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अमित जोगी ने खोला शराब माफियाओं के खिलाफ मोर्चा,भाजपा विधायक धरमजीत सिंह पर लगाए गंभीर आरोप..

रायपुर / छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, और इस बार चर्चा के केंद्र में हैं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष अमित जोगी। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र, अमित जोगी ने शराब माफियाओं के खिलाफ जोरदार अभियान छेड़ दिया है। इस अभियान के जरिए उन्होंने राज्य में शराब कारोबार में व्याप्त भ्रष्टाचार और घोटालों को उजागर करने का दावा किया है। इसके साथ ही, उन्होंने भाजपा के विधायक धरमजीत सिंह पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

शराब घोटाले पर बड़ा खुलासा..

अमित जोगी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया है कि पिछले 15 वर्षों में छत्तीसगढ़ में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का शराब घोटाला हुआ है। उन्होंने इस घोटाले के पीछे अमोलक सिंह और उनके भतीजे प्रिंस भाटिया को मुख्य आरोपी बताया है। जोगी का कहना है कि ये दोनों नकली शराब बेचकर प्रदेश की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं और अब तक सरकार ने इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

जोगी के इस आरोप ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। उनके अनुसार, शराब माफियाओं ने अपने प्रभाव से छत्तीसगढ़ में एक बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया है, जो न केवल अवैध शराब व्यापार को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि इससे जुड़े भ्रष्टाचार में भी लिप्त है।

तखतपुर विधायक धरमजीत सिंह पर हमला..

अमित जोगी ने अपने आरोपों का दायरा और बढ़ाते हुए भाजपा के विधायक धरमजीत सिंह को भी निशाने पर लिया। उन्होंने सिंह पर आरोप लगाया कि वे इन शराब माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं। जोगी ने धरमजीत सिंह को ‘दलबदलू’ करार दिया, यह कहते हुए कि वे पहले कांग्रेस में थे और अब भाजपा में जाकर माफियाओं के हितों की रक्षा कर रहे हैं। जोगी के इस बयान से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में उथल-पुथल मच गई है।

जोगी की विष्णु सरकार को चुनौती..

अमित जोगी ने अपने आरोपों को और गंभीरता से लेते हुए राज्य और केंद्र सरकारों को चेतावनी दी है कि यदि अमोलक सिंह और प्रिंस भाटिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आमरण अनशन करेंगे। जोगी ने कहा कि उनके पास शराब घोटाले से जुड़े सभी दस्तावेज हैं, जिन्हें वे जांच एजेंसियों को सौंपने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि जब तक इन आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जाता और उन्हें जेल नहीं भेजा जाता, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे।

अमित जोगी का यह कदम ऐसे समय में आया है, जब उनकी पार्टी राजनीतिक रूप से कमजोर मानी जा रही थी। उनके इस आक्रामक अभियान को उनकी पार्टी को पुनर्जीवित करने की एक कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। शराब माफियाओं के खिलाफ उनके इस कड़े रुख ने न केवल उन्हें फिर से सुर्खियों में ला दिया है, बल्कि उनकी पार्टी को भी एक नई ऊर्जा दी है।

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