रेगड़ी गैस त्रासदी : ज़हरीले रिसाव से कांपा इलाका, प्रशासन की घोर लापरवाही के खिलाफ जनपद उपाध्यक्ष मनोज अग्रवाल की अगुवाई में हज़ारों ग्रामीण सड़कों पर…

रायगढ़। जिले के लैलूंगा तहसील अंतर्गत रेगड़ी गांव में मंगलवार रात घटी एक खतरनाक और भयानक घटना ने पूरे क्षेत्र को सांस रोकने पर मजबूर कर दिया। एक तेज रफ्तार बाइक सवार की टक्कर से चलती लिक्विड गैस टैंकर पलट गई, और उससे हाइड्रोक्लोरिक एसिड का ज़हरीला रिसाव शुरू हो गया। नतीजा—गांव में अफरा-तफरी, दम घोंटता माहौल, जलस्रोत ज़हरीले और प्रशासन नदारद।

इस खतरनाक गैस रिसाव से जन-जीवन, पशुधन और पर्यावरण सब पर तबाही के बादल मंडराने लगे। लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा, जैसे उन्हें किसी बड़ी त्रासदी का इंतज़ार हो।
जनप्रतिनिधियों का गुस्सा फूटा—जनपद उपाध्यक्ष ने संभाली कमान : बुधवार सुबह होते-होते ही जनपद उपाध्यक्ष मनोज सुखन के नेतृत्व में हज़ारों ग्रामीण सड़कों पर उतर आए। गांव की चौपाल से लेकर जनपद कार्यालय तक लोगों का ग़ुस्सा साफ झलक रहा था। धरना स्थल पर नारा गूंजा—”हमारे गांव में जहर क्यों?”

धरना में प्रमुख रूप से शामिल थे:
- नूतन प्रधान
- जनपद सदस्य प्रतिनिधि प्रेम चौहान
- सरपंच पति हेम सिंग राठिया
- ग्राम पटेल राम सिंग सिदार
- पंच धनीराम राठिया
- सैकड़ों ग्रामीण, महिलाएं, बुजुर्ग और युवा
“यह हादसा नहीं, सिस्टम की हत्या है”—मनोज अग्रवाल : मीडिया से बात करते हुए जनपद उपाध्यक्ष मनोज सुखन ने दो टूक कहा:

“यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की नालायकी की वजह से हुई रासायनिक बमबारी है। अगर समय रहते काबू नहीं पाया जाता, तो सैकड़ों लाशें बिछ सकती थीं। ये धरना सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि जीवन के हक की लड़ाई है।”
गैस रिसाव ने जहरीला किया पानी, सांस लेना मुश्किल :
जल जीवन संकट में: ग्रामीणों के अनुसार गांव के हैंडपंप और नल से आ रहा पानी बदबूदार और गंदा हो गया है। कई लोग पीने के पानी को लेकर बेहाल हैं।
स्वास्थ्य पर असर: बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में तकलीफ़, आंखों में जलन, त्वचा पर चकत्ते जैसे लक्षण दिखने लगे हैं।
पशुधन की हालत खराब: कई मवेशी बीमार पड़े हैं, कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है।
प्रशासन बेपरवाह, प्रदूषण बोर्ड नदारद : हैरानी की बात यह है कि 24 घंटे बीतने के बाद भी मौके पर:
- न स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची
- न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की उपस्थिति दर्ज हुई
- न ही प्रशासनिक अधिकारी घटनास्थल पर आए
जनता पूछ रही है—”जब जान पर बन आए, तब भी अफसर गायब क्यों?”
जनता की 6 सख्त मांगें
धरना में शामिल जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने निम्नलिखित मांगों को प्रशासन के समक्ष रखा:
- उच्च स्तरीय न्यायिक जांच और जिम्मेदारों पर एफआईआर
- एसिड टैंकरों के परिवहन नियमों में सख्ती और निगरानी
- स्वास्थ्य जांच और इलाज हेतु मेडिकल कैंप की स्थापना
- प्रदूषित जलस्रोतों की सफाई और वैकल्पिक स्वच्छ जल आपूर्ति
- प्रभावित क्षेत्र को ‘खतरे का जोन’ घोषित कर सुरक्षा उपाय
- पीड़ितों को त्वरित मुआवजा और पुनर्वास
आंदोलन की चेतावनी: “अब जिला मुख्यालय पर धावा”
मनोज अग्रवाल ने स्पष्ट चेतावनी दी है:
“अगर प्रशासन आंखें मूंदे बैठा रहा तो यह जनआंदोलन अब गांव की सीमा लांघकर जिला मुख्यालय तक जाएगा। हम अपने हक के लिए रुकने वाले नहीं हैं।
यह महज हादसा नहीं—यह सिस्टम का एक्सपोजर है
रेगड़ी गांव की घटना ने यह साबित कर दिया है कि खतरनाक रसायनों के परिवहन को लेकर सरकारी व्यवस्थाएं किस हद तक ढीली हैं। यह सिर्फ रेगड़ी की बात नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है।
प्रशासन को अब तय करना है—या तो व्यवस्था सुधारें, या जनगुस्से का सामना करें।