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घायल हेमा वर्मा पहुंची कोमा में, इलाज के लिए पैसे नहीं,आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवारहादसे के बाद पुलिस कागजी कार्रवाई कर भूली घायल युवती को, प्रथम हॉस्पिटल बिलासपुर में लग रहा 25 से 30 हजार प्रतिदिन

संतोष कुमार श्रीवास

बिलासपुर। गत दिनों बिलासा कालेज हादसे में घायल युवती हेमा वर्मा आर्थिक तंगी से गुजर रही है। 19 अक्टूबर से बिलासपुर के प्रथम हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है। वे कोमा में पहुंच चुकी है। प्रतिदिन लगभग 25 हजार रुपए का बिल प्रथम हॉस्पिटल बिलासपुर द्वारा थमा दिया जा रहा है। कृषक परिवार के लिए इतना महंगा इलाज संभव नहीं हो रहा है। हेमा वर्मा के परजनो ने सोशल मीडिया एवम अन्य माध्यम से आर्थिक एवम उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करने की अपील की है।

भर्ती कराने के बाद झांकने तक नहीं आई पुलिस

पुलिस प्रशासन केवल कागजी कार्रवाई कर पल्ला झाड़ लिया है। कोमा में पहुंची हेमा वर्मा को आज आर्थिक मदद की जरूरत है। मदद तो दूर पुलिस केवल कागजी करवाई कर घायल हेमा को देखने तक नहीं आई है। प्रश्न उठता है कि आदतन बदमाश द्वारा लापरवाही पूर्वक किसी की जिंदगी से कैसे खिलवाड़ कर सकता है? क्या ऐसा कोई कानून है कि पीड़ित परिवार को जितना भी खर्च अस्पताल में हो रहा है उसका वहन आरोपीगण करें? कैसे कोई किसी की जिंदगी से लापरवाहीपूर्वक खेल सकता है…?

तेज रफ्तार और नशा से जिंदगी हो रही तबाह

लापरवाही की पराकाष्ठा को पार करते हुए तेज रफ्तार वाहन और नशे ने कई जिंदगी तबाह कर दी है। आदतन बदमाश की सेकंडा हैंड कार का टेस्ट ड्राइव करने निकले दोस्त ने गुरूवार को कालेज स्टूडेंट्स समेत 8 लोगों को टक्कर मार दी थी। कालेज जैसे संवेदनशील जगह पर लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाते हुए कई लोगों को जख्मी किया गया। शराब पीकर तेज रफ्तार गाड़ी चलाते हुए रतनपुर के विकास रावत और बाबू सूर्यवंशी हादसे को अंजाम दिया।

कार्यवाही का कोई डर नहीं

शहर एवं आसपास शराब पीकर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने का एक फैशन सा बन गया है। पुलिस प्रशासन केवल चुनावी चेकिंग में व्यस्त है। जगह-जगह चेकिंग तो होता है पर न तो कड़ी कार्रवाई होती है और न ही कागजात जांच किए जाते है। बिगड़े साहेबजादों की पहुंच और पकड़ के आगे पुलिस भी पस्त नजर आती है। 

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