ब्रेन हैमरेज के मरीज बढ़ते जा रहे
एसी से निकलकर तुरंत तुरंत धूप में जाने से बचें
बीपी,शुगर से पीड़ित 50 से 60 साल के लोगों को हो रही परेशानी
बिलासपुर। गर्मी बढ़ने के साथ ही ब्रेन हैमरेज के मरीजों की संख्या बढ़ने लग जाती है। ब्रेन हैमरेज के मरीज इन दिनों सरकारी उर निजी अस्पताल में चेकअप करवाने आ रहे है।सभी मरीज बीपी, शुगर से पीड़ित हैं। ज्यादातर मरीजों को यह परेशानी एसी से बाहर निकलने 15 मिनट के बाद हुई है। इनमें कुछ मरीज ऐसे हैं जिनकी उम्र 70 साल के करीब है।डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे में एसी से निकलकर तुरंत धूप में ना जाएं या फिर धूप से तुरंत एसी में ना बैठे।
इससे ब्रेन हैमरेज का खतरा बढ़ने का ज्यादा डर रहता है।
डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह से गर्मी और धूप से बचे अन्यथा बीमारी से बचना मुश्किल हो जाएगा।
यही कारण है।
की भारी गर्मी और एसी के बीच में रहने से ब्रेन हैमरेज की शिकायत मिल रही है।
डॉक्टरों के अनुसार प्रमुख लक्षण
शरीर के एक हिस्से, चेहरे, हाथ, टांग में सुन्नपन, बोलने और समझने में मुश्किल, एक या दोनों आंखों से साफ न दिखना।
तेज सिर दर्द, उल्टी होना, जी मिचलाना, शरीर के किसी भी हिस्से में अकड़न के साथ उसमें दर्द का पता न चलना
दो तरह के बेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा
डॉक्टर वैभव उपाध्याय ने बताया कि बेन स्ट्रोक दो तरह के होते हैं। पहला सिस्मिक स्ट्रोक होता है। इसमें दिमाग की नसों में रक्त प्रवाह कुछ कारणों से रुक जाता है। इसकी वजह से दिमाग की नसों में खून धक्का जम जाता है। इससे बेन हेमरेज होने की संभावना 99 प्रतिशत हो जाती है। जबकि, दूसरा हेमरेजिक स्ट्रोक होता है। इसमें दिमाग की नसें फटने से ब्लड का प्रवाह तेज हो जाता है। इसमें मरीज के शरीर के किसी भी हिस्से में लकवा मार सकता है। ब्रेन स्ट्रोक होने पर पहला घंटा ही बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। देखने, सुनने और समझने की क्षमता प्रभावित हो रही है तो तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ताकि इसका समय रहते इलाज हो सके।
वर्जन
एसी से अचानक निकलकर धूप में जाने से ब्रेन हैमरेज होता है।और यह ज्यादातर बीपी शुगर और बुजुर्गो में होता है।जो कमजोर होते है।जो एसी में रहकर ठंडे हो जाते है और अचानक गर्मी में।बाहर आ जाते है जिससे उनके दिमाग की नस फट जाती है। जिससे वे ब्रेन हैमरेज के शिकार हो जाते है।
वर्जन
अत्यधिक ब्लड प्रेशर और शुगर के कारण यह ज्यादा देखने को मिलता है।इसके लिए एक साथ धूप और ठंडी जगह से बचना चाहिए।जिससे नस फटने का खतरा बना रहता है।
डॉक्टर आशुतोष तिवारी