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KVK कर्मचारियों ने भेदभाव के खिलाफ उठाई आवाज…..कर रहे है हल्ला बोल प्रदर्शन….प्रदेश भर के वैज्ञानिक भरेंगे हुंकार…..

27 मई को आइजीकेवी में करेंगे धरना प्रदर्शन

वैज्ञानिक बोले,भेदभाव करके किया जा रहा प्रताड़ित

कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मियों ने वेतनमान समेत मांगों को लेकर करेंगे प्रदर्शन

बिलासपुर । तकनीकी कर्मचारी संघ आईजीकेवी के बैनर तले कृषि विज्ञान केंद्रों के अधिकारी व कर्मचारियों ने कुलपति को ज्ञापन सौंपने वाले है। जिसमें एनपीएस और जीपीएफ योजना की बहाली,उच्च वेतनमान, पदोन्नति अवसर की मांग शामिल है।

बता दे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अधीन आने वाले कृषि विज्ञान केंद्रों के अधिकारी , कर्मचारियों ने प्रशासनिक भेदभाव और संवैधानिक अधिकारियों के हनन का समाधान की मांग की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एनपीसी और जीपीएफ योजना की बहाली होनी
चाहिए। मेडिकल और अन्य वैधानिक भत्तों की शुरुआत की जाए। सीएएस, उच्च वेतनमान की बहाली और पदोन्नति का अवसर दिया जाए। विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुरूप सुविधाओं में समानता हो तकनीकी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष और गैर तकनीकी की 62 वर्ष किया जाना चाहिए। सेवानिवृत्ति उपरांत पेंशन, ग्रेच्यूटी, मेडिकल और परिवार पेंशन की गारंटी भी होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है की मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करते हुए धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

बिलासपुर समेत प्रदेश भर से जुटेंगे वैज्ञानिक

पहली बार होने वाले इस आंदोलन में सिर्फ बिलासपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश भर के कृषि वैज्ञानिक जुटेंगे।
जिन्होने आईजीकेवी
के लापरवाही और भेदभाव पर गंभीर आरोप लगाया है।
वैज्ञानिकों का कहना है
की कृषि कालेज में 65 साल की आयु में रिटायर्ड किया जा रहा है।जबकि कृषि विज्ञान केन्द्र से पदस्थ लोगो को 60 साल में रिटायर्ड किया जाता है।

30 दिनों में निराकरण नहीं हुआ तो होगा उग्र प्रदर्शन

तकनीकी कर्मचारी संघ ने स्पष्ट किया कि यदि 30 दिनों के भीतर इन मुद्दों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो केवीके कर्मचारी राज्य एवं राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे, जिसकी नैतिक जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

केवीके के वैज्ञानिकों का आरोप

सूत्र बता रहे है कि प्रदेश के ऐसे कई जिले है जिनसे सीनियर साइंटिस्ट एंड हेड का पद रिक्त है जिसमे भर्ती नहीं किया जा रहा है सिर्फ कालेज के किसी प्रोफेसर को प्रभारी के तौर पर नियुक्त करके भेजा जा रहा है जबकि केवीके के ऐसे कई साइंटिस्ट है जो सीनियर साइंटिस्ट एंड हेड बनने के लिए योग्य है लेकिन आईजीकेवी ने भेदभाव करते हुए प्रभारी की नियुक्ति को ज्यादा जोर दिया है।जिसके कारण केवीके के वैज्ञानिकों में आक्रोश बना हुआ है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधीन कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) के कर्मचारियों के साथ भेदभाव एवं संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के विरोध में आंदोलन की चेतावनी

रायपुर, छत्तीसगढ़ तकनीकी कर्मचारी संघ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (IGKV) ने आज किोथ प्रदर्शन करते हुए एक ज्ञान के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन को KVK (कृषि विज्ञान केंद्रों में करत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही रहे संस्थागत भेदभावों के उल्लंघन और संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी के विरोध में 15 दिनों के भीतर समाधान न होने पर राज्याशी आंदोलन की चेतावनी दी है।

  1. पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा से वंचित करना: KVK कर्मचारियों को NPS/OPS जैसे मूलभूत लाभों से अनुचित तरीके से वंचित किया गया है।
  2. मेडिकल एवं अन्य भत्तों की समाधिः बिना किसी सूचना के मेडिकल भने रोक दिए गए, जिससे व ग्रामीण क्षेत्रों 3. में कार्यरत कर्मचारियों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

कैरियर उन्नयन योजना (CAS) का उपपंधनः योग्य कर्मचारियों को पदोन्नति और वेतन वृद्धि से अनुचित रूप से रोका गया है।

  1. सेवा निश्क्ति आयु में भेदभाव विश्वविद्यालय के नियमों के विपरीत KVK ों को 60 वर्ष की आयु में ही सेवास्तृित किया जा रहा है, जबकि अन्य कर्मचारियों के लिए यह सीमा 62/65 वर्ष है।
  2. सेवानिवृत्ति उपरांत लाभों की अनदेखीः पेंशन, प्रेच्यूटी और चिकित्सा सुविधाएँ जैसे अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं।
  3. विशुद्ध अस्थायी नियुक्तियों का विरोध विश्वविद्यालय द्वारा KVK में विशुद्ध स्थायी निधियों की जा रही हैं.

जो IGKV अधिनियम, 1987 और ICAR के समझौते का उल्लंघन है।

कर्मचारी संघ की मार्गः

KVK कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के समकक्ष पदों के समान सेवा लाभ प्रदान किए जाएँ

NPS/OPS, मेडिकल भने और CAS योजना को तुरंत बहाल किया जाएण

सेवा-निवृनि आयु को 63/65 वर्ष किया जाए

संवानिवृत्ति के बाद पेंशन ग्रेच्युटी और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएँ

विवाहित अस्थायी नियंक्तियों के विज्ञापन को तुरंत रह किया जाए

चेतावनी:

यदि 15 दिनों के भीतर इन मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, तो तकनीकी कर्मचारी संच संविधान के अनुच्छेद 19(100) में (b) के तहत राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेगा। यह आदोलन विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, अनुसंधान और प्रसार गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है। संप ने स्पा किया है कि ऐसी स्थिति के लिए विविद्यालय प्रशासनः की निष्क्रियता और भेदभावपूर्ण नीतियाँ जिम्मेदार होगी।

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