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‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के किसानों को दी गई उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही,।
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर के वैज्ञानिकों द्वारा ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत गौरेला ब्लॉक के ग्राम बढ़ावनडांड एवं खोडरी में कृषकों को उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी प्रदान की गई।

इस जागरूकता कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक कृषि विधियों, जलवायु-अनुकूल खेती, और उच्च उत्पादन तकनीकों से परिचित कराना था, जिससे उनकी फसल उत्पादकता और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

प्रमुख बिंदु:

धान की उन्नत किस्में एवं खरपतवार नियंत्रण

किसानों को धान की उन्नत किस्मों के चयन, उनके वैज्ञानिक फसल प्रबंधन और एकीकृत खरपतवार नियंत्रण की तकनीकों की जानकारी दी गई।

खरीफ की अन्य फसलें

मक्का, मोटे अनाज (लघु धान्य), दलहन एवं तिलहन जैसी फसलों की उच्च उत्पादकता के लिए नवीनतम कृषि तकनीकों को अपनाने की सलाह दी गई।

फलदार पौधों का चयन और मिश्रित खेती

किसानों को जलवायु-अनुकूल फलदार पौधों जैसे आम, अमरूद, नींबू, सीताफल आदि के चयन तथा मिश्रित और बहुफसली खेती को अपनाकर कृषि में विविधता लाने पर बल दिया गया।p

कृषि वानिकी का महत्व

कृषि वानिकी को टिकाऊ और आयवर्धक कृषि का आधार बताया गया। किसानों को स्थानीय जलवायु के अनुसार उपयुक्त वानिकी प्रजातियों (जैसे सागौन,बांस, शीशम, करंज, नीम, सहजन, खम्हार, सफेद सिरस, काला सिरस, तेंदू, हल्दू, अंजन, महुआ, चिरौंजी आदि) को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।

विशेषज्ञों का योगदान:

वानिकी वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने वानिकी एवं कृषि वानिकी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा:
“आज के बदलते पर्यावरणीय परिदृश्य, गिरते जलस्तर और बढ़ती लागत के दौर में वानिकी एवं कृषि वानिकी एक दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करती है। पेंड्रा-गौरेला-मरवाही क्षेत्र में उपयुक्त बहुउद्देश्यीय वृक्ष प्रजातियों को खेती के साथ एकीकृत कर हम भूमि की उर्वरता, नमी संरक्षण और आय स्रोतों में वृद्धि कर सकते हैं।”

उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. पुष्पलता तिर्की ने फलदार पौधों और बागवानी की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा:
“बागवानी फसलें जैसे कि आम, अमरूद, नींबू, अनार, और सीताफल न केवल उच्च लाभदायक हैं बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रति भी कम संवेदनशील हैं। छोटे व मध्यम किसान बागवानी को अपनाकर आय में निरंतरता और विविधता ला सकते हैं।”

डॉ. अवनीत कुमार (अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन)

उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित सुगंधित एवं उच्च उत्पादक किस्मों की जानकारी दी। साथ ही रबी एवं खरीफ की विविध फसलों को अपनाने से संबंधित वैज्ञानिक सलाह दी गई।

अभियान का उद्देश्य और प्रभाव:

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के माध्यम से ग्रामीण अंचलों में वैज्ञानिक सोच, कृषि नवाचार, और जलवायु-संवेदनशील कृषि प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह पहल किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर तकनीकी दृष्टि से उन्नत, अधिक लाभकारी, और टिकाऊ कृषि प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है।

कृषि वानिकी और उद्यानिकी, दोनों ही घटक इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो न केवल खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा में भी सहायक हैं।

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