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वन विभाग का घोटालेबाज डिप्टी रेंजर…सगे भाई के साथ मिलकर कर रहा फर्जीवाड़ा….मजदूरी भुगतान के नाम पर किया लाखों का गड़बड़झाला….

खासखबर बिलासपुर /कहते है जब अधिकारी रुपए कमाने का अवैध तरीका जान लेता है तब उसके मन में पेमेंट से ज्यादा भ्र्ष्टाचार या गड़बड़ी करके रुपया कमाने का लालच रखने लगता है तब वह हद से ज्यादा मोटी चर्बी वाला बन जाता है बाहर से भले लोगो को ईमानदार नजर आता हो लेकिन अंदर ही अंदर भ्र्ष्टाचार रूपी दीमक उसके शैतानी दिमाग पर हावी होता जाता है…लेकिन कहते हैं धांधली करने वाला अगर सबूत छोड़ दे तो फिर उसे कोई नहीं बचा सकता….दरअसल जिसके बारे में हम आपको बता रहे है वह है तो एक मामूली अफसर मतलब अदना सा डिप्टी रेंजर…लेकिन कहते है न की वन विभाग में काम करने वाला एक अदना सा बीट गार्ड की भी तूती बोलती है…बस यही हाल इस वन विभाग के अधिकारी का है…जो बनता तो रसूखदार है…लेकिन जब उसे फ़ोन करो तो भृष्टाचार के सवालों से डर कर भीगी बिल्ली की तरह वह अपने फ़ोन को बिजी में रख देता है…इसका मतलब साफ है की वन विभाग के उस अधिकारी को डर भी लगता है…मतलब अवैध रूप से लाखो कमाना भी है और डर भी लग रहा है…वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उसके पिता भी कभी डिप्टी रेंजर रहे।

अब चलिए थोड़ा उस भृष्ट अधिकारी के बारे में बात कर ले….जैसा की आपको मालुम है की
भ्र्ष्टाचार और अन्य मामलों को लेकर सरकार भले ही बदल गई लेकिन
भ्र्ष्टाचार का खेल आज भी अपने चरम पर है भ्रष्टाचारी कोई और नहीं वन विभाग के एक डिप्टी रेंजर हैं जो अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ना केवल अपने सगे भाई,जो दयालबंद स्थित एक क्लिनिक में झोलाछाप कंपाउंडर (बिना डिग्री का) है…. बल्कि ऐसे अन्य लोगों को फर्जी मजूदर बना कर उनके नाम फर्जी तरीके से मस्टररोल में इंद्राज कर उनके बैंक अकाउंट में मजदूरी की रकम को ट्रांसफर करनें का काम किया है। इतना ही नहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो साहब विभाग से रुपया NEFT बैंक ट्रांजेक्शन के माध्यम से फ़र्जी मजदूरों के बैंक खाते में ट्रांसफर तो करवाते हैं और फर्जी मजदूरों के खाते में रकम आ जाने के बाद उनका भाई फ़र्जी मजदूरों को हजार पांच सौ रुपये देकर बकाया रकम वापस ले लेता है यह कहकर कि ऊपर के अधिकारियों को देना है।

इतनी बड़ी गड़बड़ी करनें के बाद भी डिप्टी रेंजर के आला अधिकारी जांच करने की बजाय उसे बचाने का प्रयास करनें में लगे हुए हैं ताकि उनकी काली करतूत उजागर ना हो जाय।

विभागीय सूत्रों की मानें तो डिप्टी रेंजर अपने भाई सहित दर्जनों ऐसे फर्जी काम और नाम से वनविभाग के खुले ख़जाने को चूना लगाते हुए अपनी जेब गर्म कर रहा है इतना ही नहीं अपने अधिकारियों को भी बराबर का हिस्सा देकर उनका भी वरदहस्त प्राप्त किया हुआ है। ऐसे में हम तो कहेंगे सईंया भय कोतवाल….
कौन है डिप्टी रेंजर?
कौन है उसका भाई?
कितने मजदूरों के नाम पर किया जा रहा फर्जीवाड़ा? कौन कौन अधिकारी हैं शामिल?
कौन से बैंक में खुलता था खाता? जून और फरवरी के महीने में किस फर्जी मजदूर को कितनी रकम ट्रांसफर की गई?
इन सभी बातों परतदर परत करेंगे खुलासा आप जुड़े रहिए हमारे साथ।

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