो उन्हें एक तरह से सुरक्षित रक्षा कवच देता है।

जलवायु परिवर्तन तितलियों के लिए अप्रत्याशित परिणाम माना जा रहा है लेकिन तापमान में जैसी बढ़त आई उससे तितलियों का जीवन चक्र भी बदलता नजर आ रहा है। पहला बदलाव उनके रंग रूप पर देखा जा रहा है, तो दूसरा परिवर्तन, पंख में छोटे होते धब्बे के रूप में नजर आ रहा है। इस परिवर्तन पर नजर रख रहे वैज्ञानिकों के अनुसार अंतिम परिणाम जल्द ही सामने आ पाएंगे जब अनुसंधान पूरा होगा।


पहला खतरा ‘ एक्टोथर्म’ जीव पर

जलवायु परिवर्तन, उच्च तापमान और बारिश का बदला पैटर्न, एक्टोथर्म जीव की श्रेणी में आने वाली तितलियों पर बड़ा खतरा है। यह जीव आसपास के वातावरण में मौजूद गर्मी का उपयोग शरीर को गर्म बनाए रखने के लिए करते हैं लेकिन पहले से ही उच्च स्तर की गर्मी ऐसी प्रक्रिया में शरीर को और भी गर्म बना रही है। इससे तितलियां अपने शरीर के तापमान पर नियंत्रण नहीं रख पा रहीं हैं।


चार गुना ज्यादा तापमान

मादा तितलियों के लिए आदर्श तापमान 11 डिग्री सेल्सियस माना गया है। इस स्तर पर विकसित तितलियों के पंख में औसतन 6 धब्बे होते हैं लेकिन जब 15 डिग्री सेल्सियस तापमान पर विकसित तितलियों के पंख पर अध्ययन किया गया, तो केवल तीन धब्बे ही पाए गए। तापमान के ताजा बदलाव को देखते हुए माना जा रहा है कि इससे धब्बों की संख्या कम होना तय है। साथ ही धब्बों का आकार भी छोटा होगा।


इसलिए अहम हैं धब्बे

तितलियों के पंख के सामने के हिस्से में हमेशा बड़े ‘आई स्पॉट’ होते हैं, यह तितलियों को शिकारी जीव से बचाते हैं। पंख के पिछले हिस्से में नजर आने वाले छोटे- छोटे धब्बे, आराम करने के दौरान तितलियों को वातावरण में घुलने- मिलने में मदद करते हैं लेकिन अब, न केवल धब्बे की संख्या कम हो रही है बल्कि आकार भी छोटा हो रहा है। तितलियों के जीवन के लिए संकट बनता जा रहा है यह बदलाव।


परागण में महत्वपूर्ण भूमिका

एक फूल से दूसरे फूल पर मंडराने वाली तितलियां सिर्फ देखने में सुंदर नहीं होती बल्कि मानव जीवन के लिए भी अत्यधिक उपयोगी होती है। तितलियां परागण जैसी प्रक्रिया को संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि तितलियां ना हो तो कई प्रजातियों की वनस्पतियों में फल ही नहीं बन पाएंगे परिणाम स्वरूप पुनरूत्पादन प्रभावित होगा। वन्यजीवों की श्रृंखला में टाइगर भले ही सर्वोपरि हो लेकिन इस श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी तितलियां भी है।


जलवायु परिवर्तन मुख्य कारक

रंग-रूप में कमी दुनिया भर की तितलियां को प्रभावित करने वाली एक वास्तविक समस्या है, और जलवायु परिवर्तन इसका मुख्य कारण है। तितलियां अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और साथी को आकर्षित करने के लिए अपने पंखों के रंगों का उपयोग करती है। गहरे रंग अधिक गर्मी को अवशोषित करते हैं, जबकि हल्के रंग अधिक गर्मी को परावर्तित करते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ रहा है, जिससे हल्के रंग के पंखों वाली तितलियों को अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में कठिनाई हो रही है तथा तनाव के कारण लुप्त हो रही है।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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