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स्कूल शिक्षा विभाग पदोन्नति संशोधित पदस्थापना प्रभावित प्रधानपाठक….शिक्षक व शिक्षकों के लिए अच्छी खबर…HIGH COURT ने प्रधान पाठक शिक्षक व सहायक शिक्षकों के पक्ष में सुनाया ये बड़ा फैसला…प्रभावित शिक्षकों ने जतायी खुशी…

खासखबर बिलासपुर । पदोन्नति संशोधित पदस्थापना प्रभावित शिक्षकों के लिए माननीय उच्च न्यायालय से राहत भरी खबर आयी है। उच्च न्यायालय ने 10 दिन के भीतर याचिकाकर्ताओं को संशोधित शाला में ज्वाइनिंग देने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार की तरफ से जारी किये गये गलत व्याख्या वाले आदेश के निरस्त कर दिया है। दरअसल राज्य सरकार ने प्रधान पाठक शिक्षक व सहायक शिक्षकों के प्रमोशन की प्रक्रिया अप्रैल मई में शुरू की थी। काउंसिलिंग के बाद प्रमोशन की प्रक्रिया हुई थी।
इस दौरान पोस्टिंग में कई शिक्षकों को दूर दराज के क्षेत्रों, दूसरे जिलों में पोस्टिंग मिल गयी। पोस्टिंग से असंतुष्ट हजारों शिक्षकों ने पोस्टिंग स्थल में संशोधन के लिए आवेदन किया। संयुक्त संचालकों को किये अभ्यावेदन को स्वीकारते हुए कई शिक्षकों को निकट के स्कूलों में पोस्टिंग मिली। इसी बीच 4 सितंबर को सचिव स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से शिक्षकों की नयी पोस्टिंग को निरस्त करते हुए एकतरफा शिक्षकों को संशोधित स्कूलों से मुक्त कर दिया गया।
इस फैसले के खिलाफ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका लगायी। 11 सितंबर को हुई सुनवाई में जस्टिस अरविंद चंदेल ने यथास्थिति का आदेश दिया। लिहाजा शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गयी, वो ना तो स्कूलों में ज्वाइन कर पाये और ना ही संशोधित शाला में लौट पाये। 3 नवंबर को हाईकोर्ट ने अंतिम निर्णय पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता प्रधान पाठक, शिक्षक व सहायक शिक्षकों के अभ्यावेदन पर 45 दिनों के भीतर नये से निर्णय लेने के लिए सचिव स्कूल शिक्षा विभाग के नेतृत्व में कमेटी बनाने को कहा गया।

हाईकोर्ट के फैसले में पिछली पोस्टिंग शाला में ज्वाइनिंग का निर्देश था, लेकिन इस शब्द को लेकर विभाग की तरफ से ऐसी व्याख्या की गयी, जिसमें ये कहा गया कि पिछली पोस्टिंग का मतलब संशोधित शाला नहीं, बल्कि पदोन्नति के बाद हुई पहली पोस्टिंग है। मूल शाला में ज्वाइनिंग के लिए बाध्य किये जाने के विरोध में शिक्षकों ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की।
अधिवक्ता मनोज परांजपे व देवाशीष तिवारी के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 10 दिनों के भीतर याचिकाकर्ताओं को संशोधित शाला में ज्वाइनिंग देने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार की तरफ से गलत व्याख्या वाले आदेश को निरस्त कर दिया है।
याचिकाकर्ताओं चन्द्रशेखर पाण्डेय,केशव चन्द्र वर्मा,दीपक कश्यप, सतीश कश्यप,पंकज शुक्ला, लता ठाकुर, नीलिमा शरत पाउला, सविता राऊत, चन्द्रकान्त कश्यप की ओर से फैसले का स्वागत किया है।

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