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पाताललोक से आपातकाल के मुद्दे को लेकर शहंशाहआलम अपनी तानाशाही और बर्बरता को छुपाना चाहते है-शैलेश पांडेय

BILASPUR/ लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार संविधान और लोकतंत्र में ख़तरे को देश की आवाम ने भाँप लिया और हुज़ूर की तानाशाही और बर्बरता को पिछले एक दशक से पूरा देश देख भी रहा है एवं जो आज़ादी थी पहले वो धीरे धीरे समाप्त होने लगी है,ये देश की आवाम ने जान लिया है और जो संविधान की छतरी में महफ़ूस रहने वाली आवाम का रुख़ देखा तो शायद शहंशाह को अपनी गलती का एहसास हुआ और जनता ने जो इस चुनाव में आईना दिखाया तो अब किसी बीरबल की सलाह में शहंशाह ने आपातकाल का मुद्दा पाताललोक से निकाल लिया जिससे हज़ूर की बर्बरता और अलोकतांत्रिक रवैये को छुपाया जा सके,लेकिन देश के नागरिक ये सब समझ रहे है कि सुल्तान को क्या डर सता रहा है और क्यों पाताललोक जाना पड़ा।

हमने देखा कि कैसे लोकतंत्र की आवाज़ को लोकतंत्र के मंदिर में दबाया और कुचला गया और हमने ये भी देखा कि मेंहगाई जैसी डायन ने अपना मुँह सुरसा जैसा बढ़ा लिया है जो छोटा ही नहीं हो रहा है जिसके कारण ग़रीब और आम आदमी का जीना मुश्किल हो रहा है,हम ने ये देखा और देख रहे है कि देश की आवाज़ मीडिया कैसे दबाव में है और वही दिखाया जा रहा है जो सुल्तान की मर्ज़ी होती है,हमने ये भी देखा कैसे लोकतंत्र के सभी देश के मंदिरों में गद्दी पाने के लिए अपने लोकतंत्र की क़त्ल कर दिया जाता है।हमने पिछले एक दशक में बहुत कुछ देखा है जिससे जनता का फैसला जो आया है वो सही लगा और आगे भी बिलकुल सही आने वाला है जिसका देश को इंतज़ार भी है।

शहंशाह का तानाशाही रैवैया पूरा देश देख रहा है और आख़िर कबतक देखना पड़ेगा ये पता नहीं लेकिन अब सुल्तान अपनी नाकामी और अत्याचार को छुपाने के लिए पाताललोक का सहारा लेना पड़ा ताकि भ्रम फैलाया जा सके।लेकिन देश के नागरिक सब समझते है और पूरे देश में एक डर फैला हुआ है कि कब क्या हो जाए ?

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