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उगाही की खबर लगते ही…मचा हड़कंप…भाड़ी के संकुल प्राचार्य नें आनन फानन में प्रधान पाठकों की लगाई चौपाल…जानें क्या है पूरा मामला

प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधान पाठकों से 2000 से 3000 रुपए की हुई थी वसूली…..संकुल प्राचार्य पर लगा गंभीर आरोप….

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर:- कल एक खबर बड़ी प्रमुखता से प्रकाशित की गई कि जुलाई के महीने में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भाड़ी में विकासखंड स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव मनाया गया खबर आई कि यह शाला प्रवेश उत्सव विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा एवं विकासखंड स्त्रोत बिल्हा द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बेलतरा MLA सुशांत शुक्ला थे।
विधायक के नाम पर कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था के लिए संकुल अंतर्गत प्रधान पाठकों से राशी की मांग की गई। यह कार्य प्राचार्य जितेंद्र कुमार खोब्रागढ़े द्वारा किया गया बताया गया था।
जब हमनें शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम के एवज में वसूली गई राशी के विषय में प्रधान पाठकों से चर्चा की परंतु उन्होंने कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया… किन्तु कुछ शिक्षकों नें नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि संकुल प्राचार्य जितेंद्र खोबरागड़े द्वारा संकुल अंतर्गत संचालित प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधान पाठकों से 2000 से 3000 रुपए वसूले हैं यह बात स्वयं प्रधान पाठकों नें बतलाया है। उन्हें डर है कि कभी भी संकुल प्राचार्य होने के नाते हमारे स्कूल का निरीक्षण कर कोई भी गलती निकाल हमें नोटिस जारी कर सकते हैं।वही कुछ शिक्षकों नें बताया कि यह विकास खण्ड स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम महज विधायक महोदय के सामने अपना नम्बर बढ़ाना और झूठी वाहवाही लूटने के लिए किया गया था। जबकि सभी स्कूलों के बच्चे शाला प्रवेश उत्सव कार्यक्रम में हिस्सा ही नहीं लिए थे। कुछ शिक्षकों नें तो यहाँ तक कहा था कि संकुल प्राचार्य अनुकम्पा नियुक्ति प्रकरण परीक्षण समिति के मेंबर हैं और अभिलेखों के परीक्षण के नाम पर ज्यादा समय डीईओ कार्यालय में बीतता है।
विभागीय सूत्रों के हवाले से खबर आई कि आपके खास खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद तहलका मचा गया आनन फानन में संकुल प्राचार्य ने प्रधान पाठकों की बैठक बुलाया और कहा कि लिखकर दो कि हमसे किसी प्रकार से कोई राशी नहीं ली गई है।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि कुछ प्रधान पाठक इसलिए नहीं आए क्योंकि उनका कहना था कि जब पैसा दिए हैं तो क्यों लिखकर दें कि नहीं दिए। कुछ नें बला टालने लिख दे दिया।

कुछ शिक्षकों नें फोन कर हमारी खबर पर मुहर लगाई और कहा कि उगाही की गई थी कुछ नें धन्यवाद दिया।

बहरहाल जिला शिक्षा अधिकारी को कुम्भकर्णीय नींद से जागना चाहिए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराना चाहिए ताकि अन्य संकुल प्राचार्य सबक लें।

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