Blog

पटवारी कार्यालय निजी सहायक के भरोसे…..सरकारी रिकार्ड भी भगवान भरोसे….पूर्व में कमिश्नर और कलेक्टर ने दिया था आदेश….हो रही अवहेलना….

खासखबर बिलासपुर / जिले के पटवारियों को देखोगे तो आप खुद हैरान
रह जाओगे….दरसल कुछ नहीं बल्कि ऐसे कई पटवारी है जो सहायक के साथ मिलकर काम करते है या फिर ऐसा कह सकते है की बिना सहायक के काम नहीं कर सकते….और यह भी कह सकते है की यही सहायक दलाली करने का भी काम करते है…जिनका काम पैसा वसूल करना रहता है….जिले के कमिश्नर,कलेक्टर,एसडीएम और तहसीलदार यही अचानक छापा मारे या फिर निरिक्षण में पहुंच जायेँगे तो साफ नजर आएगा की पटवारी कार्यालय किसके भरोसे चल रहा है…. खासखबर छत्तीसगढ़ आपको कुछ तस्वीर दिखा रहा है जिसमे आप खुद समझ सकते है की आखिर ये क्या है…

पटवारी एक सहायक अनेक….

वैसे तो राजस्व विभाग में आये दिन कुछ ना कुछ अजीबो ग़रीबों मामला सामने आते रहता है….जिससे सिर्फ़ आम लोगो को समस्या का सामना करना पड़ता है…और बार बार पटवारी कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है… उसके बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हो पाता है… पटवारियों के द्वारा आम लोगो को ज़्यादा काम होने का हवाला देते हुए पटवारी कार्यालय में ऐसे ही सहायक रखा गया है… जो पटवारी का काम काज में मदद करते है….आख़िर कौन है ये सहायक और इनका पटवारी कार्यालय में क्या काम होता है, आख़िर पटवारी कार्यालय में बिना किसी शासकीय आदेश के कैसे ये काम करते नज़र आते है… अगर पटवारी कार्यालय से किसानों से जुड़ी या किसी की ज़मीन जायदाद से संबंधित क़ीमती दस्तावेज इधर उधर हो गया तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी होगी…बता दें बिलासपुर में भी विभिन्न पटवारी कार्यालय में ऐसे ही सहायक के पद पर कई सालो से लोग कार्य कर रहे है पटवारी और किसान के बीच का लेनदेन का माध्यम बने हुए है….इसमें सिरगिट्टी हल्का नंबर 41 में अजय चौहान और रजनीश मानिकपूरी पिछले तीन साल से कार्यरत है…हल्का नंबर 41 के पटवारी भुवनेशवर कुमार पटेल को इस विषय में पूछा गया तो उनका कहना है कि पिछले पटवारी के कार्यकाल से यहाँ है मैं नहीं जानता हूँ…अब सोचने वाली बात है कि दो लोग पिछले कई सालों से पटवारी कार्यालय में कार्य कर रहे है और इस बात की जानकारी पटवारी को ही नहीं है….

*पटवारियों की शान और शौक़त*

हल्का नंबर 38 में तो पटवारियों की शान शौक़त देखते ही बन रही थी 5 से 6 हज़ार के किराये के कमरे में पटवारी कार्यालय में महँगे से महंगे फर्नीचर से काम हो रहा है। यहाँ भी सहायक रवि कश्यप पिछले दो साल से कार्यरत है जिसका अलग से टेबल और लैपटॉप लगा हुआ है…लोग पहले रवि से मुलाक़ात करते है उसके बाद पटवारी तक पहुँच पाते है… कुदूदंड पटवारी ने तो ग़ज़ब ही कर दिया जाति संबंधी दस्तावेज में दस्तख़त करने के लिए प्रार्थी को 15 दिन घुमा दिया एक साइन के लिए आवेदक को 15 दिन से ज़्यादा भटकना पड़ गया….पटवारी कार्यालय जाते उसके बाद भी साइन नहीं हो पाया है….पटवारी द्वारा कभी हाई कोर्ट में हूँ तो कभी सीमांकन में हूँ बोलकर घुमाया जा रहा है…अब ऐसे में सिर्फ़ आम लोगो को समस्या से जूझना पड़ रहा है आख़िर कब तक लोगो को ऐसे समस्या का सामना करना पड़ेगा… और कब सरकार ऐसे सहायक के ऊपर कार्यवाही करेगी या ऐसे पटवारियों के ऊपर कार्यवाही करती जो बिना किसी शासन के आदेश के अवैध तरीक़े से सहायक रखे है….

कमिश्नर और कलेक्टर ने पूर्व में दिया था आदेश

आपको बता दे पूर्व में शिकायत के आधार पर कमिश्नर और कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया था जिसमे कहा गया था की कोई भी पटवारी सहायक न रखे,उसके बाद भी सहायक रखा गया है..इसका मतलब साफ है की पटवारी कमिश्नर और कलेक्टर के आदेश को नहीं मानते है…और यह भी माना जा सकता है की बिना निजी व्यक्ति के उनका काम नहीं हो सकता…लेकिन सरकारी रिकार्ड इधर से उधर हुआ तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी समझ से परे है ?.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *