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भांडा फूटने से तिलमिलाए शिक्षक नें मंत्री के दरबार में झूठी शिकायत करने की ठानी…..बिना हस्ताक्षर के आवेदन देने पहुंचा मंत्री के पास…..मंत्री के करीबी का फायदा उठाने पर भी नहीं मिला लाभ

खासखबर बिलासपुर। इन सुशासन के दिनों में एक पत्रकार कम RTI एक्टविस्ट द्वारा सरकारी स्कूलों की लचर व्यवस्था सुधारने, जिम्मेदार तनख्वाह खोर अधिकारियों की उदासीनता दूर करने और शासन की ओर से सरकारी स्कूलों को मिल रहे अनुदान राशि और अन्य बजट में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया जा रहा है। महकमे में हड़कंप मचा हुआ है वहीं भृष्ट शिक्षकों में खलबली मची हुई है।

वही दूसरी तरफ भ्र्ष्टाचार में लिप्त एक सरकारी स्कूल का शिक्षक भ्रष्ट आचरण और शासकीय योजनाओं की राशि का दुरुपयोग की वजह से सुर्खियों में बना हुआ है और इसी के कारण भी उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की विभागीय जाँच भी चल रही है साथ ही गेहूँ के साथ घुन भी पिसा रहा है लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

इस बार शिक्षक का टारगेट एक पत्रकार और RTI एक्टिविस्ट है जिसनें शिक्षक के भ्र्ष्टाचार को ना केवल प्रमाणिक दस्तावेज के साथ उजागर किया बल्कि खबरों के माध्यम से जिम्मेदार अधिकारियों को जाँच का आदेश देने के लिए विवश कर दिया। भांडा फूटने से तिलमिलाए शिक्षक नें मंत्री के दरबार में ही झूठी शिकायत करने की ठान ली।

अब चौतरफा भ्र्ष्टाचार के आरोपों से घिरे शिक्षक नें भ्र्ष्टाचार से छुटकारा पाने नया फंडा अपनाया है उन्होंने अपने सगा के माध्यम से मंत्री जी के पास पहुँच गया। मंशा थी शिकायती पत्र लिखकर भ्र्ष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकार पर कार्यवाही कराने की लेकिन शिक्षक की चाल उल्टी पड़ गए गई।

मंत्री जी के यहाँ काम करने वाले एक सगा को झूठी कहानी बताकर सगा और सहानुभूति का एप्रोच लगा कर पहुँच गया मंत्री जी के कार्यालय, सगा नें मंत्री जी से परिचय भी कराया और आवेदन पत्र मंत्री जी को थमा दिया,और बताया कि एक पत्रकार द्वारा आरटीआई आवेदन लगाकर परेशान किया जा रहा है पैसे की मांग की जा रही है। उसकी प्रताड़ना से प्रताड़ित केवल मैं अकेला नहीं हूँ मेरे साथ 14-15 शिक्षक और है जो परेशान हैं।

इतना सुनते ही मंत्री जी भी इमोशनल हो गए बोले कलेक्टर को फोन कर बोल देता हूँ अब नहीं परेशान करेगा। आप चिंता ना करें।

धूर्त चालबाज शिक्षक अंदर ही अंदर खुश हो गया उसने सोचा कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। प्लान सफल हो गया।

लेकिन मंत्री जी की नजर अचानक से आवेदन पत्र पर पड़ी, उनकी आँखे चौन्धिया गई आवेदन पत्र में 14 शिकायतकर्ता शिक्षकों में ना तो किसी शिक्षक के हस्ताक्षर थे ना ही जो शिक्षक मंत्री जी को झूठा शिकायती आवेदन देने लेकर आया था उसके हस्ताक्षर किए गए थे।
मंत्री जी को मामला समझते देर नहीं लगी उन्होंने कहा गुरुजी ना तो इस शिकायती पत्र के शिकायती शिक्षक आपके साथ यहाँ आए हैं ना आवेदन पत्र में उनके हस्ताक्षर हैं और ना ही आपके हस्ताक्षर हैं। थोड़ी देर तक कक्ष में सन्नाटा पसर गया शिक्षक को ऐसा लगा सारी मेहनत फेल हो गई।

फिर मंत्री जी नें शिक्षक से कहा कि आप सबसे पहले इस शिकायत आवेदन पत्र पर उन 14 शिक्षकों हस्ताक्षर और उनको लेकर आइए फिर देखते हैं कि क्या हो सकता है।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत तो आपने सुनी होगी लेकिन इन शिक्षक महोदय नें खुद को बचाने के लिए एक सगा के कंधे का इस्तेमाल किया,एक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट को झूठी शिकायत कर मंत्री की नजर में गिराना चाहा लेकिन सफल नहीं हो सका।

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