लाखों फूंकने के बाद भी नहीं हटा पा रहे जलकुंभी….

नगर निगम का अभियान हुआ फेल
नदी और तालाबों से नहीं खत्म हो रहे जलकुंभी
बिलासपुर। तालाब,नदी जलाशयों और झील में जलकुंभी को खत्म करने के लिए नियोचेटीना बीटल (ब्राजील) नामक कीड़े का एक प्रयोग करना चाहिए। इससे जलकुंभी पूरी तरह से खत्म हो सकता है। बता दे कि जलकुंभी को ज्यादातर नदी, तालाब और बड़े जलाशयों में।देखने को आसानी से मिल जाता है। जिसको कितना भी साफ कर लो
बाद में फिर से कही न कही से आ ही जाता है। जलकुंभी की वास्तविकता यही है कि यह फूल से फल बनते है फिर ये धीरे धीरे बढ़ता है और उसके बाद पूरे तालाब नदी या फिर जलाशयों को ढंक देता है। जलकुंभी से वाटर लेवल कम होता है। मछलियों का उत्पादन कम होने लग जाता है। जिसके कारण जलकुंभी को हटाना ज्यादा जरूरी माना जाता है। इसके लिए
नियोचेटीना बीटल (ब्राजील) नामक कीड़े को लाकर छोड़ना ज्यादा जरूरी है । जब नगर निगम मशीन में लाखो खर्च करके प्रयोग कर रहा है तो एक बार कीड़े में भी भाग्य आजमाना चाहिए। ताकि जलकुंभी किसी तरह से साफ हो सके और नदी तालाब साफ सुथरा दिख सके।

सबसे बड़ी बात है कि नियोचेटीना बीटल ( ब्राजील) नामक कीड़े का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है और यह कीड़ा जलकुंभी के अलावा किसी को नहीं खाता है। कीड़ों को।मछली और अन्य चीजों से कोई मतलब नहीं है वह सिर्फ जलकुंभी के जड़ में जाकर उसको खता है और उसके बाद जलकुंभी खत्म होने लगता है।

कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है।
जलकुंभी को टेरर ऑफ बंगाल के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल से ही इसकी शुरुआत हुई थी। जलकुंभी साउथ अमेरिका की प्रजाति का है जो विश्व में यूरोप छोड़कर सभी देशों में है।

5 रुपए में एक कीड़ा मिलता है और यह सिंगल से डबल भी होता है। एक हेक्टेयर में करीब 5 लाख कीड़े लगेंगे। जिसका प्रोजक्ट बनाकर राज्य सरकार को कलेक्टर के माध्यम से भेजा जाने वाला है।
नियोचेटीना बीटल (ब्राजील) नाम के कीड़े आयेंगे तो उसे भी एक डोम बनाकर रखा जायेगा जो जलकुंभी जैसा रहेगा,और जब जहाँ छोड़ना है वहा पर कंटेनर से छोड़ा जायेगा।उसके बाद वह अपना शुरू कर देगा।

तालाब, जलाशय,नदी और झील में होने वाले जलकुंभी को खत्म करने नगर निगम की योजना फेल हो चुकी है। लाखों खर्च करने के बाद भी जलकुंभी नहीं हटा है। न खत्म हुआ है और न ही इसका सफाया हो पा रहा है।
जलकुंभी तालाब,नदी,झील,जलाशयों में देख सकते है। जिसको खत्म करने की कोशिश में नगर निगम ने लाखों रुपए फूंक दिए है। इसके बाद भी जलकुंभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

जलकुंभी से दूषित होकर दम तोड़ रहे नगर के प्राचीन तालाब, शहरी क्षेत्र के कई तालाब जलकुंभी का शिकार बन गए हैं। जोरा तालाब में जलकुंभी का प्रकोप हो गया है।
तालाब में जलकुंभी के कारण हरी चादर दिखाई देती है। तालाब जलकुंभी से पूरी तरह पट गया है।
शहर के आधे दर्जन से अधिक तालाब के चारों ओर जमी जलकुंभी को हटाने के लिए प्रयास कर चुके है।लेकिन कोई असर नहीं हुआ है। जिससे तालाब बुरी तरह गंदगी की चपेट में है।

जलकुंभी को हटाने के लिए नगर निगम ने मशीन लगाकर जलकुंभी को साफ करने की कोशिश की,लेकिन नहीं हटा सके,अब एक बार नियोचेंटीना बीटल (ब्राजील) नामक कीड़े का भी प्रयोग करके देख लेना चाहिए। इस कीड़े से जलकुंभी जड़ से खत्म हो जायेगा। और जहां जायेगा वहां का भी जलकुंभी खा लेगा। और सबसे बड़ी बात ये है कि ये सिंगल से डबल भी होते है। जब तक जलकुंभी रहेगा तब तक कीड़े जिंदा रहेंगे । जलकुंभी
के साफ होते ही धीरे धीरे करके कीड़े भी खत्म हो जाएंगे।
डॉ.शिल्पा कौशिक
साइंटिस्ट कृषि विज्ञान केंद्र
बिलासपुर
नियोचेटिना बीटल नामक कीड़े की मुझे बिल्कुल जानकारी नहीं है,और न मुझे इसकी किसी तरह की कोई जानकारी दी गई है।ना ही कभी किसी ने चर्चा की है। अगर कोई वैज्ञानिक आकर प्रेजेंटेशन देगा कोई डेमो करके दिखाएगा तो जरूर इस पर विचार किया जा सकता है।
खजांची कुमार
उपायुक्त नगर निगम बिलासपुर