एसईसीएल प्रबंधन मजदूरों के साथ कर रहा सौतेला व्यवहार…अब याचना नही रण होने की स्थिति है :-अख्तर
खासखबर मनेन्द्रगढ़-(एमसीबी)
साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड मे जनरल मजदूरों के कैरियर ग्रोथ और नयी भर्तियों मे क्यों आ रही है रूकावटें इस विषय पर हिन्द मजदूर सभा से सम्बद्ध कोयला मजदूर सभा के केन्द्रीय उपमहासचिव अख़्तर जावेद उस्मानी ने यह प्रश्न उठाते हुये कहा कि यह तो अब एसईसीएल के निदेशक मण्डल के पर्यवेक्षण पर ही प्रश्न चिन्ह उत्पन्न कर रहा है। आज एसईसीएल मे आश्रित और भू आश्रित के रुप मे काम कर रहे जनरल मजदूर कंपनी की एसएपी आधारित पूरी प्रणाली को चला रहे हैं। ऐसे लोग हैं जिन्हें एक्सेन्चर और टेक महिंद्रा मे काम का अनुभव है जो ऐसे साफ्टवेयर बना चुके हैं जो एक एन्ट्री को मजदूरों से संबंधित सभी प्रकार के फार्मों मे एक क्लिक से कर नाम के स्पेलिंग और हर फार्म मे ब्याप्त विसंगतियों मे एकरुपता लाने वाला सिद्ध होगा,लेकिन ऐसे योग्य जनरल मजदूर भी जनरल मजदूर ही बने रहने की यंत्रणा झेलने की ब्यक्ति निर्मित नियति को झेलने के लिए मजबूर हैं।
आज एसईसीएल मे इन्जीनियर हैं लेकिन असिस्टेंट फोरमैन ट्रेनी बनने की आस पाले कुंठित हो रहे हैं,डाटा एन्ट्री आपेरेटर की परीक्षा मे 17 सवाल गलत पाये गये करोड़ो रुपये खर्च कर दिये गये लेकिन परीक्षा को रद्द कर दिया गया। 17 प्रश्न गलत उत्तर के साथ बनाने वाले अधिकारी पर कोई कार्यवाही नही हुई।
विजिलेंस विभाग को इसकी सूचना दी गई परंतु अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई का साहस नहीं हुआ।14 मार्च 2016 को 660 लिपिकों के पद के लिये विभागीय कर्मचारियों के आवेदन मंगाये गये लेकिन 13 अप्रैल 2016 को जब आदेश निकले तो मात्र 263 कर्मचारियों ही इस भर्ती मे 100 नम्बर मे पास होने के लिये जनरल कैंडीडेट के लिये 27 मार्क्स तथा आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिये 24 मार्क्स रखे गये थे। 859 श्रमिकों ने इन पासिंग मार्क्स को पास किया। इसमे दो प्रश्न गलत भी थे, परंतु 660 के स्थान पर केवल 263 लोगों की चयन सूची ज़ारी की गई।
अब दुबारा क्लर्कों की भर्ती की जा रही है। डाटा एन्ट्री आपेरेटर की परीक्षा सालों से चल रही है। स्टोर क्लर्क,लोडिंग क्लर्क और बहुत सारे पद नोटिफाई हो रहे हैं। नोटिफिकेशन पर लोग न्यायालय जा रहे हैं रिज़ल्ट निकलने के बाद न्यायालय जा रहे हैं और कंपनी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के अनुमोदन पर गलत नोटीफिकेशन निकालने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है,विजिलेंस इस पैसे की बर्बादी के लिये नहीं है,एक- एक फाईल सालों से रोकी जा रही है विजिलेंस मौन है। जितना मजदूरों की संडे ओटी काट कर बचत कर रहे है उससे अधिक एसईसीएल प्रबंधन वकीलों की फ़ीस दे रहा है। जनरल मजदूर जो अल्प शिक्षित हैं उनकी तो और दुर्दशा है उनका सम्मान आज ठेकेदारी मजदूरों से भी कम हैं। सुरक्षा के अधिक उपकरण जाय इंटरनेशनल माइनिंग कार्पोरेशन या गेनवेल या टीएमसी के कर्मचारियों के पास हैं।
अख़्तर जावेद उस्मानी ने ये चेतावनी दी है कि पानी नाक से ऊपर जा रहा है अब याचना नही रण होने की स्थिति है और मजदूरों के साथ हम सड़कों पर अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिये मजबूर हैं,उन्होंने कहा कि केवल लोडिंग क्लर्क का सिलेबस देख ले यह सेल्स आफिसर का सिलेबस है। माइनिंग सरदार भर्ती मे बाहरी ऐजेंसी फेल हो गई है या फेल कर दी गई। ये सब सोच समझ के किया जा रहा है। इतनी गलतियां नही हो सकती है। गलतियों के जिम्मेदार अधिकारियों को बचाया जा रहा है,यह क्रूर मजाक कितने दिन ज़ारी रहेगा। इसलिये आंदोलन के लिये एसईसीएल की इस चुनौती को मजदूरों को स्वीकार कर अब लड़ने की तैयारी करनी होगी
तभी मजदूरों को उनको मिलने वाला हक उनको मिल पायेगा।