गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में पहुँचा ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ — किसानों को मिली उन्नत खेती की तकनीकी चाबी

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, 08 जून 2025
खेती अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि विज्ञान और योजना का संगम बन रही है। इसी सोच को लेकर बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर के वैज्ञानिकों की टीम ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत गौरेला विकासखंड के ग्राम तेंदूमुंडा और कोरजा पहुँची, जहाँ कृषकों को उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी दी गई।
इस मौके पर धान की नवीन किस्में, खरपतवार नियंत्रण की वैज्ञानिक विधियाँ, तथा खरीफ की प्रमुख फसलें जैसे मक्का, मोटे अनाज (लघु धान्य), दलहन एवं तिलहन की बेहतर उत्पादन तकनीकों पर चर्चा की गई।

खेती के हर सवाल का मिला जवाब
कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिकों ने कृषकों से संवाद करते हुए उनकी फसलों से जुड़ी समस्याओं को समझा और क्षेत्र विशेष की जलवायु, मिट्टी व संसाधनों के अनुसार व्यावहारिक समाधान सुझाए जिसमें उन्नत बीज चयन, समयबद्ध बुआई व सिंचाई तकनीक, फसल चक्र अपनाने की सलाह, एकीकृत खरपतवार नियंत्रण के उपाय एवं बाजार केंद्रित खेती की समझ प्रमुख रूप से थे।

विज्ञान से जुड़ी खेती की बात
डॉ. गीत शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान) ने धान की उन्नत व स्थानीय अनुरूप किस्मों और वैज्ञानिक फसल प्रबंधन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
डॉ. दिनेश पांडे, वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान) ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित सुगंधित व नवीन किस्मों पर चर्चा की और किसानों को खरीफ व रबी दोनों मौसमों की फसलों को संतुलन से अपनाकर आयवर्धन की दिशा में प्रेरित किया।

ग्रामीण कृषि विकास की नई दिशा
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का मुख्य उद्देश्य किसानों को जलवायु अनुकूल खेती, संतुलित पोषण आधारित फसलें, और स्थायी कृषि प्रणाली के लिए तैयार करना है। इस अभियान से किसानों की उपज बढ़ेगी, खेती कम खर्चीली व अधिक लाभकारी बनेगी, मौसम की मार से बचाव के उपाय अपनाए जा सकेंगे।
कृषि वैज्ञानिकों का संदेश
“खेती में विज्ञान जोड़ें, परिश्रम को दिशा दें — तभी खेती बनेगी लाभ का साधन।”

इस आयोजन से ग्रामीण क्षेत्र में खेती के प्रति नया विश्वास और वैज्ञानिक सोच का संचार हुआ। भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम किसानों के जीवन और उत्पादन क्षमता में सकारात्मक बदलाव लाते रहेंगे।