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मेरे पापा नेता है,आप मेरे पापा को तो जानते है न….ऐसा कहना है नेताजी के अधीक्षक बेटे का….जो रहता है ज्यादातर आश्रम से बाहर…आश्रम रहता है चपरासी और जलवाहक के भरोसे….देखिए तस्वीरें ..और पढ़िए इस ‘खासखबर” की खास रिपोर्ट में

नेताजी का अधीक्षक बेटा करता है अपनी मनमानी….आश्रम मे कम और काम का बहाना बनाकर बाहर निकलते है ज्यादा….फटकार का भी असर नहीं…

आदिवासी विकास विभाग बना सुर्खियों में

आश्रम में टंगी महापुरुषों की तस्वीरों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों के लिए कैसी व्यवस्था होगी?
टूटा हुआ कैरम बोर्ड आश्रम प्रमुख, निरीक्षण कर्ता, और व्यवस्था पर सवाल खड़े करता नजर आता है।

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। ऐसा लगता है कि आदिवासी विभाग बिलासपुर अंतर्गत संचालित आश्रम और छात्रावास कि कमान विभाग के सहायक आयुक्त सीएल जायसवाल से संभाले नहीं संभल रही है। अधिक्षिकों की मनमानी देख और आश्रम के हालात तो कुछ इसी तरह के हालात बयां करते नजर आते हैं।
चलिए आज जानते हैं आदिवासी आश्रम नेवसा का हाल…..


ये तस्वीरें आदिवासी बालक आश्रम नेवसा की हैं। सबसे पहले आदिवासी विभाग के आयुक्त ये जान लें यहाँ के अधीक्षक आश्रम को अपनी बपौती मानते हैं हम ऐसा इसलिए लिख रहे हैं कि जब खासखबर छत्तीसगढ़ की टीम मौके पर पहुंची तो अधीक्षक सागर जायसवाल आश्रम से अपने घर जा चुके थे।


स्थानीय लोगों नें बताया कि अधीक्षक का यही हाल है। आश्रम का हाल बेहाल है कोई माई बाप नहीं है। नेताजी का बेटा है अधीक्षक!
40 सीटर आश्रम में कुल 40 बच्चों को दर्ज बताया गया किन्तु मौके पर कुल 17 बच्चे उपस्थित पाए गए। लोगों नें बताया कि फर्जी उपस्थिति भरी जा रही है।

मतलब साफ है कि अधीक्षक और जिम्मेदार अधिकारी के सांठगांठ से बच्चों के भोजन और अन्य सामग्री के नाम पर आने वाली राशी, फर्जी उपस्थिति दर्शा कर बंदरबांट किया जा रहा है!

जिम्मेदार अधिकारी अपनी आंखों से तसवीरें देख कर खुद सोचें कि आदिवासी बच्चों के लिए शासन द्वारा भेजी गई राशी का बंदरबांट हो रहा है या नहीं? कुल 13 बेड चादर विहीन, मैले कुचलेअस्त व्यस्त गद्दे, बिना मच्छर दानी के नजर आए।

एक सवाल ये की आश्रम/छात्रावास प्रशासन में अधिकारियों और कर्मचारियों के कर्तव्यों और उत्तरदायित्व का पालन कराने की जिम्मेदारी किसकी है।

आश्रम/छात्रावास के जिम्मेदारों को तनख्वाह किस बात की मिलती है घर बैठने की या ड्यूटी करनें की?
बहरहाल आश्रम और छात्रावास में रहकर अपना भविष्य उज्जवल करनें वाले आदिवासी बच्चों का भविष्य कितना उज्ज्वल होगा कहना थोड़ा मुश्किल है लेकिन अधिकारियों का भूत, भविष्य और वर्तमान जरूर उज्ज्वल होगा!


खबर को यही विराम देते हैं अगली एपिसोड में करेंगे एक छात्रावास या आश्रम अधीक्षिका या अधीक्षक की मनमानी का सनसनीखेज खुलासा।

कलेक्टर में अधीक्षकों की मीटिंग लेकर लगाई थी कड़ी फटकार

बीते दिनों जिले के कलेक्टर ने जिले के आश्रम और छात्रावास के अधीक्षकों की मीटिंग लेकर कड़ी फटकार लगाई थी,कलेक्टर ने यह तक कहा था की जरा भी शिकायत नहीं मिलनी चाहिए,और आश्रम /छात्रावास एकदम अपडेट रहना चाहिए,और कोई भी अधीक्षक नदारद नहीं रहना चाहिए..और जो नियमो का पालन नहीं करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी..

नोट :सभी तस्वीरें 9 मार्च 2024 की शाम 4 बजे की* है..

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