गायों की सड़क पर मौत ने जगाई सरकार की नींद…..धीरेंद्र को मिली जिम्मेदारी

धीरेन्द्र दुबे की ताजपोशी से कार्यकर्ताओं में जोश
बिलासपुर।छत्तीसगढ़ में हाल के महीनों में सड़कों पर बेसहारा मवेशियों की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या के रूप में उभरकर सामने आई है। बिलासपुर समेत प्रदेश के कोने–कोने में आए दिन मवेशियों के सड़क दुर्घटनाओं में मौत के मामले दर्ज हो रहे हैं। रात के समय राष्ट्रीय एवं राज्य मार्गों पर आवारा गायों के वाहनों की चपेट में आने से लगातार हादसे हो रहे हैं, जिससे न केवल पशुधन की हानि हो रही है बल्कि सड़क सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है। इन घटनाओं ने जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तक को गहरी चिंता में डाल दिया है। समस्या के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने अब जिला और विकासखण्ड स्तर पर गौ संरक्षण समितियों का गठन कर जिम्मेदार कार्यकर्ताओं और सामाजिक प्रतिनिधियों को अहम जिम्मेदारियां सौंपी हैं।मंत्रालय से जारी आदेश के अनुसार छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग अधिनियम 2004 और नियम 2005 के अंतर्गत बिलासपुर जिले में जिला स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति का नेतृत्व भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व किसान संघ जिलाध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे को सौंपा गया है। दुबे लंबे समय से गौ संरक्षण और ग्रामीण कृषि क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। उनके पास किसान मोर्चा में कार्यकाल के दौरान व्यापक जनसंपर्क और संगठनात्मक अनुभव है। उनकी नियुक्ति को शासन-प्रशासन के साथ-साथ राजनीतिक हलकों में भी एक सशक्त निर्णय माना जा रहा है।जिला एवं विकासखण्ड स्तरीय समितियों को जिले की गौशालाओं की पंजीयन, निरीक्षण, निगरानी और संचालन में सक्रिय भूमिका दी गई है। समितियां छत्तीसगढ़ कृषि पशु परिश्रवण अधिनियम 2004, गौसेवा आयोग अधिनियम 2004 तथा संबंधित नियमों के तहत कार्य करेंगी।
विकासखण्ड समितियां हर माह कम से कम एक बैठक करेंगी, जबकि जिला स्तरीय समिति दो माह में एक बार अनिवार्य बैठक आयोजित करेगी। बैठकों में गौशालाओं की स्थिति, पशुओं के रखरखाव, पोषण व्यवस्था और स्वास्थ्य से जुड़ी रिपोर्ट तैयार कर आयोग को भेजी जाएगी। बिलासपुर जिला स्तरीय समिति में अध्यक्ष के रूप में धीरेन्द्र दुबे के साथ ईश्वररी अकलतरी, रामकृष्ण साहू बिलासपुर, हरिशंकर यादव लाटीडीह, नितिन पैकरा नगोई और रमाकांत पांडेय को सदस्य बनाया गया है।